मनमोहन सिंह जीवनी Manmohan Singh biography in hindi – मनमोहन सिंह हमारे देश के 13 वे प्रधानमंत्री रहे और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने 10 सालों तक भारत पर शासन किया। राजनीति में आने से पहले वह सरकारी नौकरी किया करते थे जहां उन्हें उत्कृष्ट कार्यो के लिए बहुत सम्मान भी मिले। बाकी कुछ सालों में वह राजनेता बन गए। उनके शासनकाल के दौरान भारत की आर्थिक मुद्रा स्थिति में एक आमूल परिवर्तन आया। उनकी विलक्षण योगदान के लिए उन्हें भारत की आर्थिक नवीनीकरण का “आधारभूत निर्माता” कहा जाता है। लेकिन इस महान अर्थशास्त्री का बचपन बहुत मुश्किलों से गुजरा था। उन्होंने अपनी छोटी उम्र में देश का बंटवारा भी देखा।
बंटवारे में अपना सब कछ गवाने के बाद, पाकिस्तान से भारत के अमृतसर में बसने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के “Gah” स्थान पर एक सिख परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम गुरुमुख सिंह था और इनकी माता का नाम अमृत कौर था। बचपन में ही मनमोहन सिंह की मां का देहांत हो गया था। जिसके बाद उनकी दादी ने उनकी परवरिश की, जिनके वह सबसे करीब थे। बचपन से वह पढ़ाई में काफी होशियार थे जिसके कारण अक्सर अपनी क्लास में प्रथम आया करते थे। देश के विभाजन के बाद जब उनका परिवार अमृतसर आया, तब उन्होंने अमृतसर के “हिंदू कॉलेज” में दाखिला ले लिया। यहां से 12वीं पास करने के बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी होशियारपुर से अर्थशास्त्र का अध्ययन किया।
उन्होंने 1952 में बैचलर्स की डिग्री और 1954 में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की और वह अपने पूरे शैक्षणिक कार्य में पहले स्थान पर रहे। बैचलर और मास्टर्स में अच्छे नंबरों से पास होने के बाद उन्होंने 1957 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अपना “इकोनॉमिक्स स्ट्राइपॉज” पूरा किया। यह यूनिवर्सिटी का 3 साल का ग्रेजुएशन कोर्स है और यहां पर काफी अच्छे अंक लाने पर ही एडमिशन मिलता है। इसके बाद वह भारत आ गए और पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। सन 1960 में (D Phil) “डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी” के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए जहां उन्हें “Nuffield College” की सदस्यता मिली।
वहां उनकी रिसर्च थिसिस का टॉपिक “इंडिया एक्सपोर्ट परफॉर्मेंस” था। यानी कि भारत का निर्यात प्रदर्शन और
1951 से 1960 निर्यात संभावनाएं और नीतिगत नीति हार्ड। उनकी यह रिसर्च बाद में हमारे देश के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध हुई। इसके बाद उन्होंने 1966 से 1969 तक “यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस एंड ट्रेड एंड डेवलपमेंट” के लिए भी काम किया। फिर 1969 से 1971 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में “इंटरनेशनल ट्रेड “के प्रोफेसर रहे।1972 मैं इनकी योग्यता और उनके रिसर्च को देखते हुए इन्हें मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस में “चीफ इकोनामिक एडवाइजर” नियुक्त किया गया और 1976 में यह फाइनेंस मिनिस्ट्री के “सेक्रेटरी” रहे। 1980 से 1982 तक प्लानिंग कमीशन में भी रहे। 1982 से 1985 तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के “गवर्नर” के पद पर है। 1985 से 1986 तक योजना आयोग के “उपाध्यक्ष” बने। 1986 से 1990 तक स्विजरलैंड के जिनेवा में स्थित योजना आयोग के मुख्यालय में “महासचिव” रहे। मनमोहन सिंह जी ने अपने जीवन में अनेक पदों पर कार्य किया है। ऐसा कोई भी उच्च सरकारी पद नहीं था जिसमें उन्होंने कार्य नहीं किया हो। 1990 में जब वह भारत लौटे, तब उन्हें वी पी सिंह के कार्यकाल के दौरान आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
जून 1991 में उस समय के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह की योग्यता कार्यकुशलता और तजुर्बे को देखते हुए यह सुनिश्चित किया कि मनमोहन सिंह जी ही उनके “फाइनेंस मिनिस्टर” बने और यहीं से उनका राजनीतिक करियर भी शुरू हो गया। जब मनमोहन सिंह भारत के फाइनेंस मिनिस्टर बने, उस समय हमारा देश बहुत बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था। तब हमारे देश में “परमिट राज”(LicenseRaj) हुआ करता था जिसमें केवल सरकारी कंपनियों को ही किसी भी चीज को बनाने का अधिकार था। इसके चलते देश में बहुत भ्रष्टाचार भर गया था और हमारे देश को आर्थिक घाटा हो रहा था। देश पर आर्थिक संकट आ गया था। तब मनमोहन सिंह जी ने परमिट राज को खत्म किया जिससे कि प्राइवेट फॉर्म को फायदा मिलने लगा और देश को आर्थिक सहायता से लाभ हुआ । उन्होंने डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट में आ रही सभी मुश्किलों को भी दूर किया। इसके बाद 1998 में मनमोहन सिंह जी राज्यसभा के सदस्य चुने गए और 1998 से 2004 तक राज्यसभा के विपक्ष के नेता रहे। सन् 2004 में हुए आम चुनाव में यूपीए सरकार की जीत हुई। इसके बाद कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को भारत का अगला प्रधानमंत्री घोषित किया। उस समय मनमोहन सिंह लोकसभा के सदस्य भी नहीं थे और बहुत कम लोगों उन्हें जानते पहचानते थे। राजनीति में वह अपनी साफ छवि रखते थे और उन्होंने कभी गंदी राजनीति नहीं खेली।
