Bharat Ratna Ustad Bismillah khan – देश मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की 102 वी जयंती मना रहा है ।
जब-जब शहनाई का नाम हमारे समक्ष आता है तब तब उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का अक्स, हमारे जीवन में उभर आता है।
यूं तो बिहार का ” जिला बक्सर “और भी कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है ।परंतु इस जिले को लोग,उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के नाम से पहचानते हैं।।उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का मूल नाम “कमरुद्दीन “था।
बिस्मिल्लाह खान का जन्म बिहार के दरबारी संगीतकारों के ,मुस्लिम खानदान में 21 मार्च सन 1916 में “डुमराव “जिले में हुआ था।
छोटी उम्र में ही खान अपने पिता के साथ वाराणसी आकर बस गए थे जहां वह अपने चाचा” अली बख्श “के साथ “वैद्यनाथ मंदिर” में शहनाई बजाया करते थे।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई को नई बुलंदियों तक पहुंचाया ।
परिणाम स्वरूप, शहनाई को पारंपरिक समारोह, मंदिर परिसरों में विशेष स्थान प्राप्त हुआ।
बिस्मिल्लाह खान पहले ऐसे भारतीय नागरिक थे जिन्हें प्रथम स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 के अवसर पर, लाल किले पर ,अपने वाद्य यंत्र शहनाई द्वारा देश का अभिवादन करने का गौरवऔर सौभाग्य प्राप्त हुआ।
यूं तो बिस्मिल्लाह खान का निकाह छोटी उम्र में ही हो गया था किंतु उनकी रूचि अपने हुनर को लेकर कभी भी कम नहीं हुई। जिसकी वजह से आज भी शहनाई को उनकी” दूसरी बेगम” के नाम से जाना जाता है।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को प्रथम उपलब्धि सन 1938 में लखनऊ के ऑल इंडिया रेडियो में काम करके प्राप्त हुई।
क्या आप जानते हैं कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को अपनी जन्म और कर्म भूमि भारत के प्रति अपार स्नेह था। जिसके कारण उन्होंने अमेरिका जैसे समृद्ध देश में भी बसने और कार्य करने से इंकार कर दिया था।
उस्ताद का मानना था कि बनारस का गंगा तट, नमाज अदा करने के लिए मस्जिद और बालाजी मंदिर के परिसर में रियाज करने जैसा उत्तम स्थान तथा आनंद पूरे विश्व में उन्हें कहीं नहीं प्राप्त होगा।
मां सरस्वती की कृपा तथा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की अपार वाद्य प्रतिभा के परिणाम स्वरूप, उनको सन 2001 में भारत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त बिस्मिल्लाह खान को कई अन्य सम्मान, जैसे सन 1968 में पद्म भूषण, 1980 में पद्मविभूषण,1961 में पद्मश्री जैसे कई सम्मान से सुसज्जित किया गया।
अंततः भारत ने अपने इस अनमोल रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को 90 वर्ष की उम्र में, 21 अगस्त सन 2006 में खो दिया । और वह अपने पीछे शहनाई के रूप में खूबसूरत यादों को छोड़ गए। जो हमारे दिलों में हमेशा हमेशा के लिए जिंदा रहेगी।
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