एन वी रामना की जीवनी – NV Ramana biography in hindi – भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice Of India) “शरद अरविंद बोबडे” 23 अप्रैल 2021 को रिटायर हो गये। रिटायर होने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को अपना उत्तराधिकारी घोषित करना अनिवार्य है क्योंकि पद छोड़ने से पहले अगला सीजेआई (Chief Justice Of India) बनाना अनिवार्य होता है। मार्च 2021 में न्यायमूर्ति बोबडे द्वारा “एन वी रामना” को अगला सीजेआई नियुक्त करने के लिए सिफारिश की गई थी और शरद अरविंद बोबडे ने हाल ही में अपना उत्तराधिकारी “एन वी रामना” के नाम को घोषित कर दिया है। एस ए बोबडे का कार्यकाल खत्म होने के बाद अब 24 अप्रैल 2021 को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस “एन वी रामना”, देश के 48 वे मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण कर चुके हैं। एन वी रमन 26 अगस्त 2022 तक अपने पद पर बने रहेंगे। वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर एक साल और चार महीने तक, अपना कार्य भाग संभालेंगे।
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के नए बॉस ने अपना कार्यभार संभाल लिया है। भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने उन्हें शपथ दिलाई। इस समारोह में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री रवि शंकर भी मौजूद रहे। न्यायमूर्ति रामना ने ईश्वर को साक्षी मानकर अंग्रेजी भाषा में पद की शपथ ली। एनवी रामना ने यह शपथ मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे के रिटायर होने के बाद ली है। शरद अरविंद बोबडे का 23 अप्रैल 2021को कार्यकाल समाप्त हो गया था।
“एन वी रामना” का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के “पोअन्ननावरम गांव” जिला “कृष्णा” में हुआ था। इनका पूरा नाम “नथला पति वेंकटरामना” है। NV Ramana ने विज्ञान और लॉ में ग्रेजुएशन किया। इन्होंने छात्र नेता रहते हुए साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान नागरिक स्वतंत्रता के लिए भी लड़ाई लड़ी थी। एन वी रामना ने लॉ ज्वाइन करने से पहले, आंध्र प्रदेश के कुछ रीजनल अखबारों में करीब 2 सालों तक काम किया। इसके बाद साल 1983 में इन्होंने पहली बार एक वकील के रूप में दाखिला लिया। यही नहीं एनवी रामना सुप्रीम कोर्ट में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में उच्च न्यायालय में अभ्यास किया है । इसके अलावा रमना को संवैधानिक, अपराधिक, सेवा और अंतर्राज्यीय नदी कानूनों जैसे मामलों में “विशेषज्ञ” भी माना जाता है। 2000 में एनवी रामना आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के “स्थाई न्यायाधीश” के रूप में नियुक्त किया गया था। 2 सितंबर 2013 को उन्हें 2 महीने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक “मुख्य न्यायाधीश” (Chief Justice) का पद संभाला और वह 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। 2021 में Supreme Court ke Chief Justice of India बनाए गए हैं।
पिछले कुछ सालों में “एन वी रामना” का सबसे चर्चित फैसला “जम्मू कश्मीर में इंटरनेट की बहाली” का रहा है। मुख्य न्यायाधीश के कार्यालयों को “सूचना का अधिकार” (RTI) कानून के दायरे में लाने का फैसला देने वाले बेंच में भी, न्यायमूर्ति एन वी रामना सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा न्यायमूर्ति एन वी रामना ने “कर्नाटक विधानसभा” मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था और उन्होंने “विधायकों को अयोग्य ठहराने” के स्पीकर के फैसले को सही ठहराया। न्यायमूर्ति एन वी रामना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक बेंच ने, इस साल जनवरी में हाउसवाइफ (House-Wife) को लेकर एक बड़ा फैसला दिया था। बेंच ने कहा कि घर में किसी महिला के काम का मूल्य, किसी ऑफिस जाने वाले पति से, किसी भी सूरत में कम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट स्थापना 28 जनवरी 1950 को की गई थी। हमारे सुप्रीम कोर्ट के पहले न्यायाधीश “हरी लाल जीकानिया” थे। वह एकमात्र ऐसे “सीजेआई रहे थे, जिन का पद पर रहते हुए निधन हो गया था। हमारे भारतीय संविधान में कॉलेजियम की व्यवस्था की गई है। इस कॉलेजियम में 5 व्यक्ति होते हैं जिनमें एक सीजेआई और चार सुप्रीम कोर्ट के सीनियर न्यायाधीश होते हैं। यह पांचों मिलकर निर्णय लेते हैं कि अगला सीजेआई ( चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) कौन होगा। राष्ट्रपति के द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की नियुक्ति की जाती है। हमारे भारतीय संविधान के अनुसार- अगर कोई व्यक्ति 5 साल तक किसी भी हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में काम करता है या किसी हाईकोर्ट में 10 साल तक वकालत करता है तो वह सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बन सकता है । “चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया” की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल की होती है। जब कोई व्यक्ति 65 साल का हो जाता है तो उसको अपना पद छोड़ना पड़ता है।