//Yogi Adityanath – Indian Hindu Monk, CM of UP and Politician / योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ जीवनी Yogi Adityanath biography in hindi

Yogi Adityanath – Indian Hindu Monk, CM of UP and Politician / योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ जीवनी Yogi Adityanath biography in hindi – सन्यासी वेश और भगवा लिबास पहनने वाला व्यक्ति केवल ज्ञान उपदेश देने वाला हो सकता है लेकिन “योगी आदित्यनाथ” जिनका चित्र तक उत्तर प्रदेश के चुनावी बैनर में नहीं था, जिसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा पूर्ण रूप से स्वीकार भी नहीं किया जा रहा था वह व्यक्ति 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य का मुख्यमंत्री बन जाता है। जिन्हें “हिंदुत्व की शान” और “पूर्वांचल का शेर” कहा जाता है।

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 में उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम “श्रीआनंद सिंह बिष्ट”और माता का नाम “श्रीमती सावित्री बिष्ट” है। इनकी शिक्षा 1977 में “टिहरी” से शुरू हुई। 1987 में दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण कर 1989 में “श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज” ऋषिकेश से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद 1990 में अपने ग्रेजुएशन के समय वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आए। 1992 में “युवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय” से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल की, लेकिन कोटद्वार में इनके सारे प्रमाण पत्र चोरी हो जाने के कारण यह विज्ञान में स्नातकोत्तर की अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सके। 1993 में गणित एमएससी की पढ़ाई के लिए गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर पहुंचे। उन दिनों उत्तरी भारत में राम मंदिर आंदोलन जोरों पर था। जहां इनकी मुलाकात “महंत अवैद्यनाथ” से हुई। राम आंदोलन एवं महंत अवैद्यनाथ का असर इन के मानस पटल पर इतना अधिक पड़ा कि 1994 में 22 वर्ष की आयु में इन्होंने सन्यासी जीवन को अपना लिया। तब से यह “अजय सिंह बिष्ट योगी आदित्यनाथ” के नाम से पहचाने जाने लगे।

योगी आदित्यनाथ ने महंत अवैद्यनाथ के सानिध्य में “नाथ संप्रदाय” से दीक्षा ली थी। नाथ संप्रदाय का सन्यासी कर्म यह कहता है कि सन्यासी को देश धर्म और राजनीति में जरूर हिस्सा लेना चाहिए। उन्हें देश की धर्म की राजनीति को बढ़ावा देना चाहिए। इस तरह अपने संप्रदाय की कर्म को शिरोधार्य कर योगी आदित्यनाथ ने एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला के साथ अपने पूर्ण सन्यास के पहले ही 1991 में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राजनीति में कदम रखा। 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से 26 वर्ष की आयु में 12 वीं लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद चुने गए थे। आयु बढ़ने के साथ-साथ इनकी लोकप्रियता भी बढ़ती चली गई और इन्हें गोरखपुर की सीट से 5 बार सांसद चुना गया। अपनी पांचवीं जीत में इन्होंने 2 लाख वोटों से बढ़त हासिल की। शुरुआती राजनीति में इन्होंन 1998 से 2004 तक संसदीय चुनाव जीतने के बाद “कमेटी ऑफ फूड सिविल सप्लाई डिपार्टमेंट ऑफ शुगर एंड एडिबल ऑयल” एवं “मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स” आदि का दायित्व उठाया।

वर्ष 2009 में 15वीं लोकसभा में जीतने के बाद उन्होंने परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति के कमेटी मेंबर का कार्यभार संभाला। इसके बाद 2014 में भारत की सोलवीं लोकसभा में गोरखपुर सीट से चुनाव जीतकर “लोकसभा सांसद” बने। इस लोकसभा में आदित्यनाथ की उपस्थिति 77% थी। इन्होंने 284 प्रश्न पूछे, 56 बहस में भाग लिया और तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। राजनीति के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक क्षेत्र में बिना रुके कार्य किए। उन्होंने अप्रैल 2002 में हिंदू युवा वाहिनी संगठन की स्थापना की। यह संगठन पूर्वी उत्तर प्रदेश में “हिंसक गतिविधियों” के नाम से मशहूर था। इसी कारण वर्ष 2006 में पार्टी से बिगड़ते संबंधों के चलते पार्टी इन्हें टिकट देने में आना कानी करने लगी लेकिन हिंदू युवा वाहिनी संगठन ने आदित्यनाथ की उल्कात्मक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस हिंदू युवा वाहिनी संगठन के कारण योगी आदित्यनाथ का कद इतना बड़ा हो चुका था कि वह जहां खड़े होते सभा वहीं से शुरू हो जाती थी। उनके समर्थकों के लिए वही कानून बन जाता था । यही नहीं हिंदू त्यौहार भी किस तिथि पर मनाए जाएंगे इसका ऐलान भी योगी आदित्यनाथ “गोरखनाथ मंदिर”गोरखपुर से करते है। इसलिए आज भी गोरखपुर और आसपास के इलाकों में हिंदू त्योहार 1 दिन बाद मनाए जाते हैं।

