Rajat Sharma biography in hindi – “बेटा तुम किसी और को देखने के लिए लोगों के घरों पर टीवी देखने जाते हो, अगर हिम्मत है तो कुछ ऐसा करके दिखाओ जिससे लोग तुम्हें टीवी पर देखें।”
यही लाइन थी जिसने एक बेहद ही गरीब परिवार के बच्चे को एलिवेशन का जाना माना चेहरा बना दिया। इंडिया टीवी के चेयरमैन और चीफ एडिटर रजत शर्मा जिनका TV show “आप की अदालत” आज कई दशकों से बहुत ही प्रसिद्ध है। इस शो में उनके प्रश्न पूछने का अंदाज कुछ ऐसा होता है कि उनके हर सवाल का जवाब भी मिल जाता है और कोई बुरा भी नहीं मानता । रजत शर्मा आज बहुत प्रसिद्ध और जाना माना चेहरा है ।
रजत शर्मा एक जाने-माने जर्नलिस्ट है। इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन चीफ है। रजत शर्मा “न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया” के प्रेसिडेंट और “स्ट्रैटेजिक स्टैंडर्ड अफेयर्स ऑफ द इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन” के वाइस प्रेसिडेंट हैं।
लैंप पोस्ट के नीचे बैठकर पढ़ने वाला बच्चे का, एक दिन इतना बड़ा आदमी बनना और ऊंचाइयों को छूना, हर घर में उसके नाम की पहचान होना, यह सफर इतना आसान नहीं था। परंतु हर बढ़ते हुए साल के साथ-साथ रजत शर्मा जी ने अपने सपनों को साकार करने की लड़ाई जारी रखी। आज वह सफलता के शिखर पर हैं।
रजत शर्मा ने बेहद ही गरीबी में अपना जीवन बिताया। एक कमरे के छोटे से मकान में अपनी बड़ी सी फैमिली के साथ उन्होंने गुजारा किया और रेलवे स्टेशन की लाइट में उन्होंने पढ़ाई की। लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि
“वह सफलता ही क्या, जो बिना संघर्ष के मिल जाए जो लोग अपनी लाइफ में कितना स्ट्रगल करते हैं वह अपनी लाइफ में उतना ही आगे जाते हैं।”
रजत शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1957 को दिल्ली में हुआ था। वह अपने माता पिता, पांच भाई और एक बहन के साथ पुरानी दिल्ली के सब्जी मंडी के पास एक छोटे से मकान में रहते थे। इसे मकान ना कहा जाए तो ही अच्छा है क्योंकि दरअसल बस एक छोटा सा, 100 स्क्वायर फीट का एक कमरा था। जहां पर घर के नौ लोग सो भी नहीं पाते थे। इसी लिए एक के ऊपर एक तख्त लगा कर सोना पड़ता था। इन्हें और इनके परिवार को ना तो नहाने के लिए पानी मिलता था और ना ही बिजली की व्यवस्था थी। नहाने के लिए उन्हें म्युनिसिपालिटी के नल पर जाना पड़ता था। रात में पढ़ाई के लिए वे स्टेशन के लैंप पोस्ट के नीचे चले जाते। रजत हमेशा से पढ़ाई में अच्छे थे उन्हें पता था कि अगर इस गरीबी से छुटकारा पाना है तो इसका एक ही उपाय है पढ़ाई करके अच्छी सी नौकरी पाना। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पास के ही एक म्युनिसिपालिटी स्कूल “सनातन धर्म स्कूल” से की। उस वक्त बहुत ही कम लोगों के पास टीवी हुआ करते थे और जाहिर सी बात है कि रजत का गरीब परिवार इतना गरीब था कि वह लोग टीवी नहीं ले सकते थे इसीलिए रजत अक्सर अपने पड़ोसी के यहां टीवी देखने जाया करते थे। लेकिन एक दिन जब रजत “शहीद” फिल्म देखने अपने पड़ोसी के यहां गए तो उन्होंने घर का दरवाजा बंद कर लिया और रजत को अपने घर नहीं आने दिया। रजत निराश होकर अपने घर वापस आ गए और यह बात उन्होंने अपने पिता को बताई। उनके पिता ने कहा कि बेटा तुम किसी और को देखने के लिए लोगों के घरों में टीवी देखने जाते हो, लेकिन अगर हिम्मत है तो कुछ ऐसा करके दिखाओ जिससे लोग तुम्हें टीवी पर देखें। बस फिर क्या था यह बात रजत ने अपने मन में ठान ली कि वह कुछ ना कुछ जरूर करके दिखाएंगे।
