//Amit Shah – Indian politician and philanthropist / अमित शाह
Amit Shah biography in hindi

Amit Shah – Indian politician and philanthropist / अमित शाह

Amit Shah biography in hindi – तर्कशक्ति के शहंशाह, राजनीति व चुनाव के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भारतीय राजनीति का वह हीरा है, जिसमें राजनीति को एक नई पहचान दी है। जिनके कामयाब राजनीति फैसलों का लोहा पूरे देश ने माना है। चाहे वह 370 हो, तीन तलाक का मुद्दा हो या फिर राम मंदिर का निर्माण हो। हर एक मुद्दे पर जिस मुखरता से उन्होंने देश का नेतृत्व किया। देश में सामंजस्य बनाया। देश में इसकी मिसाल सदियों तक दी जाएगी। यह भारत की राजनीति की वह सुनहरी कड़ी है, जिन्होंने अनगिनत बिखरी कड़ियों को जोड़ कर देश में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अमित शाह जी को भारतीय जनता पार्टी का “चाणक्य” कहा जाता है।

अमित शाह(Amit Shah) का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में हुआ था। अमित शाह का पूरा नाम “अमित अनिल चंद्र शाह” है। अमित शाह का विवाह “सोनल शाह” से हुआ है। उनका एक पुत्र है जिसका नाम “जय” है। अमित शाह अपनी मां के बेहद करीब थे। उनकी मां की मृत्यु 8 जून 2010 को एक बीमारी की वजह से हो गई थी। इनका गुजरात में हिंदू वैष्णव परिवार से संबंध है। इनका ताल्लुक गांव पाटिल जिले “चंदुर” की मिट्टी से भी है।


अमित शाह(Amit Shah) ने अपने प्रारंभिक शिक्षा “मेहसाणा” में प्राप्त की और बायोकेमिस्ट्री से पढ़ाई करने के लिए, अहमदाबाद बायोकेमिस्ट्री में Bsc कर, उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। लेकिन उसके बाद वह अपने पिता की प्लास्टिक के पाइप का व्यापार संभालने में लग गए। लेकिन छोटी सी उम्र में ही अमित शाह राजनीतिक स्वयं संघ से जुड़ गए थे। इसके अलावा कालेज के दिनों में 1982 में ही अमित शाह की मुलाकात मोदी जी से हुई। 1983 को उन्होंने “अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद” में हिस्सा लिया और यहीं से उनके छात्र जीवन में राजनीति की ओर रुचि बढ़ी। साल 1987 में अमित शाह “भारतीय जनता पार्टी“(BJP) में शामिल हुए और इसी साल उन्हें “भारतीय जनता युवा मोर्चा” का सदस्य बनाया गया। अपने जीवन में हर काम को पूरी शिद्दत के साथ करना उनकी शख्सियत रही है। अपनी मेहनत और काबिलियत को साबित करने का पहला बड़ा राजनीतिक मौका शाह को 1991 में मिला। जब उन्होंने गांधी नगर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे आडवाणी जी के चुनाव प्रचार का पूरा जिम्मा लिया। इसके बाद उन्हें दूसरा मौका 1996 में मिला जब गुजरात से अटल बिहारी बाजपेई ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। और इस बार भी चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी शाह के जिम्मेदार कंधों पर सौंपी गई। अमित शाह शुरू से ही कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे हैं। एक सामाजिक सेवक के रूप में उनकी जो छवि उभर कर आई, उसके चलते अमित शाह ने गुजरात के विधानसभा सीट से उप चुनाव जीता और अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत की।

