//Manoj Bajpayee – Indian Actor / मनोज बाजपेई
Manoj Bajpayee biography in hindi

Manoj Bajpayee – Indian Actor / मनोज बाजपेई

मनोज बाजपेई की जीवनी – Manoj Bajpayee biography in hindi – “मंजिले उन्ही को मिलती है
जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है।”

मनोज बाजपेई बॉलीवुड के बहुत ही सम्मानित, तजुर्बेकार और काबिल हीरो के तौर पर देखे जाते हैं। मनोज बाजपेई नेशनल अवार्ड जीतने वाले एक ऐसे स्टार हैं जो किसी भी फिल्मी किरदार में अपनी एक अलग पहचान बना लेते हैं। अपनी फिल्मों से लोगों के दिलो-दिमाग पर छा जाने वाले मनोज बाजपेई की हर एक फिल्म अपने आप में खास और अलग होती है। उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर यह दिखा दिया कि इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है। एक गरीब किसान के यहां पैदा होने के बाद उनका पूरा बचपन और जवानी परेशानियों में गुजरी लेकिन अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर मनोज बाजपेई ने फिल्मी जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इन्होंने फिल्म जगत में अपनी एक्टिंग से सभी को प्रभावित किया है।

मनोज बाजपेई का जन्म 23 अप्रैल 1969 को बिहार के “बेलवा” नाम के गांव में हुआ। उनके पिता का नाम “राधा कांत बाजपेई” है जो कि अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए पूरी तरह से खेती-बाड़ी पर ही निर्भर थे। मनोज बाजपेई का नाम सिनेमा के नायाब हीरो “मनोज कुमार” के नाम पर रखा गया था जो कि उनके पिता को बहुत पसंद थे। मनोज बाजपेई को एक्टिंग का शौक बचपन से ही लग गया था । उनका  बचपन बहुत ही ज्यादा गरीबी में बीता। उनके पिता के पास उन्हें पढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसे भी नहीं थे और इसीलिए उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक सरकारी स्कूल से की। लेकिन मनोज वाजपेई के पिता जानते थे कि अगर उनके बेटे को खेतीबाड़ी से हटकर कोई और काम करना है तो उसके लिए पढ़ाई बहुत ही जरूरी है, इसीलिए उन्होंने पैसे कर्ज लेकर मनोज के पढ़ाई को कभी भी रुकने नहीं दिया। मनोज बाजपेई ने अपनी 12वीं की पढ़ाई “महारानी जानकी कॉलेज” से की। 17 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली जाकर अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने का निर्णय लिया और फिर उन्होंने “रामजस कॉलेज” से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी।

