//Sirisha Bandla – Indian American Aeronautical Engineer / सिरीशा बांदला
सिरीशा बांदला जीवनी Sirisha Bandla biography in hindi

Sirisha Bandla – Indian American Aeronautical Engineer / सिरीशा बांदला

सिरीशा बांदला जीवनी Sirisha Bandla biography in hindi – “मेरे अंदर हौसला अभी जिंदा है,
हम वह हैं जहां मुश्किलें भी शर्मिंदा है।”

भारतीयों के लिए एक और गौरव करने का समय है जब पूरी दुनिया में भारत की प्रतिभा का लोहा मनवाने और एक नया इतिहास लिखने वाली, भारत के आंध्र प्रदेश की सिरीशा बांद्रला और बहादुर भारतीय मूल की लड़की नेे इसे सच कर दिखाया। जो कल्पना चावला के बाद भारत की दूसरी ऐसी महिला है जिनका जन्म भारत में हुआ है और वे अंतरिक्ष के सफर कर, पूरे विश्व की यात्रा करने वाली चौथी भारतीय है। यह “इसरो” के किसी मिशन की बात नहीं बल्कि भारत की एक बेटी के अंतरिक्ष की ऊंचाई छूने की है। ब्रिटिश कारोबारी “रिचर्ड ब्रेनसन” 6 सदस्य दल के साथ अंतरिक्ष की सैर करके लौट आए हैं। भारत के लिए खुशी की बात यह है कि इसमें 34 साल की एक भारतीय बेटी “सिरीशा बांदला” भी थी।

यह उड़ान अंतरिक्ष में “संभावनाओं के नए द्वार” खोलने की और यह स्पेस ट्रैवल को टूरिज्म के दौर में ले जाने की ऊंची उड़ान है। अंतरिक्ष में भारत की एक और बेटी की उड़ान है । न्यू मैक्सिको में वर्जन गैलेक्सी के ऑपरेशन में यह उड़ान पूरी दुनिया के लिए रोमांच का पल था। भारत के लिए यह रोमांच और भी ज्यादा है क्योंकि स्पेस फ्लाइट में भारत की एक और बेटी सिरीशा बांदला है। वह सिरीशा बांदला जिसने अंतरिक्ष को छूने का सपना बचपन में ही संजो लिया था।

सिरीशा के दादा ने सिरीशा को 4 साल की उम्र में अकेले हवाई जहाज से अमेरिका उनके माता-पिता के पास भेज दिया था। आसमान से सिरीशा की यह पहली मुलाकात थी। यही एक सपना पला और अमेरिका उतरते ही परवान चढ़ने लगा। ह्यूस्टन में सिरीशा का घर नासा से घिरा हुआ था। अंतरिक्ष स्वयं एक तरह से सिरसा के करीब आने लग गया था। श्रीशा की इच्छा अमेरिका एयरपोर्ट में पायलट बनने की थी आंखों में किसी दिक्कत के कारण उनका सिलेक्शन नहीं हो सका इसके बाद इसके बाद सिरीशा ने “Purdue” यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 2011 में एरोनॉटिकल एंड एस्ट्रोनॉटिकल मे इंजीनियरिंग की। इसके बाद “जार्जटाउन यूनिवर्सिटी” से एमबीए डिग्री ली। उन्होंने पढ़ाई का एक पड़ाव पार किया लेकिन उनका मन अंतरिक्ष में था तथा अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने प्रोफेशनल राह चुनी

वर्ष 2015 में सिरीशा ने “Vergin Galaactic” कंपनी ज्वाइन की। तृषा ने अपने काम से 6 साल मे ही ऊंचा मुकाम हासिल किया। अभी कंपनी में वह “वी पी गवर्नमेंट अफेयर्स्स” और “रिसर्च ऑपरेशन” मे है। सिरीशा “अमेरिका एस्ट्रोलॉजिकल सोसाइटी” की डायरेक्टर भी है।

सिरीशा बांदला का जन्म 1987 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर शहर हुआ था। इनका का परिवार फिलहाल अमेरिका में ही रहता है और इनका पालन पोषण और पूरी पढ़ाई “ह्यूस्टन टेक्सास” अमेरिका में हुई है। वह पेशे से एक एस्ट्रोनॉट है। अंतरिक्ष की सैर पर जाने वाली सिरीशा बांदला को बचपन से ही उड़ान भरने की चाह थी। उन्हें बचपन से ही अंतरिक्ष यात्री बनना और अंतरिक्ष की सैर पर जाना था।

दुनिया भर में भारत का नाम रोशन करने वाली सिरीशा बांदला के पिता का नाम “डॉक्टर मुरलीधर बांदला” है और वह खुद भी एक वैज्ञानिक है। मुरलीधर फिलहाल अमेरिकी सरकार में “सीनियर एग्जीक्यूटिव सीरवी” के सदस्य है और अभी भी इस पद पर काम कर रहे है। उनकी मां का नाम “अनुराधा बांदला” और भाई का नाम “गणेश बांदला” है। सिरीश के दादा भी एक “कृषि विज्ञानिक” है उन्होंने जैसे ही सिरीशा की सफलता के बारे में सुना तो उन्होंने कहा- “उन्होंने हमेशा से ही सिरीशा में कुछ करने का उत्साह देखा है वह काफी मेहनती है और आखिरकार उसमें अपना सपना सफल कर ही लिया है।”