इसके बाद 1999 में वह “अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कॉर्पोरेशन बैंक” में प्रेसिडेंट बनाए गए। 2009 में “गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन” के उपाध्यक्ष के रूप में उन्हें चुना गया। साथ ही 2014 में जब नरेंद्र मोदी जी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया तो वह “गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन” के अध्यक्ष भी बने। पूरी कर्तव्य निष्ठा व समर्पण भाव से उन्होंने अपने जीवन की हर जिम्मेदारी को संभाला और इसके चलते आज वह भारतीय राजनीति की बुलंदियों पर हैं। गुजरात सरकार मे उन्होंने 2003 से 2010 तक कैबिनेट में गृह मंत्रालय संभाला। 2012 में “नानू परा विधान सभा” से चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तीन बार “सर खोज विधानसभा” का प्रतिनिधित्व किया। सरखोज निर्वाचन विधानसभा क्षेत्र से वह चार बार क्रमशः 1997 में उपचुनाव, 1998, 2002 और 2007 में विधायक निर्वाचित हुए। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सबसे करीब अगर कोई है, तो वह है अमित शाह।

अमित शाह(Amit Shah) जी सुर्खियों में जब आय, जब 2004 में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक फर्जी मुठभेड़ में 19 साल के इशरत जहां, जिशान जौहर, अमजद अली राणा के साथ प्रणेश की हत्या कर दी गई। ऐसे में गुजरात पुलिस दावा कर रही थी कि 2002 में गोदारा के बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए वह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारना चाहते थे। इस मामले में गोपीनाथ दुलाई ने अदालत में एक आवेदन देकर गोपीनाथ धुलाई ने अमित शाह पर आरोप लगाते हुए उन्हें आरोपी बनाने की अपील की थी। हालांकि 15 मई 2014 को CBI की एक विशेष अदालत ने अमित शाह के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य ना होने के कारण इस याचिका को खारिज कर दिया।

अमित शाह(Amit Shah) के जीवन में एक समय ऐसा आया जब उन्हें जेल जाना पड़ा। 25 जुलाई 2010 को “सेहराउद्दीन शेख” की फर्जी मुठभेड़ के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके ऊपर लगाए आरोपों में उन्हें सबसे अधिक धक्का तब लगा, जब शाह के बेहद खास रहे निलंबित अधिकारी “डी जी वंजारा” ने उन पर आरोप लगाया।

भारतीय राजनीतिक नीतियों और जनता के समर्थन से अमित शाह(Amit Shah) को 16 लोकसभा चुनाव के लगभग 10 महीने पहले, 12 जून 2013 को भारतीय जनता पार्टी के “उत्तर प्रदेश का प्रभारी” बना दिया गया। तब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की मात्र 10 लोकसभा सीटें ही हुआ करती थी। लेकिन कुशल नेतृत्व की सफलता सबके सामने आई और 16 मई 2014 को 16वीं लोकसभा के नतीजों ने सबको चौंका दिया। भारतीय जनता पार्टी की भव्य जीत से, उनके कौशल व नेतृत्व की क्षमता को, समस्त देश ने सराहा।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल की। जिसकी किसी को दूर-दूर तक उम्मीद नहीं थी। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की यह सबसे बड़ी जीत थी और इस करिश्माई जीत की ऐतिहासिक परिणाम के बाद, अमित शाह का कद पार्टी में इतना बढ़ा कि हाईकमान ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी के “राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद” सौंप दिया। अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए भी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा, कई अहम फैसले लिए गए। भारतीय जनता पार्टी ने “370 धारा” से जम्मू कश्मीर को मुक्त किया। उन्होंने “तीन तलाक” जैसी प्रथा का अंत किया और भारतीय नागरिकता कानून “CAA” लेकर आए और इस क्रम में सबसे बड़ी उपलब्धि सदियों से चला आ रहा, “राम मंदिर का शांतिपूर्ण तरीके से फैसला” और “राम जन्मभूमि पर मंदिर” का निर्माण है।

1979 से 2014 के बीच शाह ने, गुजरात के विधानसभा व अन्य स्थानीय निकायों के 42 छोटे बड़े चुनाव लड़े, लेकिन वह एक भी चुनाव में, कभी नहीं हारे।

अमित शाह(Amit Shah) कहते हैं—-

मैं जैन नहीं, हिंदू वैष्णव हूं, हमारा परिवार 7 पीढ़ियों से हिंदू है और मैं दिल से हिंदू हूं, मुझे इस पर गर्व है।

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