//Raju Srivastav – an Indian comedian, actor and politician / राजू श्रीवास्तव
राजू श्रीवास्तव जीवनी Raju Srivastav biography in hindi

Raju Srivastav – an Indian comedian, actor and politician / राजू श्रीवास्तव

राजू श्रीवास्तव जीवनी Raju Srivastav biography in hindi – राजू श्रीवास्तव एक ऐसे हास्य कलाकार हैं जिन्होंने सबको हंसाया और हंसा -हंसा के पागल कर दिया। उनका जन्म का नाम “सत्य प्रकाश श्रीवास्तव” है और आज यह “राजू श्रीवास्तव” के नाम से मशहूर है।

राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर सन 1963 में हुआ। इनके पिता का नाम “श्री रमेश चंद्र श्रीवास्तव” है जो कि “बलई काका” के नाम से मशहूर थे। वह एक बहुत ही पहुंचे हुए कवि थे और कानपुर में अक्सर कवि सम्मेलनों में रमेश चंद श्रीवास्तव कविताएं पढ़ा करते थे।

बचपन से ही राजू श्रीवास्तव को बोलने -चालने का शौक था। वह अपनी बातों से अक्सर लोगों को हंसा दिया करते थे। राजू का कॉमेडियन बनने का सपना अभी प्रोफेशन के तौर बहुत दूर था राजू श्रीवास्तव अपने टीचर्स की नकल करते थे। कभी-कभी स्कूल में जो क्रिकेट मैच होते थे उसकी कॉमेंट्री के लिए इन्हें बुलाया जाता था। धीरे-धीरे इनका यह शौक आगे बढ़ा और अक्सर कानपुर में कभी किसी के जन्मदिन की दावत हो या कोई फंक्शन हो तो राजू श्रीवास्तव को बुला लिया जाता था ताकि वह वहां आकर बैठे और हंसी मजाक करें। राजू श्रीवास्तव हंसी मजाक करते करते अक्सर घर आने में लेट हो जाते और तब इनकी मां से इन्हें बहुत अच्छी खासी डांट पड़ती थी।

राजू श्रीवास्तव के पिता खुद कवि थे और वह अंदर ही अंदर राजू के इस हुनर को पहचानते थे, परंतु इनकी मां इसकी मुखालफत करती थी। उनका कहना था कि पढ़ाई लिखाई करो, कुछ काम धंधा करो और “आईएएस” या “आईपीएस” बनो और अपना नाम करो। लेकिन घर में सब इस बात से बेखबर थे कि राजू श्रीवास्तव, बड़े संघर्ष के बाद एक ऐसा नाम करेंगे कि उनका नाम सारी दुनिया को सदा हसाता रहेगा।

राजू श्रीवास्तव ने फ़िल्म शोले देखी और इनकी जिंदगी बदल गई । फिल्म शोले में अमिताभ बच्चन के किरदार से यह इतने प्रभावित हुए कि उनकी मिमिक्री शुरू कर दी। बाद में इन्होंने अनेक स्केच तैयार किए जोकि फिल्म शोले पर ही आधारित थे जिन्होंने सब को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया ।

राजू श्रीवास्तव जब एक कार्यक्रम में गए तो
उन्होंने लोगों की नकल उतारी और लोगों को खूब हंसाया तभी एक भले मानस ने आकर इन्हें ₹50 दे दिए राजू समझ नहीं पाया कि ₹50 रखने के लिए दिए गए हैं या क्यों दे दिए गए हैं। उन्होंने पूछा तो उस आदमी ने कहा कि अरे भाई तुम्हारा मेहनताना है। तुमने यहां पर हमारा इतना मनोरंजन किया और इसलिए यह ₹50 रखो। राजू को इन ₹50 ने समझा दिया था कि उनका यह हुनर आगे जाकर एक प्रोफेशन बन सकता है।

कानपुर शहर में राजू श्रीवास्तव का खूब नाम हो गया था और उसके बाद इन्होंने सोचा कि अगर इसी तरह से मैं स्टेज शो करता रहूंगा तो इलाहाबाद, गोरखपुर, बहराइच और उन्नाव में तो मेरा नाम हो जाएगा लेकिन उसके आगे कहां जाऊंगा और तब इन्होंने निर्णय लिया यह मुंबई आएंगे।

1982 में इन्होंने मुंबई में अपना कदम रखा। संघर्ष का दौर बड़ा ही कठिन था लेकिन उनका मन खुला था। उन्होंने आते ही “लोकल ऑर्केस्ट्रा” के साथ जुड़ने की कोशिश की। वहां पर यह अमिताभ बच्चन की मिमिक्री किया करते थे और इन्हें अक्सर “जूनियर अमिताभ” के नाम से संबोधित किया जाता था। यह 80 के दशक में यह फिल्म “तेजाब” और “मैंने प्यार किया” जैसी फिल्मों में नजर आए। इसमें इन्हें छोटे-मोटे किरदार ही मिल रहे थे और टेलीविजन पर भी हल्के-फुल्के शो, स्टेज शो, फिल्म के छोटे-मोटे रोल और टीवी पर हल्का-फुल्का काम करते हुए नजर आए। जब “ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज कॉमेडी शो” टीवी पर आया तो इन्होंने सब को हिला कर रख दिया। राजू श्रीवास्तव को अपने इस हुनर से बहुत सम्मान मिला ।कॉमेडी दुनिया पूरी तरह से बदल दी और टेलीविजन पर ऐसा हंगामा मच गया कि आगे जाकर हर एक चैनल पर इनका “कॉमेडी शो” आने लगा। राजू श्रीवास्तव इस शो में “सेकंड रनर्स अपऑनर” थे परंतु इस प्रतियोगिता में इन्होंने लोगों के दिलों को जीतने में राजू “नंबर वन” की रहे। स्टेज शो हो या प्राइवेट फंक्शन हो, देश- विदेशों में राजू श्रीवास्तव अपने हुनर से सबको हंसाते रहे हैं। थोड़ा सा गाकर, थोड़ा सा नाच कर, थोड़ी सी मिमिक्री करके सब के दिलों पर राज करते रहे। थोड़ी सी आम जिंदगी की चीजों को उठाकर राजू श्रीवास्तव, हंसी की ऐसी खिचड़ी सामने रखते हैं कि लोग चटखारे ले लेकर हंसते हैं।

अपना एक अलग मुकाम बनाने के बाद राजू ने पॉलिटिक्स में भी थोड़ी हरकत की लेकिन इनकी कॉमेडी हमेशा इन पर हावी रही। हास्य कलाकारों में राजू श्रीवास्तव का एक अलग ही अन् छुआ मकाम रहेगा।