Kiran Bedi Biography in hindi – देश की बागडोर असली मायने में अफसरों के हाथों में होती है। यदि नौकरशाही दुरुस्त हो, तो कानून व्यवस्था चौक बंद रहती है। जिस तरह भ्रष्टाचार का दीमक नौकरशाही को खोखला किया जा रहा है, इसलिए लोगों का उस से विश्वास उठता जा रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी “आईएएस “और “आईपीएस” अफसर हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिया। किरण बेदी उन अफसरों में से एक है।
किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर में एक पंजाबी व्यवसायिक परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम “प्रकाश लाल पेशावरिया” और माता का नाम “प्रेमलता” था। किरण बेदी के पिता एक टेनिस एक खिलाड़ी थे और अपने पारिवारिक व्यवसाय में सहायता किया करते थे। किरण बेदी की परवरिश हिंदू और सिख दोनों रीति-रिवाजों से हुई । उनके दादाजी एक सिख थे।
किरण बेदी जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई 1954 में, “Secret Convent school” अमृतसर से की और साथ ही उन्होंने NCC भी ज्वाइन की। किरण बेदी “कैंब्रिज कॉलेज” जो एक प्राइवेट इंस्टिट्यूट था वहां साइंस के साथ 10 की पढ़ाई की भी तैयारी की और उन्होंने 10th का एग्जाम पास कर लिया। 1968 में किरण बेदी ने “गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वुमन” अमृतसर से इंग्लिश में BA किया और उसी साल उन्होंने “NCC कैडेट ऑफिसर अवार्ड” भी जीता। 1970 में “पंजाब यूनिवर्सिटी” चंडीगढ़ से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
1970 से 1972 तक किरण बेदी ने “खालसा कॉलेज फॉर वुमन” अमृतसर में एक अध्यापक के तौर पर, पॉलिटिकल साइंस पढ़ाई। बाद में उन्होंने “इंडियन पुलिस सर्विस” में रहते हुए 1988 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली और 2019 में “IIT दिल्ली” से सोशल साइंस में “PHD” की।
किरण बेदी ने 9 साल की उम्र से ही, अपने पिता से प्रभावित होकर टेनिस खेलना शुरू कर दिया था और इसी के चलते उन्होंने अपने बालों को छोटा करवा दिया था। 1964 मे उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट “नेशनल जूनियर लॉन्ग टेनिस चैंपियनशिप” दिल्ली में खेला और शुरुआती राउंड में हार गई। उसके 2 साल बाद 1966 में उन्होंने ट्रॉफी जीती। 1965 से 1978 के बीच उन्होंने काफी सारे टेनिस चैंपियनशिप जीती। बेदी ने 30 साल की उम्र तक टेनिस खेला। उसके बाद वो “इंडियन पुलिस सर्विस” के करियर पर ध्यान देने लगी। 1972 में उन्होंने अपने साथी टेनिस प्लेयर “राज बेदी” से शादी कर ली और 1975 में उनको एक बेटी हुई।
16 जुलाई 1972 में बेदी ने “National Academy of Administration” मसूरी में पुलिस ट्रेनिंग स्टार्ट कर दी। वह 80 आदमियों के बीच में अकेली पहली महिला IPS ऑफिसर थी। किरण बेदी की पहली नियुक्ति 1975 में चाणक्यपुरी सब डिवीजन दिल्ली में हुई थी। उसे साल 1975 में रिपब्लिक डे परेड में Mail Contingent का नेतृत्व करने वाली वह पहली महिला बनी। 1978 में जब निरंकारी और अकाली के बीच इंडिया गेट पर टकराव हुआ था, तब डी सी पी किरण बेदी को उन्हें रोकने का टास्क दिया था और उस समय उनके पास लाठीचार्ज करने के अलावा, आंसू गैस का भी सपोर्ट नहीं था। जब किरण बेदी प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज कर रही थी, तब एक आदमी उनकी तरफ तलवार लेकर दौड़ा, तब बेदी ने बड़ी बहादुरी से उस पर लाठी से वार कर दिया और उनके प्लाटून प्रदर्शनकारियों को भगाने में सफल रही। इस बहादुरी के लिए उन्हें अक्टूबर 1980 में “प्रेसिडेंट पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री अवॉर्ड” दिया गया।
