Narendra Bansal biography in hindi – “मिल ही जाएगी मंजिल, भटकते भटकते
गुमराह तो वो है, जो घर से निकले ही नहीं।”
“INTEX” ब्रांड के संस्थापक श्री नरेंद्र बंसल “इंटेक्स टेक्नोलॉजी” के चेयरमैन और “मैनेजिंग डायरेक्टर” है, जिन्होंने अपने जीवन में सभी तरह के उतार-चढ़ाव देखे। एक समय ऐसा भी था, जब वह अपने दोस्त से उधार लिए कैमरे से, दिल्ली के बिरला मंदिर के बाहर खड़े होकर टूरिस्ट की फोटो खींचकर, उस फोटो को चाबी के छल्ले पर लगाकर पैसा कमाया करते थे। परंतु अब उनकी कंपनी का टर्नओवर 6500 crore है और लगभग 11 हजार कर्मचारी उनकी कंपनी में काम करते हैं। उनकी मेहनत और लगन से स्टिकर पर छपा नाम “ब्रांड” बन गया।
नरेंद्र बंसल को उनके मित्र “स्टीकर लगाने से ब्रांड नहीं बनता बंसल साहब” ऐसा कहकर उन पर तंज कसा करते थे, परंतु जब उन्होंने अपने ब्रांड का पहला प्रोडक्ट मार्केट में बेचना शुरू किया था। तब शायद उनके भी दोस्त यह नहीं जानते थे कि स्टिकर पर छपा नाम ही एक दिन इतना बड़ा ब्रांड बनेगा। देश के हर कोने में इस ब्रांड के प्रोडक्ट नजर आएंगे और उस ब्रांड का नाम है “INTEX” ।
नरेंद्र बंसल ने कुछ नया करने का जुनून, सूझबूझ और मेहनत के दम पर कंपनी खडी कर दी। नरेंद्र बंसल की कंपनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल बनाने वाली कंपनी है। इसके अलावा इंटेक्स टेक्नोलॉजीज टीवी, यूपीएस, वेबकैम, होम थिएटर, स्पीकर और वॉशिंग मशीन जैसी बहुत सारी चीजें बनाती है।
नरेंद्र बंसल का जन्म सन 1963 मे राजस्थान के “भद्रा” नाम के गांव में हुआ। उनके पिता का नाम “भवरलाल बंसल” था, जो अनाज का कारोबार करते थे। नरेंद्र बंसल की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल से हुई और फिर उनका पूरा परिवार नेपाल चला गया। जहां उन्होंने “विश्व निकेतन हाई स्कूल” से दसवीं की पढ़ाई की। एक बार फिर से 1980 में उनका परिवार दिल्ली आ गया और वहां पर नरेंद्र बंसल ने अपनी 12वीं की पढ़ाई “सरकारी स्कूल” से पूरी की। 1986 में उन्होंने “स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज कॉमर्स” में अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट कर ली।
नरेंद्र बंसल शुरू से ही एक बिजनेसमैन बनना चाहते थे। उन्हें अपने पिता का काम बिल्कुल भी पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा। नवभारत टाइम्स में एक विज्ञापन देकर उन्होंने कॉर्डलेस फोन की रिपेयरिंग के लिए फ्री होम डिलीवरी और पिकअप सर्विस की शुरूआत की। यह काम ठीक ठाक चलने लगा था लेकिन व्यापार में बहुत ज्यादा तरक्की के संभावनाएं नहीं दिखाई दे रही थी इसलिए उन्होंने इस व्यापार को बंद कर दिया। जब वह कॉलेज में थे तब उन्होंने अपने जेब खर्च के लिए अपने दोस्त के साथ बिरला मंदिर के बाहर फोटो खींचने का काम किया। जिसे वह चाबी के छल्ले पर चिपका कर बेचा करते थे। लेकिन कुछ महीनों तक यह काम करने के बाद उन्हें यह अहसास हो गया कि इस काम से ना तो कोई तजुर्बा हो पाएगा और ना ही पैसे कमा पाएंगे। इसीलिए उन्होंने ऑडियो वीडियो कैसेट बेचने का काम शुरू किया क्योंकि उन दिनों इनकी काफी मांग थी। यहां पर उन्हें अच्छा मुनाफा भी नजर आ रहा था। उन्होंने ऑडियो -वीडियो कैसेट्स को थोक में खरीदकर दिल्ली के चांदनी चौक, साउथ एक्सटेंशन, पालिका बाजार और लाजपत नगर जैसे अलग-अलग रिटेल स्टोर पर बेचना शुरू कर दिया। नरेंद्र बंसल को इस काम में कोई खास पैसा नहीं लगाना पड़ा क्योंकि हर दिन वह कैसेट उठाते और उन्हें बेचकर पैसे इकट्ठे कर लेते थे। इस तरह से अगले कुछ ही महीनों में नरेंद्र बंसल ₹2000 से ₹3000 कमाने लगे थे, जो कि उन दिनों में ठीक ठाक रकम मानी जाती थी। 