पंकज त्रिपाठी जीवनी – Pankaj Tripathi biography in hindi – “चलता रहूंगा पथ पर
चलने में माहिर बन जाऊंगा
या तो मंजिल मिल जाएगी
या फिर अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊंगा।”
कुछ इसी तरह की सोच को लेकर अपने सफर को शुरू करने वाले पंकज त्रिपाठी आज अपने नेचुरल एक्टिंग के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। बॉलीवुड में अनगिनत ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने काफी संघर्ष, मेहनत और लगन से अपनी पहचान बनाई है। पहचान मिलने के बाद अक्सर स्टार, स्टार ड्रम को जीना शुरु कर देते हैं। परंतु एक सितारा पंकज त्रिपाठी ऐसा भी है जो फिल्मी पर्दे पर जितना सरल दिखता है वह उतना ही सरल अपनी जिंदगी में भी है। करोड़ों कमाने के बावजूद इनके घर आज भी मिट्टी के चूल्हे पर रोटी बनती है। इस अभिनेता की चर्चा जहां भी, जिस जगह भी होती है, वहां सभी कहते हैं वाह! क्या एक्टर है।
पंकज त्रिपाठी बिहार के एक छोटे से गांव में किसान के यहां पैदा हुए। अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्हें बहुत संघर्षों का सामना करना पड़ा लेकिन कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हार ना मानते हुए उन्होंने अपना काम जारी रखा और आखिरकार पूरे भारत में अपने शानदार अभिनय के जरिए अपनी पहचान बनाई। “मिर्जापुर” में “कालीन भैया” और “गैंग ऑफ वासेपुर” में “सुल्तान कुरेशी” जैसा रियलिस्टिक किरदार निभाने वाले पंकज त्रिपाठी का अभी तक का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा।
पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर 1974 को गोपालगंज बिहार के एक छोटे से गांव में हुआ। उनके पिता का नाम “पंडित बनारस त्रिपाठी” था जो कि एक किसान और पुजारी थे उनकी मां का नाम “हेमंती देवी” है। पंकज अपने घर में सबसे छोटे हैं उनके अलावा उनके चार और भी बड़े भाई और बहन है और छोटे होने की वजह से उन्हें खूब प्यार मिला। भले ही पंकज का जन्म बिहार के एक छोटे से गांव में हुआ लेकिन शुरू से ही उनका सपना काफी बढ़ा हुआ करता था और बचपन से ही वह फिल्म जगत में जाने की सोचने लगे थे।
पंकज के गांव में अक्सर त्योहारों के समय एक नाटक का आयोजन किया जाता था। पहले उस नाटक को “नाच” भी कहते थे। इसमें “लड़के” ही “लड़कियों” का भी किरदार निभाते और इसी तरह के ही ड्रामा में पंकज हमेशा ही एक लड़की बना करते थे और उनके शानदार अभिनय को देखकर गांव वाले ने उन्हें फिल्म जगत में जाने की सलाह देते रहते। फिर पंकज त्रिपाठी ने भी ठान लिया कि वह एक्टिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाएंगे। लेकिन एक्टिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना इतना आसान भी नहीं था ।
शुरुआती समय में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद से, पंकज आगे की पढ़ाई के लिए पटना गए जहां वह राजनीति में भी सक्रिय थे। साथ ही उन्होंने अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने के लिए उन्होंने एक “थिएटर इंस्टिट्यूट” में भी दाखिला ले लिया था। इस दौरान उन्होंने अपने खर्चों को चलाने के लिए एक होटल में काम भी किया और फिर 7 साल पटना में गुजारने के बाद से उन्हें पता लगा कि जब तक बड़े शहरों में नहीं जाएंगे, तब तक एक्टर बनना काफी मुश्किल है। फिर इसी सोच के साथ पंकज त्रिपाठी दिल्ली गए जहां उन्होंने अपने एक्टिंग को इंप्रूव करने के लिए “नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा” में दाखिला ले लिया।
2004 में वह “National School of drama” से ग्रेजुएट हुए और फिर इसी साल 15 जनवरी को पंकज त्रिपाठी की शादी “मृदुला” नाम के लड़की से करवा दी थी। शादी के बाद से पंकज के ऊपर जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई थी और इसीलिए उन्हें जल्दी अपने करियर को आगे बढ़ाना था। फिर 2004 मे पंकज मुंबई शिफ्ट हो गए, जहां पर उन्होंने एक्टिंग के फील्ड में काम की तलाश करनी शुरू कर दी। काफी महीनों तक उन्हें कोई भी काम नहीं मिल सका लेकिन पंकज को ने अपनी काबिलियत पर भरोसा रखते हुए ऑडिशन देने जारी रखें। कुछ महीनों तक उनके संघर्षों के बाद उन्हें टीवी शो और फिल्मों में बहुत ही छोटे छोटे ही सही, लेकिन काम मिलने शुरू होगी। हालांकि यह काम इतने भी पैसे नहीं दे पाते थे कि पंकज का घर ठीक तरीके से चल सके और इसीलिए उनकी पत्नी ने भी गोरेगांव मुंबई में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था।
वैसे देखा जाए तो फिल्मों में पहला रोल पंकज त्रिपाठी को 2004 की फिल्म “रन” (RUN) में मिल गया था लेकिन उनका यह किरदार इतना छोटा सा था कि किसी को याद भी नहीं था। फिर ऐसे ही आगे कई साल तक उन्होंने बहुत सारे फिल्मों और टीवी सीरीज में काम किया।
2010 में स्टार प्लस के मशहूर शो “गुलाल” में पंकज ने काम किया और फिर उनके शानदार काम को देखते हुए कास्टिंग डायरेक्टर “मुकेश छाबरा” ने उन्हें अनुराग कश्यप की अगली फिल्म के लिए अप्रोच किया लेकिन जब पंकज त्रिपाठी इस फिल्म का ऑडिशन देने के लिए पहुंचे तो 8 घंटे के ऑडिशन के बाद भी अनुराग कश्यप उनसे संतुष्ट नहीं हुए। लेकिन कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश के कहने पर उन्होंने “गैंगस आफ वासेपुर” में पंकज को “सुल्तान कुरेशी” का किरदार दे दिया। यह फिल्म रिलीज होने के बाद से बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में पंकज के शानदार एक्टिंग की जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है। इस फिल्म के बाद से पंकज और फिल्म मेकर्स के नजरों में आ चुके थे और इसीलिए उन्हें बहुत सारी फिल्मों में अच्छे खासे रोल मिलने शुरू हो गए। अब आगे चलकर फुकरे, मांझी द माउंटेन मैन, निल बटे सन्नाटा, न्यूटन, बरेली की बर्फी और स्त्री जैसे और भी कई सारी फिल्मों में अपनी शानदार एक्टिंग से लोगों को प्रभावित कर चुके हैं। “न्यूटन फिल्म” में उनके शानदार काम के लिए उन्हें “नेशनल अवार्ड” भी दिया जा चुका है।
2018 की सबसे लोकप्रिय लोकप्रिय सीरीज “Sacred games” और “Mirzapur” में भी वह अपनी बेहतरीन एक्टिंग का जलवा लोगों को दिखा चुके हैं। मिर्जापुर में उनके द्वारा निभाया गया कालीन भैया के किरदार ने उन्हें रातों-रात लोगों का पसंदीदा बन गया। पंकज त्रिपाठी के शानदार अभिनय से सब कोई वाकिफ है लेकिन उन्होंने जिस तरह से गांव से उठकर पूरे भारतवर्ष पर अपने शानदार अभिनय से राज किया, वह काबिले तारीफ हैं।
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