अजीत डोभाल जीवनी – Ajit Doval biography in hindi – अजीत डोभाल भारत में “राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार “के रूप में काम कर रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशक से खुफिया एजेंट के तौर पर, उन्होंने देश हित के लिए जो काम किए हैं। वह सभी काम काबिले तारीफ हैं। कई सालों तक अजीत डोभाल पाकिस्तान से खुफिया जानकारियां इकट्ठा करके,भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भेजते रहे हैं।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाना हो ,अमृतसर में “ऑपरेशन ब्लैक थंडर” हो, या प्लेन अपहरणकर्ताओं से जाकर बात करना हो ।हर काम में अजीत डोभाल को ही सबसे आगे रखा जाता है।
अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को ,उत्तराखंड के पौड़ी जिले में के छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता स्वयं भी एक आर्मी अफसर थे ।शायद यही वजह थी कि अजीत डोभाल के अंदर भी शुरू से ही देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।
इन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से की। उसके बाद इन्होंने 1967 में “यूनिवर्सिटी ऑफ आगरा” से इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की ।हालांकि अगर अजीत दोवाल चाहते तो कोई भी आम नौकरी कर सकते थे ।पर देश हित में काम करने के लिए इन्होंने IPS अफसर बनने की ठान ली और फिर 1 साल की तैयारी के बाद 1968 में” केरल आईपीएस बैच” के लिए चुन लिए गए ।और फिर अगले 4 साल उन्होंने देश के हित में बहुत सारे काम किए।
लेकिन 1972 में अजीत डोभाल “इंटेलिजेंस ब्यूरो” से जुड़ गए। अजीत डोभाल ने भारतीय जासूस के तौर पर पाकिस्तान में 7 साल तक काम किया और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने “भारत सुरक्षा एजेंसी” की काफी मदद की ।
इसके अलावा 1971 से 1999 तक भारत में कई प्लेन हाईजैक हुए। 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक में अजीत डोभाल , तीन अन्य लोगों के साथ अपहरणकर्ताओं से मिलने स्वयं गए थे ।
इसके अलावा 1988 में जब कुछ आतंकवादियों ने अमृतसर के “स्वर्ण मंदिर” पर कब्जा कर लिया था। तब यहां आम लोगों को बचाने के लिए “ऑपरेशन ब्लैक थंडर” चलाया गया। इस ऑपरेशन का नेतृत्व भी अजीत डोभाल ही कर रहे थे ।
इसके अलावा अजीत डोभाल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले से “सर्जिकल स्ट्राइक “की योजना बनाई और भारत सेना ने सीमा पार ” मयंबार में कार्यवाही कर आतंकवादियों को मार गिराया।
1996 में अजीत डोभाल के ही निर्णयों की वजह से कश्मीर के अंदर चुनाव की नींव रखी गई।
साथ ही, 31 जुलाई 2004 से 31 जनवरी 2005 तक, अजीत डोभाल IB के डायरेक्टर के पद पर भी कार्य कर चुके हैं ।हालांकि यहां से काम करने के बाद से ही उन्होंने रिटायरमेंट लेने का फैसला ले लिया ।
लेकिन इस सच्चे देशभक्त की देशभक्ति कहां खत्म होने वाली थी। रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा से जुड़े मुद्दों में अजीत डोभाल हमेशा ही आगे रहा करते थे ।
हालांकि आगे चलकर अजीत डोभाल के अनुभवों को देखते हुए, 2014 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर शामिल कर लिया गया। इससे अजीत दोवाल एक बार फिर से एक्शन में आ गए। सबसे पहले ईरान में फंसी भारतीय नर्सों को वहां से निकालने का काम इन्होंने किया।और 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने का श्रेय भी अजीत डोभाल को ही जाता है ।
हालांकि आगे चलकर अजीत डोभाल के अनुभवों को देखते हुए, 2014 में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर शामिल कर लिया गया। इससे अजीत दोवाल एक बार फिर से एक्शन में आ गए। सबसे पहले ईरान में फंसी भारतीय नर्सों को वहां से निकालने का काम इन्होंने किया।और 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने का श्रेय भी अजीत डोभाल को ही जाता है ।
जब 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन गलती से पाकिस्तान पहुंच गए थे। तब अजीत डोभाल ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने नियम कानून याद दिलाते हुए साफ-साफ कह दिया था कि अगर अभिनंदन को कुछ भी होता है तो भारत हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है ।
अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद हालातों को काबू रखने में अजीत डोभाल ने अहम भूमिका निभाई है। और इस तरह 74 वर्ष के होने के बाद भी अजीत डोभाल भारत की सेवा करते हुए नजर आते हैं। उनके अभी तक के कारनामों को देखते हुए उन्हें” जेम्स बांड “कहना गलत नहीं होगा।
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