रेमो डीसूजा जीवनी Remo D’Souza biography in hindi – अपने सपनों को पूरा करने का, कुछ अलग कर दिखाने का और अपनी एक अलग पहचान बनाने के जुनून ने रेमो डिसूजा को आज बुलंदियों के शिखर पर पहुंचा दिया है।
(रेमो डिसूजा ) गोपी रमेश नैयर का जन्म 12 अप्रैल 1974 को जामनगर की एयर फोर्स कॉलोनी के सर्वेंट क्वार्टर में हुआ। शुरू में रेमो डिसूजा को लोग, रमेश गोपी नैयर के नाम से जानते थे। एक बार रमेश के जीजा जी उन्हें अपने साथ चर्च लेकर गए। तब रमेश गोपी नैयर को, ईसाई धर्म के प्रति एक लगाव महसूस हुआ और उन्होंने अपने परिवार की मदद से अपना धर्म बदल दिया। इस तरह से वह रमेश गोपी से रेमो डिसूजा बन गए।
रेमो के पिता एयर फोर्स में कुक की नौकरी करते थे और सिर्फ घर चलाने लायक ही पैसे कमा पाते थे। रेमो को कपड़ों का बड़ा शौक था लेकिन परिवार की आर्थिक स्थि8ति ठीक ना होने के कारण वह ब्रांडेड कपड़े नहीं खरीद सकते थे इसीलिए संडे मार्केट से सस्ते कपड़े ही खरीदते थे। जैसे जैसे वह बड़े होते गए अपने परिवार के प्रति और जिम्मेदार होने लगे ताकि घर में कुछ पैसे ज्यादा आए। इसके लिए उन्होंने अलग-अलग छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया। रेमो डिसूजा ने बेकरी में , राशन की दुकान में और साइकिल रिपेयरिंग की दुकान में भी काम किया। माता-पिता के पास पैसों की तंगी होने के कारण उन्हें डांस क्लास नहीं भेज सकते थे। उनके घर में टीवी भी नहीं था जिसे देखकर वह डांस सीख सकें। इतनी कमियों के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को जिंदा रखा और जुनून कम नहीं होने दिया।
जब उन्होंने पहली बार माइकल जैक्सन का एक वीडियो डांस देखा तो वह हैरान हो गए और माइकल जैक्सन को ही अपना गुरु मान लिया। उन्होंने माइकल जैक्सन के डांस वीडियोस को देखकर डांस सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपने डांस में एक्स्ट्रा स्टेप्स को जोड़ना करना शुरू किया। जब वह 12th के एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, तब उनके एक दोस्त ने उन्हें एक विज्ञापन के बारे मे बताया, जिसमें मुंबई में कुछ एक्टर्स की जरूरत थी। उस विज्ञापन को देखकर उन्होंने एक पत्र लिखा और उसे पोस्ट कर दिया और एक हफ्ते बाद जब उन्हें जवाब मिला कि वह एक्टर बन सकते हैं। वह अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ कर अपने सपनों को पूरा करने मुंबई के लिए निकल पड़े। उनके माता-पिता ने उन्हें एक महीने का समय दिया और कहा कि अगर एक महीने के अंदर वह कुछ नहीं कर सके तो वह वापस आ जाएंगे।
इसके बाद रेमो डिसूजा जेब में ₹2600 लेकर सपनों के शहर मुंबई के लिए रवाना हो गए और वह उस जगह पहुंचे जहां विज्ञापन में एक्टर के लिए मांग की गई थी। वहां उनसे पैसे ले लिए गए और अगले हफ्ते आने को कहा गया, लेकिन अगले हफ्ते जब वहां पहुंचे तो वहां कोई कंपनी नहीं थी। वह कंपनी फ्रॉड निकली। इस धोखे से नाराज रेमो डिसूजा ने कसम खाई कि जब तक वह सब वापस नहीं पा लेते जो उन्होंने खोया है, तब तक वह मुंबई से कहीं नहीं जाएंगे। उस समय ना तो उनके पास पैसे थे और ना ही कोई काम, जिसे करके वह कुछ पैसा कमा सके।
वह खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें एक परिवार ने अपने घर में रहने दिया और बदले में कभी उनसे कुछ नहीं मांगा। इसके बाद रेमो डिसूजा ने “चुरनी रोड” पर “Dance Brats” के नाम से एक डांस क्लास शुरू की। जिसके बाद जल्द ही अपने तीन और दोस्तों की मदद से उन्होंने एक डांस क्लास अंधेरी में और एक बोरीवली में भी खोल ली। वह सुबह चुरनी रोड मे क्लास लेते, दोपहर को बोरीवली में और शाम को घर जाने से पहले ट्रेन पकड़क अंधेरी में डांस सिखाते। उनकी यह मेहनत रंग लाई। जब ऑल इंडिया डांस कंपटीशन में वह प्रथम आए, तब वह लोगों की नजर में आना शुरू हुए। उस समय अहमद राम गोपाल वर्मा की फिल्म “रंगीला” पर काम कर रहे थे और उन्हें एक नए चेहरे की तलाश थी। जिसके लिए रेमो और उनके दोस्तों को चुन लिया गया लेकिन रेमो के इतने टैलेंटेड होने के बाद भी उन्हें सांवले रंग के कारण रिजेक्ट कर दिया गया। उनके सफर की शुरुआत होने से पहले ही अंत होने जैसा था। लेकिन फिर बाद में किस्मत ने एक और मौका दिया और वापस उनका सिलेक्शन हो गया। वह रंगीला के पहले गाने “आई रे आई रे” के लिए सिलेक्ट हो गए। इसके बाद वह अहमद के साथ काम करने लगे। 1 साल बाद इस तरह काम करते हुए जब उन्हें काफी तजुर्बा हो गया, तब वह खुद के बल पर काम ढूंढने को तैयार थे हालांकि यह आसान नहीं था परंतु रेमो कोशिश करना चाहते थे। और अनुभव सिन्हा ने उन्हें सोनू निगम की पहली एलबम दीवाना में पहला मौका दिया और यह वीडियो बहुत पॉपुलर हुआ। और इसके बाद रेमो 1 दिन में चार म्यूजिक वीडियोस पर काम करने लगे। इसके बाद “तुम बिन” और “कांटे” के डांस वीडियो मशहूर हुए। यह रेमो के लिए एक बड़ी कामयाबी थी और तब से लेकर आज तक उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। “डांस इंडिया डांस” मे जज बनने से लेकर खुद एक फिल्म डायरेक्ट करने तक, उन्होंने वह हर काम किया जिसका उन्होंने कभी सपना देखा था।
आज उन का खुद का शो “डांस प्लस”है, जहां वह अपनी ही तरह आंखों में सपने लेकर आए लोगों की प्रतिभा और उनके हुनर को बढ़ावा देते हैं। डांस कोरियोग्राफी को लेकर उन्होंने कई अवार्ड मिल चुके हैं जिनमें एक अवॉर्ड “नेशनल फिल्म अवॉर्ड फॉर कोरियोग्राफी” है, जो उन्हें फिल्म के गाने “दीवानी मस्तानी” को कोरियोग्राफ करने के लिए मिला है ।
रेमो डिसूजा ने कभी भी अपनी आर्थिक स्थिति को अपनी परेशानियों को, अपने सपने के आड़े आने नहीं दिया। इन्होंने अपने जुनून और अपनी मेहनत से अपना सपना पूरा किया।