Wright Brothers in hindi – प्राचीन काल में मनुष्य जब पक्षियों को स्वतंत्र आकाश में उड़ते हुए देखता, तो उसका मन भी करता था कि वह भी पक्षियों की तरह आकाश में उड़े।
परंतु मनुष्य्य कितनी भी कोशिश करें वह ऐसा नहीं कर पाता था। राइट ब्रदर्स (Wright brothers) ने हवाई जहाज का अविष्कार करकेेे मनुष्य के इस सपने को पूरा किया।
Orville Wrights और Wilbur Wrights को “राइट ब्रदर्स” के नाम से जाना जाता है। जो अमेरिका के रहने वाले थे।
इन्हें “हवाई जहाज का आविष्कारक” कहा जाता है। इन्होंने 17 दिसंबर 1903 को संसार के सबसे पहली सफल मानवीय उड़ान भरी।
जिसमें हवा से भारी विमान को, नियंत्रित रूप से, निर्धारित समय में संचालित किया गया। लगभग 2 वर्षों तक कई प्रयोग के बाद, उन्होंने विश्व का प्रथम “Practical fixed doing aircraft” तैयार किया।
यह प्रायोगिक विमान बनाने और उड़ाने वाले पहले आविष्कारक नहीं थे, लेकिन इन्होंने हवाई जहाज को नियंत्रित करने की जो विधियां खोजी उसके बिना आज का वायुयान संभव नहीं था।
राइट ब्रदर्स को इस अविष्कार के लिए आवश्यक यांत्रिक कौशल, कई वर्षों तक Printing press, cycle, Motar और अन्य कई मशीनों के साथ काम करते करते मिला।
साइकिल के साथ काम करते- करते इन्हें विश्वास हो गया कि वायु जान जैसे असंतुलित विमान को भी संतुलित व नियंत्रित किया जा सकता है।
साल 1900 से 1903 तक इन्होंने ग्लाइडर के ऊपर अनेक प्रयोग किए। जिससे इनका पायलट कौशल विकसित हुआ।
साइकिल की दुकान के कर्मचारी “Charlie trailer” ने भी इनके साथ बहुत काम किया और उसने ही इनके पहले यान का इंजन बनाया। जहां अन्य आविष्कारक इंजन की शक्ति बढ़ाने में लगे रहे।
वहीं राइट ब्रदर्स (Wright brothers) ने आरंभ से ही “नियंत्रण का सूत्र” खोजने में अपना ध्यान लगाया। उन्होंने वायु सुरंग में बहुत से प्रयोग किए और यह जानकारी एकत्रित की जिसका प्रयोग कर इन्होंने पहले से ज्यादा प्रभावशाली पंख खोजें और यह दावा किया कि इन्होंने “एयरोडायनेमिक नियंत्रण” की नई प्रणाली विकसित की है जो विमान की सत्व में बदलाव करती है।
अनेक आविष्कारको ने भी हवाई जहाज के आविष्कार का दावा किया है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि राइट ब्रदर्स की सबसे बड़ी उपलब्धि “3 Excess Control” का आविष्कार थी।
इसकी सहायता से ही पायलट विमान को संतुलित कर सकता है और दिशा परिवर्तन कर सकता है।
नियंत्रण का यह तरीका सभी विमानों के लिए मानक बन गया और आज भी सभी तरह के एयरक्राफ्ट के लिए यही तरीका उपयुक्त होता है।
राइट ब्रदर्स (Wright brothers) का जन्म “Dayton” में हुआ। वह हमेशा यंत्रों में रुचि लेते थे। और साइकिल की मरम्मत की दुकान चलाते थे।
वर्ष 1896 में “Otto lilientha” की मृत्यु और किताबों में उड़ने के विषय में चल रहे प्रयोगों के बारे में पढ़कर उनमें इस बारे में रुचि जागृत हुई।
उन्होंने बिना किसी सोच विचार के अपना वायुयान बनाने का निश्चय किया। प्रयोगों में लगाने के लिए उनके पास पैसा नहीं था। उन्होंने तय किया कि वह पक्षियों की उड़ानों का अध्ययन करेंगे और उसके साथ ही उन्होंने सारी उड़ानों के साथ-साथ मशीनों का भी अध्ययन किया।
राइट ब्रदर्स ने हमेशा अपनी मशीनें स्वयं बनाई। सबसे पहले उन्होंने एक ग्लाइडर बनाया जिसे वह पतंग की तरह उड़ाते थे।