मनमोहन सिंह जी ने 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। एक अच्छे अर्थशास्त्री होने के नाते उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया और उस मंत्रालय का काम अपनी देखरेख में ही रखा। वित्त मंत्री वी पी चिदंबरम के साथ मिलकर उन्होंने देश के बाजार व अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया। सन 2007 में भारत की जीडीपी यानी ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट की ग्रोथ को 9% तक बढ़ाने में सफल रहे, जिसके साथ भारत उस समय दुनिया का दूसरे नंबर का अर्थ व्यवस्था ग्रोथ वाला देश बन गया था।
मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्री काल में बहुत सारी योजना भी शुरू की। उनके नेतृत्व में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई थी इस कार्य की दुनिया भर में लोगों ने सराहना की। उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा क्षेत्र में भी काफी सुधार हुआ। सरकार ने पिछड़ी जाति और समाज के लोगों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की सफल कोशिश की। मनमोहन सिंह की सरकार ने आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कई कानून पारित किए। 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रीय जांच सुरक्षा एजेंसी यानी एनआईए का गठन किया गया। 2009 में ई -प्रशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने हेतु भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का गठन किया गया। जिस के अंतर्गत लोगों को बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र देने की घोषणा की गई इस सरकार ने अलग-अलग देशों के साथ मजबूत रिश्ते बनाए। पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में शुरू की गई व्यापारिक विदेश नीति का मौजूदा काल में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया।
मनमोहन सिंह जी ने चीन के साथ सड़क विवाद और कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने की कोशिश की। विवादास्पद भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की विपक्ष द्वारा बहिष्कार करने के बावजूद सरकार ने यह समझौता किया। 15 वी लोकसभा के चुनाव नतीजे यूपी के लिए बहुत सकारात्मक रही और मनमोहन सिंह को 22 मई 2009 को एक बार फिर से भारत में प्रधानमंत्री चुना गया। जवाहर लाल नेहरू के बाद मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से प्रधानमंत्री चुना गया।
मनमोहन सिंह ने 1958 में गुरुशरण कौर से शादी की थी। उनको तीन बेटियां उपेंद्र, अमृत और दमन है। उनकी बेटी उपेंद्र दिल्ली यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर है। दूसरी बेटी अमृत अमेरिकन सिविल लिबर्टी में काम करती हैं और तीसरी बेटी दमन मे एक ग्रहणी है जिन्होंने एक आईपीएस ऑफिसर से शादी की है।
मनमोहन सिंह भारत के सबसे बड़े अर्थशास्त्री है। भारत को वैश्वीकरण की ओर अग्रसर करने का श्रेय मनमोहन सिंह ही जाता है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था पर ऐसी किताबें लिखी है जो कि इस क्षेत्र में स्तंभ के समान है। उनके द्वारा लिखी गई किताब “चेंजिंग इंडिया” को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित कराया गया है। इस किताब का विमोचन 18 दिसंबर 2018 को स्वयं मनमोहन सिंह द्वारा ही किया गया था।
मनमोहन सिंह को अब तक के जीवन काल में अनेक अवार्ड मिले हैं:
- 1982 में सेंट जॉन्स कॉलेज से मनमोहन को सम्मानित किया गया।
- 1987 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सबसे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
- 1994 लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ने उन्हें प्रतिशत अदिता के रूप में उन्हें चुना
- 1999 में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान संस्थान नई दिल्ली द्वारा मनमोहन सिंह जी को सदस्यता दी गई।
- 2002 में अन्ना साहेब चिर्मूले ट्रस्ट द्वारा अन्नासाहेब चिरमुरे पुरस्कार से सम्मानित किया।
- 2004 मे भारतीय संसद ग्रुप में मनमोहन सिंह जी को संसदीय अवार्ड से सम्मानित किया।
- 2010 में अपील और फाउंडेशन ने मनमोहन सिंह जी को वर्ल्ड स्टेटमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।
संजय बारू ने मनमोहन सिंह जी के जीवन पर एक किताब लिखी थी। इस किताब का नाम “एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” था। मनमोहन सिंह के बहुत ही शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं उन्होंने कभी भी राजनीति में सत्ता की आड़ में किसी को बुरा भला नहीं कहा। वह अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करते रहे हैं। यही वजह है देशवासी उन्हें आज भी सम्मान और आदर की दृष्टि से देखते हैं।