मेहुल चौकसी जीवनी – Mehul Choksi biography in hindi – मेहुल चौकसी के अर्श से फर्श तक पहुंचने में, मेहुल का भांजा नीरव मोदी बराबर का हिस्सेदार है। बेल्जियम से एक फेल बिजनेसमैन के तौर पर 28 साल के नीरव मोदी ने 1999 में भारत वापसी की। उसने भारत में अपने मामा मेहुल चौकसी के घर का दरवाजा खटखटाया। बरसो बाद जब एक इंटरव्यू में नीरज से पूछा गया कि उनके एक मामा “चेतन चौकसी” पहले ही यूरोप में बड़ा व्यापार कर रहे हैं फिर भारत में आकर मेहुल चौकसी से हाथ क्यों पकड़ा? तो नीरज ने जवाब दिया मेरे और मेहुल के बीच प्यार ज्यादा है। यहीं से 40 साल के मेहुल चौकसी की अपने भांजे नीरव मोदी के साथ एक ऐसी साझेदारी शुरू होती है इसकी कहानी आज तक किसी से छिपी नहीं है।
आम गुजराती मोटा भाई से, लग्जरी ब्रांड बन जाने की चाहत, मेहुल चौकसी गुजराती मिजाज के बिजनेसमैन के तौर पर पले बढ़े। सूरत में अपने घर में होश संभालने के बाद उन्होंने हीरे जवाहरात का काम ही देखा। पिता ने 1960 में उनके पैदा होने के साथ ही अपना “जेम्स” का बिजनेस शुरू किया। “क्वार्ट्ज इंडिया” में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मेहुल ने कम उम्र में ही हीरे की चमक को परख लिया था। उन्हें पता चल चुका था कि सूरत के बाजार में बैठकर हीरे घिस घिसकर बेचने से कुछ नहीं होगा। इसे बड़े ब्रांड में तब्दील करना होगा उन्हें बस सही वक्त की तलाश थी।
मेहुल चौकसी ने 1986 में 26 साल की उम्र में “गीतांजलि जेम्स” नाम से अपना ब्रांड शुरू कर दिया हालांकि वह काम तो वही कर रहे थे जो बाकी हीरा व्यापारी बिना पॉलिश की हीरो को मंगवाते और पोलीस करके बेचते थे । उन्होंने बेल्जियम, अमेरिका, जापान, चीन, हांगकांग और थाईलैंड में हीरे बेचने का काम शुरू किया। इससे पैसे भी कमाए परंतु उनका मन बड़ा ब्रांड खड़ा करने में अटका रहा। उनके साथ उनका भांजा नीरव भी काम सीख रहा था।.
साल 1991 में भारत में उदारीकरण का रास्ता पकड़ा। दुनिया भर के देश के दरवाजे खुल गए, लोगों की आमदनी बढ़ी और ब्रांड को लेकर समझ भी पैदा हुई। इस माहौल में मेहुल चोकसी को भी जेम्स के रिटेल बिजनेस में बड़ा मौका नजर आया। मेहुल समझ चुके थे कि बरसों से भारत को, एक सोने और हीरे को एक इन्वेस्टमेंट के तौर पर देखा जाता है। उन्हें अब सोने और हीरे, घर में रखने का दौर खत्म हो रहा है, उन्होंने छोटे और कम कीमत के गहनों पर फोकस किया। ऐसी ज्वेलरी आइटम जिसे कम कीमत पर रोज पहनने के लिए खरीदा जा सके। इसी बीच 1994 में टाटा के ब्रांड “तनिष्क” ने बाजार में एंट्री की। तनिष्क ने शहर में तेज रफ्तार पकड़ी। मेहुल चौकसी को भी समझते देर नहीं लगी कि अपना फोकस मैन्युफैक्चरिंग से हटाकर , रिटेल मार्केटिंग की तरफ करने का वक्त आ गया है। मेहुल चौकसी के ब्रांड “गीतांजलि” ने 1994 में “गिली” नाम से रिटेल ब्रांड लॉन्च किया।