सिरीशा रिचर्डसन की स्पेस कंपनी “वर्जिन गैलेक्टिक” से आंशिक ज्ञान वर्जिन ऑर्बिट से 11 जुलाई को अंतरिक्ष की सैर पर गई । सिरीशा बांदला की प्रतिभा का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वह “Richard Branson” के 5 अंतरिक्ष यात्रियों में से वह एक थी । सिरीशा “वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी” के गवर्नमेंट अफेयर्स एंड रिसर्च ऑपरेशन की वाइस प्रेसिडेंट भी हैं । सिरीशा “तेलुगू एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका” से भी जुड़ी हुई है और यह उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा और पुराना इंडो अमेरिकन संगठन है। 2 साल पहले ही तेलुगू एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका(TANA) ने सिरीशा को “यूथ स्टार अवार्ड” से भी नवाजा था। इसके अलावा सिरीशा “अमेरिकन एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी एंड फ्यूचर स्पेस लीडर्स” फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी शामिल है। वह यूनिवर्सिटी के “यंग प्रोफेशनल एडवाइजरी” काउंसलिंग की भी सदस्य हैं। सिरसा फिलहाल वर्जिन ऑर्बिट की वाशिंगटन ऑपरेशंस के पद को भी संभाल रही है।

सिरीशा बादला ने अंतरिक्ष की यात्रा में “मेक्सिको सेविंग ऑर्बिट रॉकेटशिप” में उड़ान भरी और साथ ही वह “ह्यूमन एंड रिसर्च एक्सपीरियंस के इंचार्ज” भी थी। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के समय “एस्ट्रोनॉट पर होने वाले असर का अध्ययन” किया ।

सिरीशा बादला का बचपन अमेरिका के टेक्सास में बीता है। जहां उन्होंने बहुतसे करीब को रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट को देखा। आसमान में उड़ते इन रॉकेट को देखकर उनके मन में भी इन के बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ने लगी लेकिन कभी उन्होंने नहीं सोचा था कि उनका यह सपना इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा। सिरीशा के मुताबिक उनको पहले से ही एयर फोर्स में भर्ती होकर पायलट बनने का शौक था लेकिन आंख की समस्या के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया। लेकिन कौन जानता था कि एक दिन यह लड़की पूरे देश का नाम रोशन करेगी।

कुछ समय पहले ही रिचर्ड् ब्रेडसन ने बताया कि उनकी टीम 11 जुलाई को अपना अंतरिक्ष का सफर शुरू करने वाली है अपने एक अंतरिक्ष यात्रा का एलान करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी इस यात्रा में उन को मिलाकर कुल 6 लोग शामिल होंगे। इनमें 2 लड़कियां हैं जिनमें से एक “सिरीशा बादला” और दूसरी “ब्रेशा मोसिस” है। इस सफर के साथ ही उन्होंने एक बार फिर से भारत का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया है। उन्होंने कहा था कि अंतरिक्ष में किसी को भेजने से पहले हम अपने कंपनी के कर्मचारियोंं को ही मौका देना चाहते थे इससे “अंतरिक्ष यान” की परख भी हो जाएगी।

“रिचर्ड ब्रेड सन” की कंपनी “यू वर्जिन गैलेक्टिक” आम लोगों के लिए अंतरिक्ष यात्रा को आसान बनाना चाहती है। “वर्जिन ऑर्बिट” अंतरिक्ष यान को “कैरियर प्लेन कॉस्मिक गर्ल” के नीचे लगाकर पृथ्वी से लगभग 35000 फीट की ऊंचाई पर ले जाया गया ।

कल्पना चावला भारत की पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की थी लेकिन दुर्भाग्यवश “स्पेस शटल कोलंबिया” की दुर्घटना में उनको अपनी जान गंवानी पड़ी थी। सिरीशा बांग्ला कल्पना चावला के बाद भारत में जन्मी दूसरी ऐसी महिला है जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की है। राकेश शर्मा भारत की तरफ से सबसे पहले जाने वाले अंतरिक्ष यात्री थे। अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की चौथी व्यक्ति सिरीशा से पहले केवल राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष की यात्रा की है। वर्चुअल गैलेक्टिक के लिए अंतरिक्ष आने वाली यह चौथी उड़ान है स्पेस ट्रैवल के उस सपने को साकार करने के लिए कि जब एक दिन लोग यूं ही कहेंगे “चलो अंतरिक्ष घूम कर आते हैं।”

राकेश शर्मा, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और सिरीशा बादला 4 नाम है, जिनका किसी ना किसी तरह से हिंदुस्तान से नाता रहा है जिन्होंने अंतरिक्ष की उड़ान भरकर ना सिर्फ दुनिया में धाक जमाई बल्कि अपनी उपलब्धि से भारत का नाम भी रोशन किया। हिंदुस्तान की आन बान और शान का नाम सिरीशा बांद्रा है जिन्होंने अपने सपनों को उड़ान ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान के पन्नों में अपना नाम “सुनहरे अक्षरों” से लिखवा लिया ।