जयललिता जीवनी Jayalalithaa biography in hindi – “जय राम जय ललिता” एक जमाने की बहुत अच्छी राजनैतिक नेत्री थी, जो 6 बार “तमिलनाडु की मुख्यमंत्री” बनी। जिस ने तमिलनाडु को बदल कर रख दिया और अपने काम की वजह से “अम्मा” यानी कि “मदर ऑफ तमिलनाडु” कहलाई । जयललिता के जीवन की कहानी, किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है और यही वजह है कि आज उनके ऊपर एक फिल्म “थलैवी” भी बनी है जिसमें “कंगना राणावत” ने जयललिता का किरदार निभाया है।
जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर कर्नाटक में हुआ था। वह जब 2 साल की थी तब उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। पिता की मौत के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी जय ललिता की मां “वेद बल्ली” पर आ गई। वेद बल्ली अपने बच्चों को लेकर बैंगलोर आ गई। जहां उन्होंने क्लर्क की पोजीशन के लिए शॉर्टहैंड और टाइप राइटिंग सीखी। ताकि वह अपने परिवार का सहारा बन सके। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बाद में वेद बल्ली अपनी बहन के कहने पर फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए मद्रास आ गई। अपनी मजबूरी के चलते दोनों बच्चों को उन्होंने घर के नौकरो के भरोसे छोड़ फिल्मों में काम किया। बाद में उन्होंने “जयललिता” और अपने बेटे “जयकुमार” को उनके नाना नानी के यहां बेंगलुरु छोड़ दिया। वह नहीं चाहती थी कि इतनी छोटी सी उम्र में बच्चे सिर्फ नौकरों के भरोसे पले।
इसी वजह से जयललिता का बचपन अपनी मां से दूर बीता। वह अपनी मां को बहुत ज्यादा याद करती और जब भी कभी जया की मां उनसे मिलने आती, तो जया रात भर अपनी मां का पल्लू पकड़ कर सोती ताकि वह दोबारा कहीं ना चले जाए। परंतु सुबह होने पर जया की मां धीरे से साड़ी अपनी बहन को पकड़ा कर और अपनी जगह बहन को सुला देती कि जया की नींद ना खुले और भारी मन लिए फिर काम करने के लिए मद्रास निकल जाती। अपनी मां की जगह अपनी मासी को देख कर जया फूट-फूटकर रोती उन्हें अगले दो-तीन दिन तक चुप कराना और संभाल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता था।
एक बार की बात है जया “निबंध प्रतियोगिता” में प्रथम आई और वह यह बात अपनी मां को बताने के लिए इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि उनका इंतजार करते करते
ही सो गई। देर रात जब मां घर आई तो उन्होंने जया से पूछा कि अपने कमरे में क्यों नहीं सो रही है जया ने बड़ी ही उत्सुकता के साथ उन्हें सर्टिफिकेट दिखाया और उनसे कहा कि मैं ऐसे कंपटीशन में फर्स्ट आई हूं। आपको पता है निबंध का क्या टॉपिक था? “मेरे लिए मां के मायने” मेरे निबंध का टॉपिक था । जया को ऐसे देख उनकी मां का दिल भर आया। अपनी मां से दूर रहकर जया का बचपन बहुत ही तनहा गुजरा और यही कारण है कि उन्होंने खुद को पूरी तरह पढ़ाई में झोंक दिया।
Jaya बचपन से ही होनहार थी। अपनी मां के कहने पर 3 साल की उम्र से उन्होंने “शास्त्रीय नृत्य” सीखना शुरू किया। जया स्कूल में हमेशा फर्स्ट आई। तमिलनाडु बोर्ड में सबसे अधिक नंबर लाने के कारण उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला। स्कूल के दिन उनकी जिंदगी के सबसे बेहतरीन और खुशहाल दिन थे। स्कूल में उन्हें “द बेस्ट आउटस्टैंडिंग स्टूडेंट ऑफ द ईयर” का अवार्ड मिला। जिसे जया अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि मानती थी।
जया एक वकील बनना चाहती थी और 16 साल की उम्र में उन्हें एक स्कॉलरशिप भी मिली। जब जया ने यह बात अपनी मां को बताई तो उनकी मां ने उनसे कहा कि उन्हें जया की जरूरत है क्योंकि उन्हें अब फिल्मों में बहुत ही कम रोल्स मिल रहे हैं और ऐसे में अब अकेले घर चलाने में सक्षम नहीं है उनके भाई की पढ़ाई अब तक पूरी नहीं हुई थी और जया के नाना जी भी अब रिटायर हो चुके हैं । उनकी मां ने उनसे कहा कि परिवार की स्थिति को देखते हुए जया को फिल्मों में काम करना चाहिए और अपनी आगे की पढ़ाई को भूल जाना चाहिए।
