सोनू सूद जीवनी – Sonu Sood biography in hindi – सुपर हीरो” इस शब्द के मायने हर इंसान के अलग-अलग होते है। सिनेमा प्रेमियों को इस शब्द में जहां कृष, स्पाइडरमैन और बैटमैन की छवि नजर आती है तो वहीं कुछ लोगों की आंखों के सामने यह शब्द सुनते ही अलग-अलग तरह की वर्दी पहने कुछ लोग आ जाते हैं। लेकिन इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास ना तो कृष, स्पाइडरमैन जैसी सुपर पावर होती है और न ही उनके बदन पर ऐसी कोई पोशाक होती है जिससे हम उनके नाम और काम का अंदाजा लगा सके। मगर इन लोगों के मन में वही विचार, वही सोच और वही जुनून होता है जिसके कारण डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। सोनू सूद ने अपने हुनर के चलते जहां शोहरत और पहचान हासिल की तो वही करो ना काल के दौरान किए गए अपने कामों के कारण लोगों की दुआओं और प्यार को भी प्राप्त कर रहे हैं।
सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को पंजाब के “मोगा” शहर में हुआ था। उन के पिता का नाम “शक्ति सागर सूद” है जो कपड़ों के व्यापारी हैं और उसकी मां का नाम “सरोज सूद” है जो कॉलेज में अंग्रेजी विषय के प्रोफेसर के तौर पर काम करती थी। सोनू सूद अपने पिता की दूसरी संतान है इनकी बड़ी बहन का नाम “मोनिका सूद” है जो एक वैज्ञानिक है और उनकी छोटी बहन का नाम “मालविका” है।
उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मोगा शहर के “Sacred Heart School” से पूरी की थी और “यशवंतराव चौहान कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग” स्कूल से “इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग” में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। बचपन में सोनू सूद को फिल्में देखने का बहुत शौक था और यहीं से सोनू सूद के मन में फिल्मों में काम करने का विचार भी आने लगा था। कॉलेज के दिनों में यह विचार परवान चढ़ने लगा इसके चलते सोनू ने अपने पसंदीदा हॉलीवुड एक्टर “सिल्वेस्टर सोलवन” की तरह बॉडी बनाना शुरू कर दिया और अपने दोस्तों के कहने पर मॉडलिंग में भी हाथ आजमाने लगे। सोनू सूद को सबसे पहले मॉडलिंग के लिए ₹500 मिले थे, जिससे उन्होंने अपने लिए एक जींस खरीदी थी। अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते ही सोनू ने अपनी मां को एक्टर बनने की चाहत के बारे में बताया और उनसे डेढ़ साल का वक्त मांगा और कहा कि अगर कितने समय में भी कुछ नहीं हुआ तो वह परिवार का व्यवसाय संभाल लेंगे। माता-पिता से अनुमति मिलने के बाद सोनू सूद 5500 रुपए लेकर मुंबई आ गए लेकिन यहां आकर उन्हें पता चला कि जिंदगी की जंग इतनी आसान नहीं है जितना वह समझ रहे थे।
मुंबई में आने के बाद सोनू ने एक प्राइवेट फॉर्म में काम करना शुरू कर दिया और पैसे बचाने के लिए 6 लोगों के साथ एक कमरे में रहने लगे। साथ ही अपने काम को देखते हुए सोनू ने “बोरीवली” से लेकर “चर्चगेट” तक ट्रेन का “मासिक पास” भी ले लिया था। सोनू सूद फॉर्म में काम करने के लिए हर महीने के 4500 रुपए मिलते थे, जिन्हें वह संभाल कर और बचा कर रखते थे। सोनू सूद अपने फॉर्म के काम के साथ-साथ खाली समय में, जगह जगह अपनी फोटो लेकर काम घूमने निकल जाते