Kapil Dev Biography in hindi – कपिल देव ने भारत में क्रिकेट को एक नई पहचान दिलाने के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी अपने देश का नाम रोशन किया। कपिल देव भारत के सबसे सफल ऑलराउंडर भी माने जाते हैं। पूर्व भारतीय खिलाड़ी और सबसे सफल कप्तानों में से एक कपिल देव ने भारत को पहला वर्ल्ड कप जिताया। उन की शानदार तेज बॉलिंग और तेजतर्रार हिटिंग के सभी लोग फैन थे। उनका खौफ उस जमाने में कुछ ऐसा था कि अच्छे से अच्छे बैट्समैन ने उनकी गेंदों का सामना करने से डरते थे। उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में अपने टैलेंट से अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है। यही वजह है कि क्रिकेट से रिटायरमेंट के कई दशकों बाद भी उनकी तारीफ हमें अक्सर सुनाई दे जाती है। हालांकि कपिल देव ने जो भी मुकाम अपनी जिंदगी में हासिल की है उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष छिपा हुआ है।
कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 में पंजाब के चंडीगढ़ में हुआ। उनके पिता का नाम “रामलाल निकुंज” था जो कि एक लकड़ी के व्यापारी थे और उनकी मां का नाम “राजकुमारी” था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले कपिल देव के माता-पिता पाकिस्तान में रहते थे, लेकिन बंटवारे के बाद से वह भारत आ गए और इस तरह से कपिल और उनके दो भाइयों का जन्म भारत में हुआ। लेकिन कपिल देव की चार बहने पाकिस्तान में ही पैदा हुई थी। कपिल देव ने 1980 में “रोमी भाटिया” नाम की लड़की के साथ शादी की।
कपिल देव को शुरू से खेलों में दिलचस्पी थी और वह क्रिकेट को सबसे ज्यादा पसंद करते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई डीएवी स्कूल से की और वहां पर भी वह काफी अच्छे athlete थे। शुरुआती पढ़ाई के बाद से कपिल देव “सेंट एडवर्ड कॉलेज” गए, जहां पर उन्होंने क्रिकेट के खेल में खुद को काफी इंप्रूव किया। क्रिकेट के खेल में कपिल की रूचि को देखते हुए उनके घर वालों ने उन्हें क्रिकेट सीखने के लिए भेजने का फैसला किया। वैसे क्रिकेट खेलने में काफी होनहार लेकिन उन्होंने पूर्व क्रिकेटर “देश प्रेम आजाद” से क्रिकेट के गुर सीखे। कपिल देव जानते थे कि एक सफल तेज गेंदबाज बनने के लिए उनके कंधे मजबूत होने चाहिए, इसीलिए वह लकड़ी की कटाई किया करते थे। फिर जल्द ही उनके शानदार बॉलिंग को देखते हुए नवंबर 1975 में हरियाणा की “रणजी टीम” की तरफ से खेलने का मौका मिला। अपने पहले मैच में उन्होंने 6 विकेट चटका कर लोगों को बता दिया कि क्रिकेट की दुनिया में एक नया सितारा आ रहा है।
इस सीजन के उन्होंने कुल 30 मैचों में 121 विकेट लिए और फिर उनके खेल को देखते हुए रणजी के बाद से Irani Trophy, Duleep Trophy और Wills Trophy में भी उन्हें खेलने का मौका मिला। फिर “Donestic Level” पर अपनी बोलिंग की छाप छोड़ने के बाद, 16 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में उन्हें भारत के इंटरनेशनल टीम की तरफ से पहली बार खेलने का मौका मिला। दुर्भाग्य से भारत यह सीरीज हार गया लेकिन इस सीरीज से भारतीय क्रिकेट को एक शानदार बॉलर और तेजतर्रार हिट करने वाला हीरा मिल चुका था। थोड़े दिनों के बाद ही वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने अपना शानदार पहला शतक लगाया था। क्रिकेट के खेल में शतक तो कोई भी लगा सकता था लेकिन उनके लिए खास इसलिए था क्योंकि उस समय वेस्टइंडीज की गेंदबाजी करने का क्रम सबसे खतरनाक माना जाता था। कपिल देव शुरुआती 25 मैच में “100 विकेट” और “1000 रन” बनाने वाली पहले भारतीय खिलाड़ी बनकर सामने आए। यही से भारतीय टीम को एक “शानदार ऑलराउंडर” मिल चुका था। फिर उनके शानदार नेतृत्व को देखते हुए उन्हें 1982 में पहली बार श्रीलंका के विरुद्ध कप्तानी करने का मौका दिया गया। भाग्य से उन्हें यह मौका मिला था क्योंकि उस समय के कप्तान “सुनील गावस्कर” को आराम दिया गया था। लेकिन जल्द ही वह नियमित कप्तान भी बन गए।
उनके सामने कप्तान के तौर पर सबसे बड़ी चुनौती आई तब आई, जब 1983 में भारत को वर्ल्ड कप खेलना था हालांकि इस समय भारत को कोई भी जीत का दावेदार नहीं समझता था। लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम में कपिल देव की कप्तानी ने सभी को गलत साबित किया और वेस्टइंडीज से फाइनल मुकाबला जीतकर भारत में पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया। इस वर्ल्ड कप में कपिल देव ने 303 रन बनाए और 12 विकेट झटके थे। अपनी शानदार फील्डिंग से सात कैच पकड़कर कई मैच भारत के खाते में डाले थे और इस वर्ल्ड कप के बाद से उनको हमेशा के लिए भारत के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में गिना जाने लगा जो अपने परफॉर्मेंस की दम पर मैच की दशा और दिशा दोनों बदलने की ताकत रखते हैं। फिर आगे भी उन्होंने कई सारे सीरीज भारत को जिताए और अपने आप को दुनिया के सबसे शानदार खिलाड़ियों की गिनती में शामिल किया। 1994 तक भारतीय क्रिकेट की सेवा करने के बाद उन्होंने संयास ले लिया।
कपिल देव ने अपने कैरियर में “131 टेस्ट मैच” खेले जिसमें “5238 रन” बनाकर 434 विकेट लिए वही “ODI” मे 225 मैच में “3783 रन” बनाए और 253 विकेट लिए। उनके यही आंकड़े उन्हें, भारत के सबसे महान ऑलराउंडर की गिनती में सबसे ऊपर ला खड़ा करते हैं। क्रिकेट के खेल में उनके योगदान के लिए उन्हें “पदम श्री”, “पदम भूषण” और “अर्जुन अवार्ड” की तरह ही कई सारे सम्मान भी मिल चुके हैं। कपिल देव अभी भी क्रिकेट से दूर नहीं है क्योंकि अक्सर हम उन्हें बतौर कमेंटेटर लोगों का मनोरंजन करते हुए देख सकते हैं। उनकी मौजूदगी में देश के खिलाड़ियों को भी काफी सहायता मिलती है कपिल देव बहुत सारे क्रिकेट खिलाड़ियों के प्रेरणा स्त्रोत्र हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी होती है।
You may also like: