हल्दीराम की सफलता की कहानी Story of Haldiram in Hindi – किसी भी कंपनी की शुरुआत छोटे स्तर से होती है और किसी परिवार का कोई भी व्यक्ति आने वाली पीढ़ी को कुछ खास विरासत देकर जाता है। इसी तरह की एक कहानी भारत में बहुत प्रसिद्ध फूड ब्रांड “हल्दीराम” की है। हल्दीराम भुजिया, सेव, सोन पापड़ी और अन्य प्रकार के कई नमकीन और स्नैक्स का स्वाद हमारी जुबान पर चढ़ा हुआ है। परंतु यह शुरुआत से ही मशहूर ब्रांड नहीं था बल्कि यह भारत के एक छोटे से शहर “बीकानेर” के एक छोटे से व्यापारी द्वारा शुरू की गई छोटी सी दुकान थी, जिसने न केवल खुद करोड़ों का व्यापार स्थापित कर दिया बल्कि अन्य कई लोगों को भी रोजगार दिया।
हल्दीराम आज एक प्रमुख मिठाई और नमकीन निर्माता कंपनी है यह मुख्यतः नागपुर में स्थापित है। हल्दीराम आज की तारीख में 100 से भी ज्यादा अधिक उत्पादों का निर्माता और विक्रेता है। परंतु इसकी कहानी भारत की आजादी के पूर्व 1937 में शुरू हुई। इस समय “गंगा विशन अग्रवाल” नाम के एक व्यक्ति ने अपने शहर “बीकानेर” राजस्थान में नाश्ते की दुकान शुरू की थी। यह वास्तव में इनके पिता श्री “तनसुख दास” के द्वारा शुरू किया गया भुजिया सेव का व्यापार था, जिसकी रेसिपी इन्होंने अपनी बहन से सीखी थी। परंतु इसका नाम इनके बेटे “गंगा विशन” जी के इस छोटे से सेटअप के जरिए बना। इस व्यापार को आगे बढ़ाने का श्रेय तन सुख दास जी के छोटे बेटे “रामेश्वर” जी को जाता है जिन्होंने अपनी बुआ की बनाई हुई रेसिपी में थोड़े और फ्लेवर ऐड किए और इसे और भी जायकेदार बना दिया। देखते ही देखते लोगों की जुबान में यह स्वाद ऐसा चढ़ा कि उनकी दुकानों के आगे भीड़ होने लगी और एक छोटी सी दुकान धीरे-धीरे करोड़ों के व्यापार में तब्दील हो गई।. इन्होंने भुजिया सेव के व्यापार को आगे बढ़ाते हुए भारत के कोलकाता में “हल्दीराम भुजियावाला” नाम से दुकान शुरू की। यह नाम और यह दुकान हल्दीराम की सफलता की कहानी के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।. जिस मेहनत से तनसुख दास ने इस बिजनेस को आगे बढ़ाया, उसी मेहनत से उनके पारिवारिक सदस्यों ने भारतीयों के जायके को समझकर और समय के साथ अपने आप को अपडेट करके बाजार में अपनी एक जगह बनाकर रखी। रेडी टू ईट वेजिटेबल, बाकड़ बाड़ी, मटर और ना जाने कितने ऐसे प्रोडक्ट के साथ भारतीयों की किचन में अपना एक विश्वास और अपनी एक जगह बना ली।
वर्तमान में हल्दीराम के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नागपुर, कोलकाता, दिल्ली और बीकानेर ऐसी बहुत सारी जगह है। इसके अलावा हल्दीराम के स्वयं के रिटेल स्टोर और कई रेस्टोरेंट नागपुर और दिल्ली में है। इनका स्वाद इतना बढ़िया था कि भारत के अलावा अब इस कंपनी के उत्पाद अन्य कई देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, श्रीलंका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, संयुक्त अरब एमिरेट्स, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और थाईलैंड जैसे बहुत सारे देशों में निर्यात होने लगा। हल्दीराम ने अपना पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट “कोलकाता” में डाला था। इसके बाद 1970 में कंपनी का एक और बड़ा प्लांट “दिल्ली” में बनाया गया।
साल 2015 में कंपनी का बुरा वक्त तब आया जब संयुक्त राज्य अमेरिका के “फूड एंड ड्रग विभाग” द्वारा इसके उत्पादों में पेस्टिसाइड्स की अधिक मात्रा होने के कारण इसे अपने देश में बैन कर दिया। इस वक्त कंपनी की छवि थोड़ी धूमिल हुई, परंतु बाद में एक व्यापक निरीक्षण के बाद “महाराष्ट्र प्रशासन” द्वारा कंपनी को क्लीन चिट दे दी गई इसके लिए कंपनी के विभिन्न उत्पादों का परीक्षण किया गया और पाया गया इसमें सभी चीज सीमा के अंदर हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।
हल्दीराम प्रोडक्ट्स मार्केटिंग का एक बहुत बड़ा ब्रांड है। हल्दीराम के प्रोडक्ट विभिन्न बेकरी और रिटेल स्टोर पर बहुत आसानी से मिल जाते हैं। इसके अलावा हल्दीराम स्वयं को मार्केटिंग के आधुनिक तरीकों को अपनाते हुए अपने प्रोडक्ट को ऑनलाइन भी उपलब्ध कराता है। साल 2018 में हल्दीराम ने अपने रेवेन्यू में 13% की वृद्धि कर 4000 करोड़ के आंकड़े को पार किया है।
हल्दीराम कंपनी तीन विभिन्न क्षेत्रों में अपना व्यापार करती है जिसमें “हल्दीराम स्नैक्स एंड एकनेक फूड” नागपुर में “हल्दीराम फूड इंटरनेशनल” और “हल्दीराम भुजियावाला” शामिल है। इन तीनों क्षेत्रों में इनके रेवेन्यू क्रमानुसार 2163 करोड़, 1613 करोड़, 298 करोड़ है। इस तरह से यह आंकड़े प्रदर्शित करते हैं कि अच्छा भारतीय खाना विदेशी कंपनी को पछाड़ देता है। इसके अलावा अन्य कई विशेषज्ञों के मुताबिक रिटेल व्यापार में हल्दीराम का करीब 5000 करोड़ से ज्यादा का व्यापार है।
इतने वर्षों की लगातार सेवा के बाद हल्दीराम ने अपना एक स्टैंडर्ड सेट किया है। जब कंपनी के द्वारा रेस्टोरेंट की शुरुआत की गई थी तब इसके रेवेन्यू का 80 परसेंट “पैक्ड फूड” से आता था। हल्दीराम ने इस क्षेत्र में भी कई देशी और विदेशी कंपनी को पीछे छोड़ते हुए स्वयं को स्थापित किया। आज हल्दीराम जैसी कंपनियां युवाओं के लिए उदाहरण है कि कैसे एक छोटी शुरुआत करके खुद को सफल रूप से स्थापित किया जा सकता है।
पहले मार्केटिंग करने के आधुनिक तरीके उपलब्ध नहीं थे। लोगों तक पहुंचना और उन तक अपनी बात पहुंचाना आसान नहीं था, परंतु आज के आधुनिक युग में ऐसा संभव है। अगर युवा चाहे तो बहुत कम समय में अधिक मेहनत करके खुद को स्थापित कर सकते है।