जया बताती है कि से पहले उन्हें कभी पता ही नहीं था कि उनकी मां ने कितना संघर्ष किया है। जिस तरह उनकी मां ने उनकी परवरिश की थी ,उन्हें तो हमेशा से लगता था कि वह बहुत ही रहीस परिवार से हैं। जब उनका सामना हकीकत से हुआ उनके मन में अपनी मां के लिए इज्जत और प्यार दोनों ही बढ़ गए। अपनी मां को जिंदगी में पहली बार बेबस देखकर जया का दिल भर आया और उन्होंने वकील बनने के अपने सपने को अलविदा कर स्कॉलरशिप वापस कर दी और फिल्मों में काम करने का फैसला कर लिया ।
जया ने 16 साल की उम्र में अपना फिल्मी कैरियर “डबीवर” कन्नड़ फिल्म से किया था। एक बार फिल्मों में आने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 1 दिन में 6 शिफ्ट में काम करती और आराम और सोना तो वह भूल ही गई थी। उस दौरान भी उनके स्टेज शो हुआ करते थे। उनकी मां यात्रा करते वक्त ट्रेन में डांस मास्टर को बुलवाकर, जया की प्रैक्टिस करवाती थी। जया इतना थक जाती थी कि उन्हें सोने तक का समय नहीं मिलता था। जया हर बार दुआ करती है काश वह ट्रेन की जगह, प्लेन से सफर करती ताकि उनके डांस मास्टर ना आए और वह कुछ देर के लिए सो पाए। उनके संघर्ष का ही नतीजा है कि कुछ ही समय में वह साउथ की बहुत बड़ी सुपरस्टार बन गई। उन्होंने कई अवार्ड जीते हैं जिसमें उन्हें पांच बार “तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवार्ड” मिला और साथ ही उन्होंने तीन “फिल्मफेयर अवॉर्ड्स” भी जीते।
जया अपनी मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ते जा ही रही थी कि अचानक उनकी मां की मृत्यु हो गई। इस हादसे ने जया की पूरी जिंदगी को बदल कर रख दिया। जब जया 23 साल की थी तो वह पूरी तरह अपनी मां पर निर्भर थी। उन्हें एक्टिंग के अलावा और कुछ भी नहीं आता था। घर कैसे चलाते हैं, घर के स्टाफ की कितनी सैलरी है, एक चेक कैसे भरते हैं, इनकम टैक्स क्या होता है, यहां तक कि जिन फिल्मों में काम कर रही थी उसके प्रोड्यूसर उन्हें कितना पैसा दे रहे थे। यह सब उनकी मां हैंडल करती थी। उनकी मां के गुजर जाने के बाद लोगों ने जया का काफी फायदा भी उठाया ।
1960 से लेकर 1980 तक जयललिता ने साउथ के हर बड़े सुपरस्टार के साथ काम किया एमजीआर के साथ उनकी जोड़ी को लोग खूब पसंद किया करते थे। यही वजह है कि दोनों ने लगभग 27 फिल्मों में एक साथ काम किया। एमजीआर का जया की जिंदगी में काफी प्रभाव रहा और जयललिता ,एमजीआर को अपना गॉडफादर भी मानती थी । एमजीआर के कहने पर ही उन्होंने अपने राजनैतिक कार्य 1982 में शुरू किया। उस समय एमजीआर भारत में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे और उनको सपोर्ट करने के लिए जया ने उनकी पार्टी एआईएडीएमके ज्वाइन की थी। एकेडमी, डांस या एक्टिंग वह जिस भी क्षेत्र में उतरी, उन्होंने वहां Excel किया। राजनैतक कैरियर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। बहुत ही कम समय में उन्होंने पार्टी का काम अपने हाथों में लिया और एमजीआर की गैरमौजूदगी में भी बखूबी अपनी जिम्मेदारियां निभाई। जब एमजीआर बीमार पड़े तो पार्टी की रैली से लेकर पब्लिक स्पीच सब जयललिता ने अकेले के दम पर संभाला।
“Women Empowerment” को लेकर जब जयललिता ने अपना पहला भाषण दिया था तब सभी लोगों ने उनकी तारीफ की। उनकी बातों से यह साफ-साफ समझ आ रहा था यह तमिलनाडु की एक बहुत बड़ी लीडर की शुरुआत थी। 1983 में उन्हें पार्टी की “प्रोपेगेंडा सेक्रेटरी” बना दिया गया। अगले साल जब एआई डीएमके असेंबली का चुनाव जीता तो जयललिता ने राज्यसभा में अपनी जगह बनाई और MGR तीसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने।
MGR की पत्नी जानकी जानकी जयललिता को पसंद नहीं करती थी। एमजीआर लगातार बीमार रहने लगे और इस दौरान उनकी पत्नी जानकी ने बतौर पार्टी लीडर जयललिता को हटा दिया। एमजीआर की गैरमौजूदगी में जानकी सहित सभी लोग जो जयललिता को नापसंद करते थे, उनसे जलते थे धीरे-धीरे उन्हें निशाना बनाने लगे दुर्भाग्यवश 2 साल बाद जब MGR गुजर गए तो जयललिता को सरेआम अपमानित किया गया।