थे। जहां कुछ लोग उन्हें रिजेक्ट कर देते थे कुछ लोग उनका मजाक उड़ाते हुए कहते थे कि तुम एक्टर नहीं बन सकते और तुम इस काम के लायक नहीं हो। कई बार तो ऐसा भी होता था कि लोग उनके मुंह पर अपने घर का दरवाजा भी बंद कर देते थे लेकिन सोनू सूद ने अपना काम जारी रखा। सोनू सूद ने मॉडलिंग के करियर को, फिल्मी दुनिया में दाखिल होने के लिए एक रास्ते के तौर पर चुना था। उन्होंने 1996 में “मिस्टर इंडिया कांटेक्ट” मे भी हिस्सा लिया था जिसमें सोनू “टॉप फाइव” में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहे। मॉडलिंग के करियर में इतनी बड़ी कामयाबी मिलने के बाद उन्हें ऐड फिल्मों में काम करने के ऑफर मिलने लगे थे लेकिन फिल्मों की मंजिल अभी दूर थी।
इसी दौरान सोनू को “जूतों के ऐड” लिए चुना गया था जिसके लिए उन्हें ₹9000 मिले थे लेकिन सोनू सूद का सपना तो फिल्मों में काम करने का था। इसीलिए वह ऐड फिल्मों में काम करके खुश नहीं थे। आखिरकार उन्हें 1999 में उन्हें “काला अजगर” नाम की तमिल फिल्म के लिए सिलेक्ट किया गया था जिसमें सोनू सूद को नेगेटिव किरदार निभाना था।<br>सोनू सूद इस फिल्म को किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहते थे और इसीलिए वह इस फिल्म के संवाद को वह हर वक्त पर रटते रहते थे ताकि फिल्म के सेट पर उन्हें संवाद बोलने में कठिनाई ना हो और वह सिर्फ एक्टिंग पर ध्यान दे सकें। इसके बाद सन् 2000 में सोनू सूद को अपनी पहली तेलुगू फिल्म “Hands up” मिली, जिस फिल्म में उनके साथ साउथ के कई बड़े अभिनेताओं ने काम किया। उसके बाद सोनू सूद को हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म 2002 में शहीद-ए-आजम मिली, जिसमें उन्होंने भगत सिंह का किरदार निभाया था। सोनू सूद को हिंदी सिनेमा में पहचान 2004 में मिली। 2004 में फिल्म “युवा” आई थी जिसमें उनके साथ अभिषेक बच्चन और अजय देवगन जैसे कलाकारों ने काम किया था। इसके बाद सोनू सूद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आशिक बनाया आपने, अशोक और चंद्रमुखी जैसी फिल्मों के जरिए खुद को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर लिया। 2007 में सोनू सूद की मां का देहांत हो गया और इस घटना ने उन्हें एक बार फिर तोड़ दिया।सोनू सूद की मां ने उनके करियर को खड़ा करने में बहुत मदद की थी। संघर्ष के दौरान जब सोनू दुखी हो जाते थे तो उनकी मां सोनू को खत भेजा करती थी जिन्हें पढ़कर सोनू सूद को यह विश्वास मिलता था कि उनका परिवार अब भी उनके साथ है। इतना ही नहीं सोनू जब अपनी पहली फिल्म को साइन करने चेन्नई जा रहे थे, तब इनकी मां ने उनके लिए किताब भेजी थी, जिसमें तमिल भाषा के शब्दों का हिंदी में अनुवाद लिखा था। सोनू सूद ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां द्वारा लिखा गया हर खत आज भी उनके पास है जिससे वह पढ़ते रहते हैं। 2008 में सोनू सूद ने “जोधा अकबर” फिल्म में “सुरजा मल” का किरदार निभाया था। उसके लिए उन्हें “फिल्म फेयर अवार्ड” के लिए नामांकन किया गया था। 2010 में आई फिल्म “दबंग” सोनू सूद की करियर की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक है। उसने द्वारा निभाए गए “छेदी सिंह” के किरदार ने इन्हें विलेन के रूप में मशहूर कर दिया था।