आगे चलकर रजत ने स्कूल में पढ़ाई की। लेकिन जब कॉलेज में पढ़ाई की बारी आई तो उनके पास कॉलेज की फीस देने के लिए पैसे ही नहीं थे तब उनके सीनियर अरुण जेटली ने उनकी सहायता की और रजत शर्मा ने भी भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। यह वही अरुण जेटली हैं जो वित्त मंत्री रह चुके हैं। रजत शर्मा ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की। साथ ही वह अपने कॉलेज के दौरान “जयप्रकाश मूवमेंट” से भी जुड़े थे। जिस वजह से इमरजेंसी लगने के बाद उन्हें कुछ महीने तक तिहाड़ जेल में भी बिताने पड़े। कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद वह नौकरी की तलाश में लग गए और तभी उनकी मुलाकात जर्नलिस्ट “जनार्दन ठाकुर” से हुई जिन्होंने उसी समय “आनंदा बाजार पत्रिका” छोड़ी थी। जनार्दन ठाकुर “Syndicate Columns” लिखने की तैयारी कर रहे थे। जनार्दन ने रजत को एक शोधकर्ता के तौर पर नौकरी पर रख लिया और उन्हें ₹400 हर महीने की सैलरी देने लगे। तभी रजत शर्मा ने उनके लिए रिसर्च किए हुए कुछ टॉपिक को इस्तेमाल करने के लिए उनसे आज्ञा मांगी और फिर उन्हें इंफॉर्मेशन के जरिए उन्होंने “Onlooker” के लिए अपनी पहली स्टोरी लिखी। जिसके लिए उन्हें कुल ₹300 मिले और उनका झुकाव इस क्षेत्र में और भी बढ़ गया।
1982 में रजत ने “ONLOOKER” में ही नौकरी ज्वाइन कर ली। जहां उन्हें एक ट्रेनी रिपोर्टर के तौर पर शामिल किया गया था, लेकिन 2 साल के अंदर ही अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर वह “BUREAU CHIEF” बन गए और इस तरह से अब धीरे-धीरे रजत की लाइफ पटरी पर लौट चुकी थी।
लेकिन रजत की जिंदगी में सबसेे बड़ा टर्निंग प्वाइंट 1992 में आया जब दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट में उनके कॉलेज के मित्र गुलशन ग्रोवर ने उन्हें Zee Network के चेयरमैन “सुभाष चंद्रा” से मिलवाया तभी सुभाष से बातचीत के दौरान उनके दिमाग में अदालत की तरह इंटरव्यू लेने का आइडिया आया था। रजत प्रिंट मीडिया में तो बहुत सारे काम कर चुके थे, लेकिन टीवी में काम करना उनके लिए बिल्कुल ही नया था लेकिन उन्होंने बखूबी इस काम को अंजाम दिया। फिर 14 मार्च 1993 को “आपकी अदालत” का पहला एपिसोड टीवी पर दिखाया गया। जिसमें “लालू प्रसाद यादव” मेहमान थे और उस समय उनकी प्रसिद्धि चरम सीमा पर थी। यहीं से धीरे-धीरे करके यह शो इतना मशहूर हुआ कि रजत शर्मा एक स्टार बन गए। 2004 में उन्होंने खुद का न्यूज़ चैनल शुरू किया हालांकि शुरुआती दिन उन के लिए अच्छे नहीं रहे, यहां तक कि उन्हें अपनी प्रॉपर्टी बेचकर कर्मचारियों को तनख्वाह देनी पड़ी। लेकिन अपने तरीकों में बदलाव लाने के बाद “इंडिया टीवी” बहुत जल्द ही देश के सबसे बड़े न्यूज़ चैनलों में शामिल हो गया। रजत शर्मा ने भी “आप की अदालत” शो अपने चैनल पर शिफ्ट कर लिया था। 2015 में उन्हें भारत सरकार ने शिक्षा और साहित्य में योगदान के लिए भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया।
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