संबित पात्रा जीवनी Sambit Patra biography in hindi – डॉ संबित पात्रा भारतीय जनता पार्टी के तेजतर्रार राष्ट्रीय प्रवक्ता और राजनेता है। वह एक अच्छे डॉक्टर (सर्जन) भी है। संबित पात्रा ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। संबित पात्रा बीजेपी की तरफ से टीवी चैनल पर डिबेट करते हैं और विरोधी पक्ष का मुंह बंद कर देते हैं।
संबित पात्रा का जन्म 13 दिसंबर को “धनबाद” झारखंड में हुआ जोकि झारखंड का हिस्सा है। स्कूल के दिनों में संबित पात्रा स्कूल के संस्थापक आध्यात्मिक संत स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जी से बहुत प्रभावित हुए। संबित पात्रा ने चिन्मयानंद सरस्वती जी से ही बोलने की कला सीखी है। वह अपनी बात इस तरह से रखते हैं कि सामने वाला बस देखता ही रह जाता है। संबित पात्रा बताते हैं कि उस संत की बोलने की शैली, उनके शब्दों का चयन और उसके प्रभाव से ही मुझ में बोलने की शक्ति पनत सकी है। जब संबित पात्रा डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्हें एक वाद विवाद प्रतियोगिता ऑल इंडिया मेडिकल साइंस नई दिल्ली में “सबसे उम्दा वक्ता” का खिताब मिला था। टीवी चैनल पर बोलने से पहले करीब 1 घंटे तक अपने मुद्दे की तैयारी करते हैं। कई नेता उन्हें “मिस्ट्री मैन” भी कहते है। बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली का उन्हें साथ मिला। 2014 में दिवंगत नेता अरुण जेटली ने संबित पात्रा को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। वह अरुण जेटली को अपना “राजनीतिक गुरु” मानते हैं।
वह बचपन से ही मेहनती और सरल स्वभाव के थे। क्लास में हमेशा पहले स्थान पर रहते थे। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई “झारखंड चिन्मय विद्यालय” बोकारो से की और कॉलेज की पढ़ाई “एससीबी मेडिकल कॉलेज” से की। उसके बाद 1997 में “वीएसएस मेडिकल कॉलेज बर्ला संबलपुर विश्वविद्यालय” से एमबीबीएस किया और 2002 में कटक से “एम एस” किया। मेडिकल की डिग्री मिलने के बाद 2003 में “यूपीएससी संयुक्त मेडिकल सर्विसेज” की परीक्षा पास की।
उसके बाद एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में दिल्ली के “हिंदूराव अस्पताल” में काम किया है।बचपन से अध्यात्म को मानने वाले संबित पात्रा जब हिंदूराव अस्पताल से शिफ्ट पूरी करके बाहर आते थे तब वह कुछ अन्य डाक्टरों के साथ मिलकर मलिन बस्तियों में जाकर दलितों के लिए मुफ्त हेल्थ कैंप चलाते थे। हिंदूराव अस्पताल में काम करते हुए उन्होंने 2006 में “स्वराज” नाम का एक संगठन शुरू किया। यह संगठन दलितों और आदिवासियों के स्वास्थ्य और शिक्षा के मानकों के लिए काम करता है।
इसके कुछ समय बाद संबित ने विभिन्न कानूनों के लिए प्रचार करना शुरू किया, लेकिन यूपीए सरकार ने उनके काम पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और एक कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे हैं। बीजेपी में आकर भी संबित पात्रा ने संघर्ष किया।
साल 2011 में वह बीजेपी के प्रवक्ता बने, जिसके बाद 2012 में उन्होंने कश्मीरी गेट से बीजेपी टिकट पर “एमसीडी” का चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए। इस के बावजूद उन्होंने पार्टी में अपनी छवि को खराब नहीं होने दिया।
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान यह भाजपा दिल्ली के चेहरे के रूप में उभरे और इन्होंने लोकसभा चुनाव पर राष्ट्रीय मीडिया द्वारा आयोजित वाद-विवाद में जनता का विचार, बीजेपी के पक्ष में करने में एक निर्णायक भूमिका निभाई। इस के बाद बीजेपी ने ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी की केंद्रीय समिति में संबित पात्रा को शामिल किया। मोदी सरकार ने 2017 में उन्हें ओएनजीसी का निदेशक बनाया। संबित पात्रा 2019 में “पुरी” से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि वे चुनाव हार गए थे। संबित पात्रा के तेजतर्रार प्रवक्ताओं मे शामिल होने की वजह से वह अक्सर टीवी डिबेट में विरोधियों पर हावी होते हुए नजर आते हैं।
संबित पात्रा ने भले ही अपना कोई चुनाव ना जीता हो लेकिन भारत से के दूर-दूर इलाके में भी लोग उन्हें जानने लगे हैं। यह उनके बोलने की शैली ही है कि ज्यादातर टीवी बहस में, वह अपने विरोधियों पर भारी पड़ते हैं। अपनी पार्टी के लिए बोलना उनका काम है। उनकी बातें जितनी नाटककिए होती हैं, उतनी ही प्रासंगिक भी। उनकी बहस में इन दोनों का अनूठा मिश्रण होता है।