अब्राहम लिंकन जीवनी – Abraham Lincoln biography in hindi – अब्राहम लिंकन ने अमेरिका सहित सारे विश्व में “दास प्रथा” को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।लेकिन इन्होंने जिन संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया था वह किसी और के लिए कर पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन अगर —–
“हार मानो नहीं, तो कोशिश बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”
अब्राहम का जन्म 12 फरवरी 1809 को अमेरिका के “हार्डइन कंट्री” नामक जगह पर हुआ था ।उनके पिता का नाम “थॉमस लिंकन” और मां का नाम “नैनी लिंकन” था ।उनका पूरा परिवार बहुत गरीब था और वह सब स्वयं के बनाए एक लकड़ी के मकान में रहते थे ।अब्राहम की बड़ी बहन का नाम “सारा” था। लिंकन के पिता थॉमस एक किसान थे और इसके साथ वह बढ़ई का काम भी करते थे। अब्राहम की जन्म के 2 साल बाद ही, जमीन के विवाद की वजह से लिंकन परिवार को वह जगह छोड़ी पड़ी ।
1811 में उनका पूरा परिवार वहां से 13 km उत्तर की तरफ “Knob Creek Farm”आ गया और जमीन को खेती के लायक बना कर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें यहां पर भी जमीनी विवाद झेलना पड़ा और फिर से उन्हें इस जगह को भी छोड़कर जाना पड़ा।
1816 मैं लिंकन परिवार एक नदी के किनारे आकर बस गया और घने जंगल में खेती करना शुरू कर दिया। आज भी उनके घर व खेतों को स्मारक के रूप में सुरक्षित रखा गया है ।
अब्राहम जब 6 वर्ष के हुए तब उन्हें स्कूल में पढ़ने भेजा गया और घर की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें खेतों में भी काम करके ,अपने पिता का हाथ बटाना पड़ता था। उसके पिता भी नहीं चाहते थे कि लिंकन पढ़ाई करें इस वजह से ना चाहते हुए भी अब्राहम लिंकन को पढ़ाई छोड़नी पड़ी जबकि अब्राहम को पढ़ाई का बहुत शौक था।
5 अक्टूबर 1818 को अब्राहम की मां का देहांत हो गया ।उस समय अब्राहम केवल 9 वर्ष के थे ।मां की मृत्यु के बाद सारे घर की जिम्मेदारी बहन सारा के ऊपर आ गई जो उस समय सिर्फ 11 वर्ष की थी ।घर की परेशानी को देखते हुए अब्राहम के पिता ने एक विधवा महिला से शादी कर ली ।उस महिला के पहले से ही 3 बच्चे थे।
अब्राहम को सौतेली मां ने सगी मां से भी ज्यादा प्यार दिया और साथ ही साथ उनकी पढ़ाई में भी सहायता की ।अब्राहम अपनी सौतेली मां को बहुत मानते थे।
राष्ट्रपति बनने के बाद अब्राहम ने एक इंटरव्यू में कहा “मैं आज जो भी हूं उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है।” अब्राहम के पिता का स्वभाव उनके लिए बहुत कठोर था। अब्राहम ने स्वयं का खर्च चलाने के लिए बचपन में सीखे गए, बढ़ई के काम का इस्तेमाल कर एक नाव बनाई और नौका वाहक बनकर माल ढोना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उनको एक दुकान पर नौकरी मिल गई और अब उन्हें वहां पढ़ाई का भी समय मिलने लगा। यहीं पर रहते हुए, स्वयं के दम पर बिना किसी कॉलेज के “लॉ” की पढ़ाई शुरु कर दी ।
पढ़ाई करते समय उन्हें पता चला कि नदी के दूसरी तरफ एक गांव में एक रिटायर्ड जज रहते हैं, जिसके पास कानून की बहुत सारी किताबें हैं लिंकन ने सोचा कि वे वहां जाकर लॉ की किताबे पढ़ने के लिए उनसे प्रार्थना करेंगे ।उन दिनों बहुत बर्फीली ठंड पड़ रही थी लिंकन ने अपनी नाव को नदी में उतार दिया दीलेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उनकी नाव बर्फ से टकराकर टूट गई। फिर भी लिंकन ने हिम्मत नहीं हारी और तैरते हुए जज के घर पहुंच गए और उनसे किताबों को पढ़ने की इच्छा प्रकट की। जज ने उनकी लगन को देखकर अपने सारे किताबों को पढ़ने की अनुमति दे दी। लेकिन उस समय जज के घर काम करने वाला नौकर छुट्टी पर था तो उन्होंने लिंकन से अपने घर के कामों को करने के लिए कहा। जिसे लिंकन ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। यह जज के घर का सारा काम करते और पारिश्रमिक के नाम पर उन्हें किताबें पढ़ने की छूट थी। लेकिन लिंकन इससे भी बहुत खुश थे।
