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प्रणब मुखर्जी जीवनी - Pranab Mukherjee biography in hindi

Pranab Mukherjee | Former President of India | प्रणब मुखर्जी

प्रणब मुखर्जी जीवनी – Pranab Mukherjee biography in hindi – भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल में जन्मे थे। उनके पिताजी कामदा किंकर मुखर्जी भारत की आजादी के आंदोलन में सक्रिय थे और बाद में पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य भी बने।

 प्रणब मुखर्जी ने एम ए राजनीति शास्त्र  व इतिहास में और LLB की डिग्री कोलकाता विश्वविद्यालय से  प्राप्त की।
 उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई ।तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें कांग्रेस पार्टी का सदस्य बनाया और जुलाई 1969 में ही राज्यसभा के सदस्य बन गए । जल्द ही से इंदिरा गांधी के भरोसे बंद नेता बन, वर्ष 1982 में वित्त मंत्री बना दिए गए।
 लेकिन इंदिरा गांधी के निधन के बाद प्रणब मुखर्जी की कांग्रेस से  दूरी बन गई क्योंकि उनके अनुसार प्रधानमंत्री पद का दावेदार राजीव गांधी को नहीं बल्कि पार्टी के किसी वरिष्ठ मंत्री को होना चाहिए था।
 ऐसा माना जाता है कि वह स्वयं को भी प्रधानमंत्री पद का दावेदार मान रहे थे।
प्रणब मुखर्जी राजीव गांधी के कार्यकाल में भी कांग्रेस से अलग हो गए और 1986 में खुद  का राजनीतिक दल “राष्ट्रीय समाज दल” की स्थापना की। हालांकि राजीव गांधी से समझौते के बाद 1989 में उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया।
वर्ष 1991 में पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक  कैरियर पुनर्जीवित हो गया। वे 1995- 96 में वे विदेश मंत्री बन गए ।
प्रणब मुखर्जी को गांधी परिवार का वफादार माना जाता है ।
 उन्होंने 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्री ,2006 से 2009 तक विदेश मंत्री और 2009 से 2012 तक  वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला ।
 प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को  भारत के 13 वे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे और उन्हें 2019 में “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
 
 10 अगस्त 2020 को  अचानक जानकारी दी गई कि उन्होंने ,मस्तिष्क में रक्त के थक्के जमने के कारण ,अपनी सर्जरी से ,पहले कोविड-19 का टेस्ट करवाया जहां वे  covid-19 से ग्रस्त पाए गए। ब्रेन सर्जरी संबंधी आगे की प्रक्रियाओं के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया ।जहां उनकी हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती गई ।31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में मुखर्जी का निधन हो गया और उनके साथ ही  राजनीति के एक युग का अंत हो गया।

 

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