2009 में आई तेलुगु फिल्म सोनू सूद के करियर में बहुत बड़ा मकाम रखती है क्योंकि इस फिल्म के लिए उन्हें साउथ फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा अवार्ड “नंदी अवार्ड” मिला था। सोनू सूद इस अवार्ड को प्राप्त करने वाले सबसे पहले नॉन सऊदी एक्टर हैं इसके अलावा सोनू सूद फिल्म जगत के सबसे बड़े अभिनेताओं में से एक “जैकी चैग” के साथ “कुंग फू योगा” में भी नजर आ चुके हैं।
सोनू सूद का कैरियर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। जिसमें उन्हें एक बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी का सामना भी करना पड़ा था। दरअसल कंगना रनौत ने आरोप लगाया था कि सोनू सूद ने उनकी फिल्म मणिकर्णिका इसलिए छोड़ दी थी क्योंकि वह एक महिला के डायरेक्शन के नीचे काम नहीं करना चाहते थे। सोनू सूद ने शाहरुख को यह कह कर टाल दिया कि वह मणिकर्णिका से पहले भी एक महिला के डायरेक्शन में काम कर चुके हैं। 2014 में आई हॉलीवुड फिल्म “द लेजंड ऑफ हरक्यूलिस” के हिंदी डबिंग में हरक्यूलिस के लिए सोनू सूद ने अपनी आवाज दी थी। उसके अलावा सोनू सूद ने वर्ष 2009 में एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम कर चुके हैं जिसका नाम “city of life” है जिसमें सोनू सूद एक ऐसे कैब ड्राइवर की भूमिका निभाती दिखाई देते हैं जो एक्टर बनना चाहता है।
सोनू सूद एक अच्छी छवि वाले, अच्छे दिलवाले और सच्चे दिल के इंसान हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उन्होंने हाल ही में कोरोना काल के दौरान अलग-अलग जगहों से मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के साथ किया है। सोनू सूद को इस काम के लिए यूएनडीपी की तरफ से “स्पेशल ह्यूमैनिटेरियन एक्शन अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा भी सोनू सूद कई लोगों की मदद करते नजर आते हैं जिसमें किसान के घर उन्होंने ट्रैक्टर भेजा और प्रवासी रोजगार (PRAVASI ROJGAR) ऐप से लोगों को काम दिलवाया।
सोनू सोनू सूद को मिले अवार्ड ओ में नंदी अवार्ड के अलावा, फिल्म फेयर अवार्ड, अप्सरा अवार्ड और आईफा अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। 2016 में सोनू सूद ने अपने पिता के नाम पर एक प्रोडक्शन हाउस शुरू किया था जिसकी पहली फिल्म भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी “पीवी सिंधु” के जीवन पर आधारित थी। 1996 में उन्होंने अपनी कॉलेज की दोस्त “सोनाली” से शादी की थी जिससे इनको दो बेटे हैं एक का नाम “ईशान” और दूसरे का नाम “अयान” है।
एक्टर सोनू सूद जिस तरह से गरीबों की मदद कर रहे हैं यकीनन वह काबिले तारीफ है। देश और दुनिया में सोनू की मदद के चर्चे हो रहे हैं। हाल यह है कि देश के कई हिस्सों में सोनू सूद के नाम के मंदिर बनवाए गए हैं और लोग उनकी पूजा कर रहे हैं। सोनू को भगवान का दर्जा दे दिया गया है। भारतीय “स्पाइसजेट” ने भी सोनू सूद को सम्मान दिया है उन्होंने स्पाइसजेट के अपने प्लेन पर, सोनू सूद की बड़ी सी तस्वीर बनाई है, जिसमें यह दिखाया गया है कि मुश्किल समय में सोनू सूद लोगों के रक्षक बने हैं।
बहुत बढ़िया