कुछ समय बाद लिंकन एक गांव में डाकिया बन गए जिसकी वजह से लोग उन्हें जानने लगे। उस समय “दास प्रथा” चरम सीमा पर थी। अब्राहम लिंकन ने स्थानीय लोगों की परेशानी को देखते हुए राजनीति में जाने का फैसला किया। अब्राहम लिंकन को शुरू से ही गुलामों पर हो रहे अत्याचारों से नफरत करते थे और वे दास प्रथा को खत्म करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने राजनीति में प्रवेश लेकर विधायक का चुनाव लड़ा। लेकिन उस चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। उधर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने डाकिया की नौकरी भी छोड़ दी जिससे उनके पास पैसों की कमी हो गई।
अब्राहम वैसे तो महिलाओं से दूर ही रहते थे लेकिन 24 साल की उम्र में उन्हें “रुटलेज” नामक लड़की से मोहब्बत हो गई लेकिन दुर्भाग्य से रुठलेस की एक गंभीर बीमारी से मृत्यु हो गई ।इससे अब्राहम को बहुत दुख हुआ ।अब्राहम के जीवन में सब कुछ उनके खिलाफ चल रहा था ।उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा था कि वह छुरी चाकू से भी वह दूर रहते थे क्योंकि लिंकन अपने आपसे इतने हार गए थे कि उन्हें डर था कि कहीं वह अपने आप को ही चाकू से ना मार ले ।
उस समय उनके एक मित्र ने उनका मनोबल बढ़ाया और अपने दोस्त की मदद से लिंकन ने फिर से विधायक का चुनाव लड़ा और इस बार चुनाव जीत गए। चुनाव के बाद उनकी गिनती सबसे युवा विधायकों में की जाने लगी और धीरे-धीरे युवा उनकी ओर आकर्षित होने लगे। अब लिंकन विधानसभा में खुलकर बोलते थे और वहां उनकी बातों को महत्व दिया जाने लगा। अब उन्हें वकील बनने के लिए लाइसेंस भी मिल गया था। उनकी मुलाकात एक मशहूर वकील “स्टुअर्ट” से हुई और वे दोनों एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने लगे ।लेकिन कुछ समय बाद स्टूडेंट्स ने भी उनका साथ छोड़ दिया और अब्राहम वकालत में भी असफल हो गए क्योंकि गरीबों के केस लड़ने के लिए वे फीस नहीं लेते थे और पूरा जीवन उन्होंने झूठा मुकदमा नहीं लड़ा। लेकिन उन्होंने असफल ही सही, 20 वर्षों तक वकालत की थी क्योंकि इस काम को करने से,उनको मानसिक शांति मिलती थी।
1842 में अब्राहम ने “मैरी” नाम की लड़की से शादी कर ली ।मेरी ने एक के बाद एक चार बेटों को जन्म दिया ।लेकिन उनमें से 1843 में जन्मा केवल एक ही पुत्र रॉबर्ट ही जीवित रहा ।बाकी सब बच्चों की बचपन में ही मृत्यु हो गई ।1860 में लिंकन ने संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा और आखिरकार अमेरिका के 16 राष्ट्रपति बनकर ,उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी सफलता हासिल कर ली ।6 नवंबर 1960 को राष्ट्रपति बनने के बाद लिंकन ने कई ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किए जिनका राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है। लिंकन की सबसे बड़ी उपलब्धि अमेरिका को उसके ग्रह युद्ध से उभारना था ।अमेरिका के संविधान में दास प्रथा का अंत का श्रेय भी लिंकन को जाता है ।14 अप्रैल 1865 को लिंकन अपनी पत्नी के साथ वाशिंगटन DC के एक थिएटर में नाटक देखने आए थे जहां एक मशहूर अभिनेता “जॉन बिलकिस” ने उन्हें गोली मार दी और अगले दिन 15 अप्रैल 1865 को अब्राहम की मौत हो गई।
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