ब्रांड की टैगलाइन रखी गई “Beautiful You”यानी कि “खूबसूरत आप।”
मेहुल ने रिटेल बिजनेस का एक फंडा पकड़ लिया कि ढेर सारे रिटेल ब्रांड खड़े करो और सब के पीछे सेलिब्रिटी का आभामंडल चमका दो। अखबार को 2008 में दिए इंटरव्यू में मेहुल चौकसी ने अपने ब्रांड के बारे में बात करते हुए कहा था “हमारे ढेर सारे ब्रांड है। हमने अब तक 60 से 70 ब्रांड खड़े किए, इनमें से 20 से 30 बेहद ब्रांड मशहूर हैं।” इस ब्रांड के पीछे अमिताभ बच्चन, लारा दत्ता, ऐश्वर्या राय, कंगना राणावत, प्रियंका चोपड़ा जैसे बड़े फिल्मी सितारों का आभामंडल था।
मेहुल देश के ही नहीं विदेश के बड़े ब्रांड के साथ भी नजर आने लगे। उन्होंने हीरो के बड़े विदेशी ब्रांड “डिबेस” से हाथ मिलाया। उन्होंने डिबेस से कच्चे हीरे खरीदने शुरू किए। “हीरा है सदा के लिए” यह “डिबेस” कंपनी की ही टैगलाइन है। 10 साल मे मेहुल चौकसी के ब्रांड का नाम, भारत के साथ-साथ विदेशों में भी सुनाई पड़ने लगा। मेहुल के बढ़ते कारोबार के साथ उनकी शौक भी परवान चढ़ रहे थे। वह मुंबई में “YACHT” रखते थे जिसमें अपने सेलिब्रिटी दोस्तों के साथ अक्सर पार्टी रखी जाती थी। उनकी पहचान काली मर्सिडीज “ई क्लास” बन चुकी थी। वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में छुट्टियां बिताते थे।
इन सबके बीच उनके भीतर दुनिया का एक बड़ा ब्रांड खड़ा करने का जुनून बढ़ता जा रहा था। मेहुल चौकसी ने 2009 में फॉर्ब्स मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा -“अगला “एलवीएमएच” भारत से ही पैदा होगा।” मेहुल चोकसी दुनिया के इस बड़े लग्जरी ब्रांड की बात कर रहे थे जिसका “Lui Vitobi” भी एक हिस्सा है। साल 2016 के आते-आते गीतांजलि ब्रांड का नेटवर्क भी देश के कोने कोने में पहुंच चुका था। इसमें कम से कम 200 आउटलेट और 3000 से ज्यादा पॉइंट ऑफ सेल थे।
मेहुल चोकसी के बड़े ब्रांड में गिली, नक्षत्र, असमी, संगिनी, निजाम और परिणीता शामिल थे।
इस तरह बढ़ते कारोबार के लिए और ऐशो आराम के लिए पैसा बैंकों से लोन के जरिए आ रहा था। कंपनी का बड़ा ब्रांड और उसकी पीछे सेलिब्रिटी की फौज से, बैंक भी अपने लोन की वापसी को लेकर आश्वस्त थे। मेहुल चोकसी को लोन देने वालों में “पंजाब नेशनल बैंक” प्रमुख था।
मेहुल चौकसी ने अपने “गीतांजलि” नामक ब्रांड के साथ 60 से 70 ज्वेलरी ब्रांड खड़े किए। साल 2018 तक सब कुछ सही चल रहा था। लेकिन वैलेंटाइन के दिन एक ऐसे बैंक घोटाले का खुलासा हुआ जिसने सब को हिला कर रख दिया। पंजाब नेशनल बैंक ने बड़े घोटाले को लेकर मामला दर्ज कराया। उसमें मेहुल चौकसी और उसके भांजे नीरव मोदी को दोषी बताया गया। इस घोटाले की शुरुआत कथित तौर पर 2011 में हो गई थी। 2011 से 2017 के बीच मेहुल चोकसी से नीरव मोदी के लिए “पंजाब नेशनल बैंक” की तरफ से कई फर्जी “लेटर ऑफ अंडरटेकिंग” जारी किए गए। मेहुल चोकसी से और उसके सहयोगी यों की तीन कंपनियां डायमंड, आर यू एस, solar stiller diamond कंपनी ने पीएनबी से कई बार इस तरह के “लेटर ऑफ अंडरटेकिंग” लिए।