इसे लिवरों की सहायता से रस्सी बांधकर नियंत्रित किया जाता था। इस प्रकार राइट ब्रदर्स ने “उड़ान के सिद्धांत” का अध्ययन कर लिया और यह भी सीख लिया कि हवा में मशीन को कैसे चलायमान मान रखा जाए। इसके बाद उन्होंने मानव युक्त ग्लाइडर बनाया।
इस ग्लाइडर को हवा में तैराना तो आसान था लेकिन अपनी मनमर्जी से उसे उड़ाना और उसका संतुलन बनाना बनाए रखना मुश्किल था।
सुरक्षा की दृष्टि से प्रयोग चालू रखने के लिए वे 1900 मे एक एकांत जगह चले आए। जहां ऊंची -ऊंची रेतीली पहाड़ियां थी। इस प्रकार वे कठोर पथरीली जमीन पर गिरने से बच सकते थे।
लगभग 2 वर्ष में उन्होंने 2000 बार अपने ग्लाइडर से उड़ान भरी। जिनमें से सबसे लंबी दूरी की उड़ान 600 फीट तक की दूरी तय की गई। इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण चरण था ग्लाइडर को “Propel” करना।
साल 1930 में उन्होंने तरल ईंधन से चलने वाली एक मोटर बनाई और उसका परीक्षण किया और उन्हें यकीन था कि उनकी मशीन काम करेगी। लेकिन इसकी उन्होंने कोई औपचारिक घोषणा नहीं की।
उनकी पहली उड़ान केवल 12 सेकंड के लिए ही थी। लेकिन मानव के इतिहास में यह एक पहली उड़ान थी जिसमें एक मशीन ने, स्वयं से गति करके, हवा से भारी विमान को, मानव सहित उड़ा लिया था।
कुछ समय हवा में नियंत्रित रहने के बाद उनका विमान बिना किसी नुकसान के नीचे उतर गया। उसी दिन उन्होंने दो और प्रयास कि और उनकी चौथी उड़ान 64 सेकंड की थी और उस उड़ान ने 12 मील की रफ्तार से चल रही हवा की दिशा में, 835 फीट की दूरी तय की।
राइट ब्रदर्स ने यह सब अपने शौक के लिए शुरू किया था लेकिन इसमें सफलता मिलने पर वह इस कार्य के प्रति गंभीर हो गए।
सन 1905 तक वह अपने प्रयोगों में इतने पारंगत हो चुके थे कि उन्होंने 35 मील प्रति घंटे की रफ्तार से 24 मील की उड़ान भरी।
आश्चर्य की बात यह है कि इस समय तक उनकी उपलब्धियों के बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। जब लोगों ने उनकी 24 वी लंबी उड़ान के बारे में सुना तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ।
1908 को Wilbur wrights एक मशीन को फ्रांस ले गए। वहां एक समाचार पत्र ने उन्हें एक “लंबी गर्दन वाले पक्षी” के रूप में चित्रित किया और उनकी मशीन का भी मजाक उड़ाया। उसी दिन Wilbur Wrights ने हवा में 91 mtr उड़कर 52 मील की दूरी तक उड़ने का कीर्तिमान बनाया गया और सरकार ने उन्हें 30 इंजन बनाने का ऑर्डर दे दिया।
राइट ब्रदर्स वर्जिनियां से के रोमानिया तक अपने विमान को उड़ा कर ले गए।
1909 में एक व्यक्ति एक विमान N C -4 नामक विमान ने अटलांटिक सागर को पार कर लिया।
आज तो प्रतिदिन हजारों विमान उड़ान भरते हैं एक मशीन में बैठकर उड़ना और उस से पृथ्वी को देखना सबके लिए रोमांचित कर देने वाला अनुभव होता है। राइट ब्रदर्स ने अपनी लगन और मेहनत के दम पर वह कर दिखाया जिसके सपने मानव चिरकाल से देखता चला आ रहा था।
राइट ब्रदर्स दुनिया वालों की नजरों से दूर, बिना किसी यश व धन प्राप्ति की चाह के, अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। मानव इतिहास में इनका नाम “स्वर्ण अक्षरों” में अंकित हो गया है।
For More: Click Here
You may also like: