कृष्णकुमार कुन्नथ जीवनी Krishnakumar Kunnath biography in hindi – सुरीले गायक “कृष्ण कुमार कुन्नथ” जवान दिलों की धड़कन रहे हैं। बेशक अब उनके गाने कम आ रहे हैं लेकिन आज भी जब कहीं उनके गाए हुए गीत सुनाई देते हैं तो मन जोश व रोमांच से भर उठता है। 60 और 70 के दशक के सुनहरे दौरे के के बाद अगर संगीत प्रेमियों ने सबसे अधिक किसी दौर के संगीत को पसंद किया, तो वह 90 का दशक था।
उसके बाद सन 2000 का दशक आया। 90 के दशक में जहां एक और कुमार सानू और उदित नारायण के अलावा अभिजीत और सोनू निगम, सुखविंदर सिंह और शान जैसे प्रतिभावान गायक भी अपनी जगह बना चुके थे तो वही उस दशक के आखिरी में, एक और सभी सुरीली आवाज ने संगीत प्रेमियों के दिल पर दस्तक दी और वह सबके चहेते के यानी “कृष्ण कुमार कुन्नथ” का नाम है ।
1999 मैं आए इनके एल्बम “पल” के गीत जिसमें “यारों” और “प्यार के पल” गीतो को उस दौर के किशोरों और युवाओं के अलावा बड़ों ने भी खूब पसंद किया। फिल्म “हम दिल दे चुके सनम” के गीत “तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रहे” इसने तो सफलता के झंडे गाड़ दिए। उन्हें पहले पायदान की श्रेणी के गायकों में भी स्थान दिला दिया। ऐसा नहीं है कि यह सफलता उन्हें इतनी आसानी से एक झटके से मिल गई थी, इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और सब्र की बहुत बड़ी भूमिका है।
के के का जन्म 23 अगस्त 1970 को दिल्ली में एक मलयाली हिंदू परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम “कृष्ण कुमार कुंदन” है। दिल्ली के “किरोड़ीमल कॉलेज” से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद केके ने संगीत के साथ- साथ कुछ महीनों तक होटल इंडस्ट्री में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के तौर पर भी काम किया। 1991 में इनकी शादी ज्योति कृष्णा से हुई थी। जिससे इनके दो बच्चे हैं बेटा नकुल कृष्णा और बेटी तामरा कृष्णा।
के के बचपन से ही संगीत प्रेमी थे और स्कूल के कार्यक्रमों में गाने गाया करते थे। उन्होंने संगीत की विशेष शिक्षा तो नहीं ली लेकिन उनकी मां और नानी का संगीत से लगाव था। उन्होंने थोड़ा बहुत संगीत का ज्ञान अपनी नानी से लिया जो कि एक संगीत अध्यापिका भी थी।
उनका संगीत के प्रति यही जुनून 1994 में मुंबई ले आया। यहां संघर्ष के दौरान गायक “हरिहरन” जी की मदद से, उनकी मुलाकात “लुइस बैक लैंचले लेविस” और “रंजीत बरोट” जैसे संगीत की हस्तियों से हुई। जिस के बाद “यू टीवी” की तरफ से उन्हें सेंटोगन शूटिंग के विज्ञापन में एक “जिंगल” गाने का मौका मिला। इसके बाद के के को हिंदी सहित कई भाषाओं में जिंगल गाने के बहुत सारे ऑफर आने लगे। के के ने लगभग पांच-छह सालों तक हिंदी सहित 11 भाषाओं में 3500 से अधिक जिंगल्स में अपनी आवाज दी।
के के ने टेलीविजन के कुछ धारावाहिकों में भी अपनी आवाज दी। जिसमें से जस्ट मोहब्बत, सीपी फुल रे, शाका लाका बूम बूम आदि प्रमुख है। केके ने 1999 में क्रिकेट विश्व कप के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के सपोर्ट में “जोश ऑफ इंडिया” गीत में अपनी आवाज दी। 1998 में अंतरराष्ट्रीय कंपनी “सोनी म्यूजिक” जब इंडिया में लॉन्च हुई तो उस कंपनी ने कई गायकों में से “बेस्ट डेब्यु” सिंगर इंडिया के रूप में के के को ही चुना।
1999 में अपने एल्बम “पल” और “हम दिल दे चुके सनम” गीत की सफलता के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक सुपरहिट गीतों से केके ने सभी को अपना दीवाना बना लिया। उनके गाए सफल गीतों की सूची बहुत लंबी है। जिनमें से कुछ प्रमुख है तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही, जब भी कोई हसीना, कोई कहता रहे, मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी, आवारापन, बंजारापन, दस बहाने, आशाएं, जरा सा, आंखों में तेरी, दिल क्यों मेरा शोर करे, मुझको पहचान लो, आई एम इन लव, मेरे ब्रदर की दुल्हन, हा तू है और पिया आए ना आदि और भी अनेक गीत है। हिंदी के अलावा सभी भाषाओं में उन्होंने लगभग 700 से ज्यादा गाने गाए। जिनमें से अधिकतर गीत सफल ही रहे।
के के 1999 से 2010 तक बॉलीवुड में लगातार गीत गाते रहे। बाद में उनके हिस्से के गीत धीरे धीरे पाकिस्तान से आए “आतिफ असलम” को मिलने लगे। उस दौर के सारे अच्छे गीत आतिफ असलम के अलावा पाकिस्तान के एक और गायक “राहत फतेह अली खान” से भी गवाया जाने लगे।
केके ने तब तक ढेरों पुरस्कार अपने नाम कर लिए थे जिनमें फिल्मों से जुड़ी सारी संस्थाओं के पुरस्कारों के अलावा सन 2003 में एल्बम “झंकार बीट्स” के लिए,
“तू आशिकी है” के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल है। केके ने 1996 में रिलीज फिल्म “माचिस” के गीत “छोड़ आए हम वो गलियां” के अलावा, दक्षिण भाषा की हिंदी में डब हुई फिल्म “दुनिया दिल वालों की” के दो गीत, कॉलेज के साथी और “हेलो डॉक्टर दिल की चोरी हो गई” से हिंदी फिल्मी गीतों में अपने गायन की शुरुआत कर ली थी।
भारतीय भाषाओं में गीत गाने के अलावा उन्होंने सन 2013 में एक विदेशी एल्बम “राइज अप कलर्स ऑफ पीस” के गीत “रोज अप ऑफ माय हार्ट” के लिए भी अपनी आवाज दी। इस गीत की एक खास बात यह थी कि इसको 12 देशों के गायकों ने मिलकर गाया था। जिसको एक तुर्की कवि “फतुल्लाह गुलेल” ने लिखा हुआ था। 2008 में पाकिस्तानी टीवी के शो “द घोस्ट” के टाइटल गीत के लिए भी उन्होंने अपनी आवाज दी।
फिल्म के साथ साथ केके अपनी एल्बम के साथ भी बीच-बीच में नजर आते रहे। जिसमें से 1999 में “पल’ के अलावा 2002 में हिमेश रेशमिया के साथ “हमराज” और उसके बाद 2018 में सोलो एल्बम “हमसफर” प्रमुख है। इसके अलावा उनके चार पांच एल्बम और आए हैं । के के के गीतों और उपलब्धियों की सूची बहुत लंबी है। इन सबके बावजूद उन्हें अचानक कम गाने मिलना, उनके प्रशंसकों को मन में हमेशा एक सवाल पैदा करती है कि ऐसा क्यों हुआ ?
एक फिल्म के गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान संगीतकार राजेश रोशन जी ने उनसे कहा कि “किशोर दा के बाद इतनी बढ़िया गायकी उन्होंने केके में देखी है।” वह बचपन से ही किशोर कुमार के प्रशंसक रहे। के के को उनके लिए यह प्रशंसा पाना, किसी अवार्ड को पाने से बढ़कर थी।
2012-13 के बाद से ही इन्हें बॉलीवुड मेर गाने, गाने के में बहुत ही कम अवसर मिलने लगे । इनकी प्रतिभा के हिसाब से, इनके सामने गानो की लाइन लगी रहनी चाहिए थी लेकिन उनके चाहने वाले इनके गीतों को, आज भी उतना ही चाव से सुनते हैं और उन्हें हमेशा, के के के नए गानों का बेसब्री से इंतजार रहता है।