1979 में जब किरण बेदी दिल्ली के “वेस्ट डिस्ट्रिक्ट” में कार्यरत थी, वहां क्राइम को खत्म करने के लिए उन्होंने स्थानीय लोगों की मदद ली। किरण बेदी ने “one door policy” बनाई और लोगों को उनसे सीधे बात करने के लिए प्रेरित किया। प्रत्येक वार्ड में एक “Complaint box” लगाया और वह लगातार लोगों से मिलकर वहां की जानकारी लेती रहती थी। बेदी ने 3 महीने में ही वहां से अपराध को काफी कम कर दिया। अब किरण बेदी की लोकप्रियता स्थानीय लोगों में बढ़ने लगी। अक्टूबर 1981 में बेदी को “ट्रैफिक डीसीपी” बनाया गया। जब 1982 में “एशियन गेम्स” का आयोजन हुआ तब बेदी ने बड़ी ही कुशलता से सारी ट्रैफिक को कंट्रोल किया और उन्होंने गलत तरीके से बाहर खड़ी की गई गाड़ियों को उठाने के लिए “6 tow trucks” का इस्तेमाल किया। जिससे अनेक गाड़ियों को उठाया गया और तब उनको “crane Bedi” के नाम से बुलाया जाने लगा। उन्होंने उस समय के “प्राइम मिनिस्टर ऑफिस की कार” को भी गलत तरीके से खड़ी किए जाने के कारण उठवा लिया था और जुर्माना भी वसूला।
इसके बाद 1983 में उन्हें 3 साल के लिए नौकरी करने के लिए गोवा भेज दिया गया, तब उनकी बेटी की तबीयत बहुत खराब थी फिर भी उन्हें अपनी बेटी को दिल्ली छोड़ अपनी पोस्ट संभालने गोवा जाना पड़ा। गोवा में कुछ महीने रहने के बाद, उनकी बेटी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया। तब किरण बेदी ने पहली बार छुट्टी ली और वह दिल्ली आ गई। करीब 6 महीने बाद उनकी बेटी ठीक हुई तब उन्होंने दिल्ली में ही अपनी नौकरी ले ली।
1986 में जो बेदी नॉर्थ दिल्ली की DCP बनी तब उन्होंने नशे के विरुद्ध कार्यक्रम चालू किया और कई सारे “नशा मुक्ति केंद्र” बनाए और पूरे भारत में नशे से मुक्त के लिए कार्यक्रम चलाएं। किरण बेदी ने “नवज्योति पुलिस फाउंडेशन” भी बनाया। उसके बाद “वाधवा कमीशन” ने किरण बेदी को मिजोरम भेज दिया, जहां उन्होंने शराब और ड्रग्स के खिलाफ बहुत ही अच्छा काम किया। किरण बेदी सितंबर 1992 में फिर दिल्ली आ गई उसके 8 महीने बाद 1993 में उन्हें दिल्ली प्रिंसेस इंस्पेक्टर जनरल तिहाड़ में नियुक्त किया गया। तिहाड़ की हालत बहुत खराब थी और कोई ऑफिसर वहां पोस्ट नहीं लेना चाहता था। लेकिन किरण बेदी ने वहां काफी बदलाव किए। खतरनाक अपराधियों के लिए अलग से बैराग बनवाए गए और दूसरे अपराधियों के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट की व्यवस्था की गई। जेल में धूम्रपान बंद करवाया, मेडिटेशन और प्रार्थना सभा शुरू की, बेकरी, कार्पेंट्री और सिलाई की छोटी यूनिट्स बनाई गई, इन सब कामों के लिए बेदी को 1995 में “Roman Magsaysay Award” अवार्ड दिया गया।
1999 में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस चंडीगढ़ में उनकी पोस्टिंग हुई। 2003 में वह “यूनाइटेड नेशन सिविलियन पुलिस एडवाइजर” बनने वाली पहली महिला बनी। 2008 से 2011 तक बेदी ने एक टीवी शो “आपकी कचहरी” भी चलाया। 2011 में बेदी ने अन्ना हजारे जी के साथ “जन लोकपाल बिल” के लिए स्ट्राइक की। 2014 में किरण बेदी ने नरेंद्र मोदी को सपोर्ट किया और 2015 में वह बीजेपी में शामिल हो गई। मई 2016 में किरण बेदी को पुडुचेरी में “लेफ्टिनेंट गवर्नर” के तौर पर नियुक्त किया गया है। बेदी ने 1985 से 2016 तक लगभग 17 किताबें लिखी और उन्हें 1968 से 2014 तक 17 अवॉर्ड भी मिले हैं। 35 वर्ष तक देश की सेवा में रहने के बाद सन 2007 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। ऐसी जांबाज पुलिस ऑफिसर को हम सलाम करते हैं।
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