पहले तो जयललिता को एमजीआर की बॉडी तक देखने नहीं दी जा रही थी और बाद में फ्यूनरल सेरिमनी पर भीड़ का फायदा उठाते हुए उन्हें “फिजिकल ईसोल्ड” भी किया गया। इसके बावजूद जयललिता 16 घंटे तक, एमजीआर की मृत देह के पास, देर रात से सुबह तक अकेली रही। एमजीआर के जाने के बाद वह पूरी तरह टूट गई और अपना “राजनीतिक सफर” छोड़ना चाहती थी। परंतु उनकी पार्टी के कुछ लोगों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया क्योंकि उनकी नजरों में जया ही पार्टी की अब आखिरी उम्मीद थी। पार्टी दो हिस्सों में बट गई थी एक एमजीआर की पत्नी जानकी को सपोर्ट कर रहे थे और एक एमजीआर की पार्टी को, आगे बढ़ाने के लिए जयललिता को सपोर्ट कर रहे थे
।1988 में “जानकी” तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी परंतु बहुत ही कम समय में उन्हें त्यागपत्र भी देना पड़ा। 1989 में जयललिता ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी राज्यसभा सीट छोड़ दी। जयललिता जीती और तमिलनाडु में पहली “महिला विपक्ष नेता” बनी। जयललिता के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद, दो हिस्सों में बटी हुई पार्टी को जयललिता ने दोबारा एक कर दिया और उसके बाद जानकी ने पॉलिटिक्स छोड़ दिया। जया पार्टी की “जनरल सेक्रेटरी” बन गई थी।
फिर भारतीय राजनीतिक इतिहास का सबसे शर्मनाक दिन आया। 25 मार्च 1989 को “तमिल नाडु असेंबली मीट” के दौरान, एआईएडीएमके के मुख्य राइवल्स डीएमके के राजनैतिक नेता ने, राज्यबजट की गरमा गरमी की आड़ में भरी सभा के सामने जयललिता को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। यह हमला जयललिता पर नहीं बल्कि उनके स्वाभिमान और अस्तित्व पर किया गया था। इस हमले ने जयललिता और तमिलनाडु की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया था। फिर 2 साल बाद अपने अपमान का बदला लेते हुए जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी।जयललिता तमिलनाडु की सबसे “यंगेस्ट चीफ मिनिस्टर” बनी। इसके बाद उन्होंने तमिलनाडु की शक्ल बदलने की कसम खा ली थी और यही कारण है कि वह अपने राजनीतिक कार्यकाल में छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी। तमिलनाडु के लिए उन्होंने कई बड़े-बड़े काम किए, जिसके कारण लोग उन्हें “अम्मा” कहकर बुलाने लगे।
परंतु उनका राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा । उन पर भ्रष्टाचार जैसे कई आरोप लगे, जिनमें से ज्यादातर आरोप खारिज हो गए। लेकिन कुछ एलिगेशंस के चलते उन्हें कुछ समय के लिए जेल भी जाना पड़ा था। उनके समर्थन में, लाखों की भीड़ सड़क पर आ गई थी। लोगों के मन में अम्मा के लिए कुछ भी कर जाने की भावना थी। जेल से छूटने के बाद जयललिता ने एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए कि हर किसी की जुबान पर बस अम्मा का ही नाम था। अम्मा ने औरतों के लिए काफी काम किया जैसे एक ऐसा पुलिस स्टेशन बनाया जो सिर्फ औरतों के लिए था। इसके अलावा पुलिस फोर्स में 30% सीट “वूमेन कोटे” के लिए रिजर्व करवा दी। बड़ी बड़ी कंपनियों की फैक्टरी, तमिलनाडु में बनने लगी रोजगार भरने बढ़ने लगा। फिर जब जयललिता छठी बााग तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी, तब मात्र 100 din के अंदर ही उन्होंने किसानों का कर्ज माफ किया और साथ ही घरों में 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई ।
उनका आखिरी पब्लिक अपीयरेंस एक वीडियो कॉल के जरिए था। चेन्नई की दो मेट्रो लाइंस के उद्घाटन के दौरान दूसरे ही दिन वह बहुत ही बुरी तरह बीमार पड़ गई। शायद यही कारण था कि उन्होंने “मेट्रो लॉन्च” वीडियो कॉल के जरिए किया। कुछ दिनों तक मौत से संघर्ष करने के बाद अम्मा 5 दिसंबर 2016 को हम सब को छोड़कर हमेशा के लिए चली गई।
“जियो तो ऐसे जियो की शान बन जाओ
हर जुबां पर जो आए, वह नाम बन जाओ,
तुम्हारे जीते जी मरने के बाद भी’
जहां नहीं पहुंच सका हो
वह मुकाम बन जाओ।