कॉलेज के पढ़ाई के दौरान ही उनके अंदर छिपे हुनर ने उनकी पहचान बनानी शुरू की और जल्दी ही वह कॉलेज के थिएटर में अहम सदस्य बन गए। जैसे जैसे उनका तजुर्बा बढ़ा तो उन्हें महसूस होने लगा कि अगर भारतीय फिल्म जगत में काम पाना है तो उसके लिए उन्हें बहुत ही कड़ी मेहनत करनी होगी। फिर उन्होंने अपने आप को फिल्म जगत के लायक बनाने के लिए “नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा” में दाखिला लेने का निर्णय लिया हालांकि यहां पर दाखिला लेने के लिए उन्होंने तीन बार अप्लाई किया लेकिन उन्हें हर बार रिजेक्ट कर दिया जाता था। मनोज बताते हैं कि इस दौरान बार-बार ना कामयाबी की वजह से उनके हौसले टूटने लगे थे और एक समय तो उन्होंने सुसाइड करने तक का भी सोच लिया था। लेकिन उनके एक दोस्त “रघुबीर यादव” ने उन्हें सलाह दी कि अगर उन्हें NSD (National School Of Drama) में नहीं लिया जा रहा है, तो उन्हें एक बार “Barry Jones Acting Workshop” के लिए जरूर कोशिश करनी चाहिए। फिर जब वाजपेई बैरी जॉन से मिलने गए तो बैरी जॉन उनसे इतना ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने मनोज बाजपेई को एक विद्यार्थी के तौर पर नहीं बल्कि दूसरे लोगों को एक्टिंग सिखाने के लिए अपनी मदद के लिए रख लिया। कुछ समय बाद यहां पर काम करने के बाद मनोज बाजपेई ने एक बार फिर से “National School of drama” में अप्लाई किया तो इस बार यह प्रार्थना पत्र बतौर कैंडिडेट नहीं बल्कि एक अध्यापक के लिए था। उन्होंने मनोज बाजपेई को अपनी टीम में ले लिया। फिर बहुत ही जल्द मनोज दिल्ली के थिएटर सर्किल का एक जाना माना चेहरा बन चुके थे। उनके शानदार हुनर को देखते हुए उस समय के कास्टिंग डायरेक्टर “तिग्मांशु धूलिया” ने, शेखर कपूर की फिल्म “बैंडिट क्वीन” के लिए मनोज बाजपेई का नाम सुझाया और फिर इस फिल्म में काम करते हुए मनोज बाजपेई ने “मान सिंह” नाम के डाकू का रोल बखूबी निभाया था।

एक बार फिल्म जगत में काम मिलने के बाद 1994 में ही मनोज पूरी तरह से मुंबई शिफ्ट हो गए। यहां शिफ्ट होने के बाद उन्होंने कई सारे टीवी शो और फिल्मों में बहुत ही छोटे -छोटे किरदार किए, लेकिन फिल्मों और टीवी धारावाहिक में छोटे छोटे किरदार उनके हुनर के हिसाब से बहुत कम थे। इस तरह से फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद भी मनोज बाजपेई को बहुत ही संघर्ष भरे दिन देखने पड़े थे।

जल्द ही मनोज बाजपेई के दिन बदलने लगे थे क्योंकि रामगोपाल वर्मा ने 1998 की फिल्म “सत्या” के लिए मनोज को साइन किया। यह फिल्म इतनी बड़ी हिट साबित हुई कि मनोज बाजपेई बॉलीवुड के बड़े-बड़े निर्माताओं की नजरों में आ चुके थे। इस फिल्म में किए गए शानदार अभिनय के लिए मनोज बाजपेई को “नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर” और “फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड फॉर बेस्ट एक्टर” का सम्मान मिला।

इस तरह से यही फिल्में मनोज बाजपेई के जीवन का टर्निंग प्वाइंट बनकर सामने आया क्योंकि इसके बाद से उन्हें लगातार अक्स, पिंजर, एलओसी कारगिल, राजनीति, आरक्षण, गैंग्स ऑफ स्पेशल 26, अलीगढ़ और सत्यमेव जयते की तरह और भी बहुत सारी फिल्मों में काम मिलता रहा। बीते समय के साथ -साथ मनोज बाजपेई ने अपने आपको एक वास्तविक किरदार निभाने वाले एक्टर के तौर पर हमारे बीच स्थापित कर दिया।

मनोज बाजपेई ने 2006 में “शबाना रजा” नाम की हीरोइन के साथ शादी की। जिन्हे हम “नेहा” के नाम से भी जानते हैं। नेहा से मनोज बाजपेई की एक बेटी भी है। मनोज बाजपेई ने जो भी मुकाम अभी तक अपनी जिंदगी में पाया है वह खुद अपनी मेहनत, लगन और अपने परिवार के सहयोग की वजह से हासिल किया। एक गरीब किसान के यहां पैदा होने से लेकर उनका फिल्मी जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाने तक का सफर काफी प्रेरणादायक है। किसी ने सही कहा है–

“आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते
लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं
और निश्चित रूप से आपकी आदतें
आपका भविष्य बदल देंगी।”