यह मामला पकड़ में तब आया, जब पीएनबी बैंक के पुराने अधिकारी के रिटायरमेंट के होने के बाद नए अधिकारी कुर्सी पर बैठा। जब उसके सामने मेहुल चोकसी और नीरव की कंपनी की तरफ से “लेटर आफ अंडरटेकिंग” की अर्जी आई तो बैंक अधिकारियों ने 100 फ़ीसदी कैश मार्जिन मांगा। इसमें मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की कंपनी की तरफ से कहा गया कि उनको पहले भी “लेटर ऑफ अंडरटेकिंग” मिलते रहे हैं। इसके बाद पीएनबी ने छानबीन की, तो उन्हें बैंक में इसके कोई रिकॉर्ड नहीं मिले। इससे कर्मचारियों को शक हुआ, जांच गहराई से की गई तो पता चला कि ऐसे लेटर जारी करने में पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी मैनेजर “गोकुलनाथ शेट्टी” ने बैंक के ही एक और साथी “मनोज खरात” के साथ मिलकर खेल किया था।
बैंक का आरोप है कि इस तरह के “लेटर ऑफ क्रेडिट” के जरिए करीब 13000 करोड़ रूपया, मेहुल चौकसी और उस से साथियों अपने कई बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिए। केस दर्ज होने के अगले ही दिन 15 फरवरी 2018 को “ईडी” ने देश भर में कई जगह छापेमारी की। सीबीआई ने मुंबई के हाजी अली दरगाह के पास नीरव मोदी के घर को भी सील कर दिया। ईडी ने मेहुल चौकसी और नीरव मोदी के 9 जगहों पर छापेमारी की। इनमें चार मुंबई, दो सूरत और दो दिल्ली में छापेमारी की गई। ईडी ने मोदी के शोरूम और घर में भी छापे मारे। मेहुल चौकसी अपने ऊपर लगाए गए सारे आरोप नकारता रहा है, लेकिन उसकी योजना से साफ पता चलता है कि उसे देश छोड़ना ही था। “एबीपी न्यूज़” को 2018 को दिए इंटरव्यू में मेहुल चौकसी ने कहा कि -साल 2017 में ही उसने एंटी गोवा में नागरिकता लेने के लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली थी।
इधर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने उसे लगातार वापस लाने की मुहिम जारी रखी। मेहुल चौकसी इसका विरोध करता रहा और उसे कई बार अदालत की तरफ से “समन” भेजा जा चुका, लेकिन उसने हर बार आने से मना कर दिया। वह तरह-तरह के बहाने बनाता रहता और कहता है- अगर वह भारत आया तो उसे भीड़ मार देगी, वह यह भी कहता है कि वह बीमार है इलाज कराने आया है वह भागा नहीं है, बीमार होने की वजह से प्लेन में लंबा सफर नहीं कर सकता आदि।
23 मई 2021 को मेहुल चौकसी “एंटी गोवा” से अपनी गर्लफ्रेंड “बाबारा जराविका” से मिलने एक छोटे कैरीबियन देश “डोमिनिका, एक वोट के जरिए पहुंचा था। इस देश में उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। अब देखना यह है कि जिस “डोमिनिका” नामक देश में वह जेल में बंद है है। वहां से उसे भारत तक लाना मुमकिन होता है या एक बार फिर वह जांंच एजेंसियों के हाथों से बच जाएगा।