नीरजा भनोट जीवनी Neerja Bhanot biography in hindi – नीरजा भनोट 5 सितंबर 1986 को केवल 25 वर्ष की उम्र में कराची एयरपोर्ट पर अपहरणकर्ताओ की बुलेट का शिकार हुई।
चंडीगढ़ में रहने वाले “रमा भनोट” और पत्रकार “हरीश भनोट” के दो बेटे अखिल और अनीश के बाद, 7 सितंबर 1963 को उनकी लाडली बेटी “नीरजा भनोट” का जन्म हुआ। नीरजा के माता-पिता नीरजा को प्यार से “लाडो” कह कर पुकारते थे। नीरजा भनोट ने चंडीगढ़ सीक्रेट हार्ट स्कूल से पांचवी तक की पढ़ाई की। 1974 में उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। वहां उन्होंने “मुंबई स्कॉटिश हाई स्कूल” से आगे की पढ़ाई करके, सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। वह बचपन से ही काफी संवेदनशील, खुशमिजाज और लोगों की मददगार थी। ग्रेजुएशन के तुरंत बाद उनकी शादी हो गई और और वो अपने पति के साथ दुबई में रहने चली गई।
तकदीर को कुछ और ही मंजूर था। 2 महीने बाद ही पति द्वारा दहेज उत्पीड़न की वजह से वह दुबई से मुंबई आ गई। आत्मविश्वास से भरी खूबसूरत नीरजा ने अपना धैर्य नहीं खोया और मुंबई आकर मॉडलिंग करनेलगी नीरजा बिनाकटूथपेस्ट, बैजर साड़ी गोदरेज साबुन क्रैक, विको टरमरिक क्रीम जैसे टेलीविजन और प्रिंट विज्ञापनों में भी दिखाई दी।
उसके बाद उन्होंने यूनाइटेड स्टेट की मुखिया एवं सबसे बड़ी “अंतरराष्ट्रीय एयर कैरियर बैनर” में फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए आवेदन किया। इस नौकरी के लिए करीब 10000 आवेदन पत्र आए थे परंतु नीरजा टॉप 80 में चुन ली गई। फ्लाइट अटेंडेंट की ट्रेनिंग के लिए उन्हें “मियामी” भेजा गया। उनके साहस और उत्साह से प्रभावित होकर उन्हें “सीनियर फ्लाइट” पर नियुक्त कर दिया गया, जो 22 साल की उम्र में उनके करियर की बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
5 सितंबर 1986 को नीरजा भनोट “पैनल फ्लाइट 73” में ड्यूटी पर थी और यह फ्लाइट 361 यात्रियों और 19 कुरु सदस्यों को लेकर मुंबई से यूएसए के लिए उड़ान भर रही थी। मुंबई से यह रवाना होकर पाकिस्तान के कराची में “जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में उतरी और जब जहाज टेकऑफ के लिए खड़ा था। तभी अचानक चार हथियारबंद आदमियों ने जहाज के अंदर घुसकर, जहाज को हाईजैक कर लिया। यह अपहरणकर्ता लीबिया से संबंधित आतंकवादी संगठन के थे, जो जहाज को इजरायल ले जाकर क्रश करना चाहते थे। नीरजा ने तुरंत कॉकपिट में लोगों को इस बात की सूचना दी। कॉकपिट से पायलट, को पायलट और फ्लाइट इंजीनियर बाहर निकल गए ताकि उनसे अपहरणकर्ता जबरदस्ती उड़ान ना भरवा सकें। सीनियर कर्मचारी होने की वजह से नीरजा पर सारा उत्तरदायित्व था। जहाज में अलग-अलग देशों के यात्री मौजूद थे, पर मुख्य रूप से अमेरिकी यात्री अपहरणकर्ता के निशाने पर थे। नीरजा ने अपनी सूझबूझ से अमेरिकन यात्रियों के पासपोर्ट को छुपा दिया, ताकि आतंकवादी उनकी पहचान ना कर सके। उन्होंने अपने चेहरे पर मुस्कान को कायम रखा और एक बार भी यात्रियों को सर पर मंडरा रहे खतरे का एहसास होने नहीं दिया। यह डरावना खेल 17 घंटे तक चालू रहा और 17 घंटे बाद आतंकियों ने धमाका करने के लिए आग जलाई । इतने में बिना समय गवाएं नीरजा ने आपातकालीन दरवाजे को , यात्रियों के निकलने के लिए खोल दिया और यात्रियों को जल्दी से भाग निकलने का निर्देश दिया। वह चाहती तो दरवाजा खोलकर पहले खुद भाग सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इतने में आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। नीरजा तीन बच्चों को गोलियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच बनकर खड़ी हो गई और गोलियों ने उनके शरीर को छलनी कर दिया।
इस विमान में 41 अमेरिकी यात्रियों में 2 की गोलियों से मृत्यु हो गई और बाकी सभी यात्री बचा लिए गए। नीरजा ने यात्रियों को बचाने के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दे दी। नीरजा 2 दिन बाद अपने जन्मदिन पर अपने माता-पिता से मिलने वाली थी परंतु अफसोस उनका मृत शरीर उनके माता-पिता के पास पहुंचा।
इस घटना के बाद नीरजा भनोट को पूरी दुनिया में “द हीरोइन ऑफ द हाईजैक” के रूप में पहचान मिली। मरणोपरांत उनके त्याग और बहादुरी के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया। भारत की सबसे प्रतिष्ठित शौर्य पुरस्कार “अशोक चक्र अवॉर्ड” को प्राप्त करने वालों में वह सबसे कम उम्र की हैं। भारत की “मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन अवार्ड यूनाइटेड स्टेट के जस्टिस और क्राइम अवार्ड यूएसए की “फ्लाइटसेफ्टी फाउंडेशन हीरोजीहम अवार्ड”, यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा “स्पेशल करेज अवार्ड,” पाकिस्तान द्वारा “तमगाए इंसानियत अवार्ड” उनके मरणोपरांत उन्हें दिए गए।
नीरजा के माता-पिता ने नीरजा के इंश्योरेंस के पैसे को और पैनल टाइटल को इस्तेमाल करने के कारण, पैनम द्वारा दिए गए फंड से “नीरजा भनोट पैनल ट्रस्ट” को स्थापित किया। जो हर साल दो अवार्ड प्रदान करती है। एक पूरी दुनिया से किसी एक “कर्तव्यनिष्ठ फ्लाइट क्रू के सदस्य” को और दूसरा भारत में “सामाजिक अन्याय ग्रस्त महिला” को दिया जाता है।
नीरजा ने जिन बच्चों को बचाया था उनमें से एक आज मुख्य एयरलाइन का कैप्टन है और वह नीरजा को अपनी प्रेरणा का स्त्रोत मानते हैं। नीरजा के पति ने नीरजा की औकात पर उंगली उठा कर जलील किया था लेकिन नीरजा ने पूरी दुनिया के सामने त्याग और साहस का परिचय देकर यह दिखा दिया कि वह असलियत में क्या है। उनकी कुर्बानी कभी भूली ही नहीं जा सकती और हर साहसी फ्लाइट क्रू के सदस्य के रूप में वह सदा हम सब के बीच अमर रहेगी।