22 से 24 दिसंबर 2006 तीन दिवसीय “विराट हिंदू महासम्मेलन” गोरखपुर में प्रधानमंत्री एलके आडवाणी, आर एस एस प्रमुख राजेंद्र सिंह और बीएसपी प्रमुख अशोक सिंघल ने योगी आदित्यनाथ एवं हिंदू वाहिनी के वर्चस्व को करीब से देखा। इसी कारण भारतीय जनता पार्टी योगीआदित्यनाथ को नकार भी नहीं सकी और संबंध सुधारने के अलावा पार्टी के पास कोई विकल्प शेष नहीं था। योगी आदित्यनाथ की पहचान देशभर में फैलने लगी। 2005 में आदित्यनाथ ने “शुद्धि अभियान” में हिस्सा लिया, जिसमें उत्तर जिसमें उत्तर प्रदेश के एटा शहर से लगभग 1800 ईसाइयों को हिंदू धर्म में शामिल किया गया। इसके बाद विवादों और योगी आदित्यनाथ का चोली दामन का साथ रहा।

वर्ष 2007 में अशांति फैलाने और दंगे भड़काने के आरोप में उन्हें जेल जाना पड़ा इन्हीं विरोध के कारण योगी आदित्यनाथ पर जानलेवा हमला भी हुआ। 2010 में उन्होंने “महिला आरक्षण विधेयक” का विरोध किया। जून 2015 में इन्होंने सूर्य नमस्कार न मानने वालों के खिलाफ आवाज उठाई। इसी वर्ष देश में छाए असहिष्णुता के विवाद के दौरान बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ बयान जारी किए। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ इस्लामिक देशों के प्रतिबंध के फैसले की खुलेआम सराहना की। योगी आदित्यनाथ अपने हिंदूवादी भाषणों के कारण चर्चा का विषय बने रहे। इन्होंने खुलकर आतंकवाद, कश्मीर जैसी समस्याओं एवं गौ हत्या जैसे विषयों पर भाषण दिए और इन्हीं के कारण भी सदैव मीडिया की सुर्खियों में छाए रहे। इसी कारण इनकी लोकप्रियता को देख कर वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई।

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के चलते भारतीय जनता पार्टी के लिए यह चुनाव एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया। 11 मार्च 2017 को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में 401 सीटों में से 325 अपने नाम कर इस बड़ी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दिया। अब प्रदेश के हर प्रांत की निगाहें उत्तर प्रदेश की ओर थी। सभी जानना चाहते थे कि इस ऐतिहासिक जीत के बाद उत्तर प्रदेश की बागडोर किसके हाथ आने वाली है। 7 दिनों तक हुई चर्चा के बाद 18 मार्च 2017 को पार्टी ने मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा की। 19 मार्च 2017 को शपथ समारोह में केंद्र के कई बड़े नेता प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक ही मंच पर दिखाई दिए। योगी ने मुख्यमंत्री बनते हुए समाज के सभी समुदायों और वर्गों के लिए कार्य करने की शपथ ली। उनके कैबिनेट में दो उप मुख्यमंत्री के साथ कुल 47 मंत्री शामिल किए गए। मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने “सबका साथ सबका विकास” राष्ट्रीय नारे का जयघोष का उत्तर प्रदेश की गलियों को हिला देने वाले भारी-भरकम फैसले दिए। जिनमें अवैध कसाई खानों को बंद करवाना, महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन, किसान भाइयों के लिए कर्ज माफी जैसी योजनाएं शामिल हैं। नैतिक स्तर के सुधार के लिए सरकारी संस्थाओं, विद्यालयों, महाविद्यालयों और अस्पतालों में तंबाकू गुटखा खाने पर भी रोक लगाई है। साथ ही आदेश का पालन न होने पर उचित कार्यवाही के निर्देश भी दिए। सभी मंत्रियों को उनकी संपत्ति का ब्यौरा देने के साथ-साथ निजी गाड़ियों में लाल बत्ती के इस्तेमाल की मनाई की गई। ऐसे कई चौका देने वाले फैसले उत्तर प्रदेश के हित में लिए जा रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह अपने राज्य और मंत्रिमंडल को नियमों में बांधा है, उसी तरह वह स्वयं भी एक सरल, सादी एवं नियमों से बंधी दिनचर्या का पालन करते हैं। वह सुबह 3:00 बजे उठकर योगा एवं ध्यान से दिन की शुरुआत करते हैं। इन के निवास स्थल पर “गाय माता” का विशेष स्थान है जिनकी वे स्वयं के संरक्षण में देखभाल करते हैं ।