हेलन केलर जीवनी Helen Keller biography in hindi – हेलन केलर पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है। जिन्होंने अपने जीवन के कुछ सिद्धांतों और नेक इरादों के दम पर, मानवता की एक मिसाल कायम की है। 19 महीने की उम्र में इनकी बोलने, देखने और सुनने की शक्ति चली गई थी लेकिन इसके बावजूद भी इन्होंने अपने कामों से साबित कर दिखाया है कि शरीर की अपंगता, किसी भी व्यक्ति के लिए पढ़ने लिखने और बोलने में बाधा नहीं कर सकती है।
हेलन केलर का जन्म 27 जून सन 1880 को “ALABAMA” अमेरिका में हुआ था। इनके पिता “ऑथर हैनले किलर” ने एक समाचार पत्र के एडिटर के तौर पर कई सालों तक काम किया और इसके बाद एक आर्मी के कैप्टन भी रहे। इनकी माता कैथरीन एडस्केलर एक ग्रहणी थी।
हेनरी किलर जब 19 महीने की थी तभी एक भयंकर बीमारी से ग्रसित हो गई जिस से हेलेन की देखने, बोलने और सुनने की शक्ति चली गई। एक हंसती खेलती हेलेन को इस दशा में देखकर उनके माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट गया। हेलन को उनके माता-पिता ने कई डॉक्टर को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ। उनके माता-पिता को अंदाजा था कि उनकी बेटी शारीरिक अक्षमता से लड़ने की ताकत रखती है। हेलन बचपन से ही और बच्चों के मुकाबले ज्यादा होशियार थी, लेकिन शारीरिक अपंगता के कारण वह दूसरे बच्चों के साथ खेल नहीं पाती थी। बढ़ती उम्र के साथ धीरे धीरे हेलन सुघकर और छूकर चीजों को को पहचानने लगी थी और इसी तरह इशारे से अपने परिवार वालों को अपनी बातें समझा देती थी। हालांकि कभी-कभी वह अपनी इस स्थिति से परेशान हो जाया करती थी और वह अपने छोटे भाई बहनों पर गुस्सा करती थी। कभी तो वह खुद को भी नुकसान पहुंचा दिया करती थी। हेलन के माता-पिता हेलन को ऐसी स्थिति देखकर परेशान हो जाया करते थे।
उनके माता-पिता ने विचार किया कि हेलन को पढ़ने के लिए स्कूल भेजा जाए। इस दौरान हेलन की मां को ऐसी संस्था के बारे में पता चलता है जो शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के जिंदगी में सुधार लाने के लिए काम करती है जिसके बाद उनकी मां उस संस्था के पास मदद के लिए गई। इस समय हेलन मात्र 6 साल की थी। उनको एक अध्यापिका मिली जिनका नाम “Anne Sullivan” था, जो मूक- बघिर बच्चों को पढ़ाती थी। जब एनी पहली बार हेलन के घर पहुंची, तब हेलन की मां हेलेन के व्यवहार को लेकर चिंतित थी। एनी ने न केवल हेलन को पढ़ाया बल्कि अपनी शिक्षा से हेलन के अंदर धीरे-धीरे सीखने और काम करने की ललक पैदा करी। एनी ने हेलन के माता-पिता को समझाया कि वह हेलन के साथ बिल्कुल सामान्य व्यक्ति की तरह बर्ताव करें। इससे हेलन को आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। इसके लिए उन्होंने हेलन को अपने पास रखने की इच्छा जताई ताकि वह एकांत में और अच्छे से चीजों को सीख और समझ सके। हेलन के माता-पिता ने हेलन को टीचर के साथ रहने की इजाजत दे दी। अपनी टीचर के साथ रहते हुए धीरे-धीरे हेलन के व्यवहार में बदलाव आना शुरू हो गया। वह जिद्दी और चिड़चिड़े स्वभाव से बदलकर अब एक सरल विनम्र और हंसमुख हेलन बन गई थी। हेलन की टीचर भी देख नहीं सकती थी, इस कारण वह हेलन की पीड़ा को काफी अच्छे से समझती थी। इसके चलते वह हेलन की एक आदर्श गुरु बनी और हेलन पर मेहनत करती गई, जब तक कि हेलन पूरी तरह सब चीजें समझ नहीं गई।
हेलन बचपन से काफी बुद्धिमान होशियार थी जिसके चलते उन्होंने बेहद ही कम समय में जर्मन, फ्रेंच, अंग्रेजी और कहीं भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया। साथ ही “हावर्ड यूनिवर्सिटी” से B.A आर्ट्स में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की । हेलन को पढ़ाई के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था। जैसे ब्रेल लिपि में सभी किताबों का उपलब्ध ना होना, किसी विषय के डायग्राम समझने में उन्हें काफी परेशानी होती थी, लेकिन हेलन के अंदर सीखने की चाहत इस कदर थी कि यह सारी मुसीबतें उन्हें रोक नहीं पाई और इस तरह वह ग्रेजुएशन करने वाली “मूक- बघिर” दुनिया की पहली महिला बन गई।
इसके अलावा हेलन की स्पर्श इंद्रिय कितनी संवेदनशील थी कि गाने वाले का गले को छूकर वह गाने का आनंद ले लेती थी और हाथ मिलाते ही परिजनों को पहचान लेती थी और यह भी बता देती थी कि वह व्यक्ति गुस्से में या आनंद में है। वह अपने जीवन में तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए यह जानती थी कि कोई अन्य व्यक्ति इस तरह की परेशानी का सामना कैसे करता है। वह हमेशा से ही मूक- बघिर बच्चों को पढ़ाने के लिए आवाज उठाती रही।
उनका मानना था कि कोई व्यक्ति शिक्षा मात्र से ही आत्मनिर्भर बन सकता है। साहसी और निडर हेलन ने अपनी जिंदगी के अनुभव को “BRAILLE LIPI” में करीब 9 किताबें लिखी। उनके द्वारा लिखित किताबों ने लोगों को काफी प्रभावित किया। “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ” उनकी मशहूर किताबों में से एक थी। उनकी इस किताब को 50 से भी ज्यादा भाषाओं में प्रकाशित किया गया । हेलन केलर दूरगामी सोच वाली एक अद्भुत महिला थी जिनके जीवन पर एक बॉलीवुड फिल्म “ब्लैक” भी बन चुकी है। जिसमें बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन इस फिल्म के मुख्य रोल में थे और एक हॉलीवुड मूवी “द मेराकल वर्कर” भी इनकी जिंदगी पर बनी है।
1968 मे दिल का दौरा पड़ने से हेलेन केलर इस दुनिया को अलविदा कह गई, लेकिन दुनिया इन्हें इनके महान कामों के लिए हमेशा याद करेगी। हेलन केलर ना केवल लोगों के लिए एक उदाहरण बनी बल्कि एक मशहूर लेखिका और एक लेक्चरर भी बनी।
हेलेन केलर का विचार है।
“दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजें ना तो देखी जा सकती हैं, ना ही छीनी जा सकती है।वह तो सिर्फ और सिर्फ दिल से महसूस की जा सकती हैं।”