कल्पना चावला जीवनी – Kalpana Chawla biography in Hindi – “दुनिया में जन्मे लोगों को एक ना एक दिन इस खूबसूरत दुनिया को छोड़कर जाना होता है। मगर दुनिया में कुछ लोग सिर्फ और सिर्फ जीने आते हैं। मौत तो महज उनके शरीर को खत्म करती है”।
“अंतरिक्ष की परी” कहे जाने वाली कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था ।कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। उनके पिता का नाम बनारसी लाल और मां का नाम संजयोती था। कल्पना अपने नाम के अनुरूप ही बचपन से ही , कल्पना भरी सोच रखती थी । वह हमेशा आकाश की ऊंचाइयों के बारे में सोचती रहती थी। अपने पापा से विमान ,चांद और तारों की बातें किया करती थी।
उसकी प्रारंभिक पढ़ाई करनाल के टैगोर स्कूल में हुई। फिर 1982 में चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से “एयरोनॉटिक इंजीनियरिंग “की डिग्री हासिल की ।वह ख्वाबों को पूरा करने के लिए अमेरिका चली गई। जहां उन्होंने “पीएचडी” की उपाधि प्राप्त की।
कल्पना चावला को 1988 में नासा में शामिल कर लिया गया ।यहां रहकर उन्होंने बहुत सारे रिसर्च किए ।उनकी मेहनत और लगन देखकर उन्हें अंतरिक्ष मिशन की 15 सदस्यों की टीम में शामिल कर लिया गया जिन्हें अंतरिक्ष में भेजा जाना था । और इस तरह कल्पना के सपनों को पंख लग चुके थे ।
उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 1997 को 6 अंतरिक्ष यात्रियों की टीम के साथ “अंतरिक्ष शटल कोलंबिया “की उड़ान STS 87 से शुरू हुआ। कल्पना चावला अंतरिक्ष में उड़ने वाली पहली भारतीय महिला थी ।यह मिशन सफलतापूर्वक 5 दिसंबर 1997 को समाप्त हुआ। भारत के हुनर को पूरे विश्व में पहचाना जाने लगा। जिस समय भारत के लोगों को अंतरिक्ष की समझ भी नहीं थी, उस समय भारत की बेटी कल्पना चावला ने अंतरिक्ष पर पूरे विश्व में भारत का परचम लहराया। सभी ने उनके इस जज्बे को सलाम किया ।
5 साल के बाद पुनः नासा ने उन्हें अंतरिक्ष में जाने को चुना ।कल्पना की दूसरी उड़ान 16 जनवरी 2003 को फ्लोरिडा के” कोलंबिया स्पेस शटल” से आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन में उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 80 परीक्षण व प्रयोग किए ।
लेकिन फिर वह हुआ जिसे सोच कर आंखे भर आती हैं। हाथों में फूल लिए खड़े वैज्ञानिक ,अंतरिक्ष प्रेमियों सहित पूरा विश्व उस नजारे को देखकर शोक में डूब गया। धरती पर उतरने से सिर्फ 16 मिनट पहले अचानक शटल ब्लास्ट हो गया । कल्पना चावल के साथ सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
भले ही कल्पना चावला इस दुर्घटना की शिकार हुई हो परंतु वह आज भी हमारे दिलों में जिंदा है। आज पूरे विश्व में लोगों के लिए आदर्श है। कल्पना चावला सहित बाकी सारे ग्रुप मेंबर के सम्मान में बहुत सारी चीजों का नाम रखा गया। ताकि यह “सातों लोग” हमारी यादों में हमेशा बने रहे और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करें । आज कल्पना चावला भारत सहित दुनियाभर के भावी एस्ट्रोनॉट्स के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत्र बन चुकी है ।
जब आप आसमान में चांद तारों और ब्रह्मांड को देखते हैं तो आपको समझ आता है कि आप का किसी छोटे से जगह से संबंध नहीं है। किसी एक देश से संबंध नहीं है बल्कि आप सौर मंडल से संबंध रखते हैं ।
भविष्य में अगर आप दूसरे ब्रह्मांड के लोगों को मिलते हैं तो आप उनके यह नहीं कहेंगे कि आप भारत से हैं या अमेरिका से ।आप कहेंगे कि आप “आकाशगंगा” से हैं”।
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