2 साल बाद जब उनके पास थोड़े पैसे इकट्ठे हो गए तब उन्होंने कुछ बड़ी चीजों पर काम करने की सोची। फिर उन्हें यह पता चला कि भारत में ज्यादातर चीजें चीन और कोरिया के बाजार से आती है। इसीलिए उन्होंने चीन के मार्केट को समझने का निर्णय लिया और फिर कुछ पैसे इकट्ठे करने के बाद नरेंद्र बंसल हॉन्ग कोंग चले गए, जहां जाकर उन्होंने लोकल मार्केट का जायजा लिया और कुछ डीलर से दोस्ती भी कर ली।
यही वह समय था जब भारत में कंप्यूटर आने शुरू हुए थे। नरेंद्र बंसल ने इस मौके का फायदा उठाने के लिए अपने कांटेक्ट का इस्तेमाल किया और वहां से छोटे-छोटे कंप्यूटर एसेसरीज इंपोर्ट करने लगे। उन्होंने कुछ सालों बाद 1994 में ₹20000 का इन्वेस्टमेंट करते हुए अपनी खुद की एक छोटी सी कंपनी खोली। जिसका नाम उन्होंने “IMPEX” रखा। यह कंपनी फ्लॉपी डिस्क, इथरनेट कार्ड और कंप्यूटर से संबंधित छोटे-छोटे पार्ट्स को इंपोर्ट करती थी। अगले 3 साल तक इस कंपनी के जरिए उन्होंने कोरिया और ताइवान जैसे मार्केट में भी अपने कांटेक्ट बना लिए। फिर धीरे धीरे उन्होंने पूरा कंप्यूटर असेंबल करके बेचने का काम शुरू किया । इसके बाद 1996 में नरेंद्र बंसल ने “इंटेक्स टेक्नोलॉजीज” की स्थापना की।
चीन और कोरिया से सीधा माल मंगाने की वजह से उनके द्वारा बेचे जाने वाले प्रोडक्ट दूसरों की अपेक्षा काफी सस्ती थी। यही वजह थी कि कंपनी की स्थापना के पहले ही साल में, कंपनी का टर्नओवर 3000000 पहुंच गया। आगे चलकर नरेंद्र बंसल ने स्पीकर, डीवीडी प्लेयर और होम थिएटर को भी अपने बिजनेस में शामिल कर लिया। सन् 1997 में इंटेक्स के होम थिएटर इतने ज्यादा बिकने शुरू हो गए कि यहां से इस कंपनी ने एक नई ऊंचाइयों को छू लिया।
क्वालिटी और बाकी चीजों पर कंट्रोल के लिए 2001 में छोटे भाई “जयप्रकाश बंसल” चाइना शिफ्ट हो गए और बिजनेस को बढ़ाने के लिए सबसे छोटे भाई “संजय बंसल” 2002 में दुबई शिफ्ट हो गए। 2005 में इंटेक्स ने अपना खुद का मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी खोला, जिसके बाद कंपनी के बहुत सारे प्रोडक्ट अपने देश में ही बनाए जाने लगे। आगे चलकर मोबाइल की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए इंटेक्स ने मोबाइल फोन बनाना भी शुरू किया। आज के समय में इंटेक्स, मोबाइल फोन बनाने वाली “भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी” है। इंटेक्स टेक्नोलॉजीज में आज करीब 11000 लोग काम करते हैं। अब नरेंद्र बंसल के साथ-साथ उनके बेटे “केशव बंसल” भी अपने पिता के इस बिजनेस को बढ़ाने में लगे हुए हैं। नरेंद्र बंसल अपने दिमाग को चलाते हुए छोटे-छोटे स्टेप्स के साथ आगे बढ़े और सफल हुए।
नरेंद्र बंसल की मेहनत और संघर्ष को देखकर हम सब को समझना चाहिए कि सफलता का आधार सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास ही है। जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर करती है, मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है।
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