//Navratri MaaDurga – Hindu Goddess Parvati / नवरात्र मां दुर्गा के नौ रूप
Navratri Maadurga in hindi

Navratri MaaDurga – Hindu Goddess Parvati / नवरात्र मां दुर्गा के नौ रूप

Navratri Maadurga in hindi –  नवरात्रि- शक्ति की आराधना व उपासना का उत्सव है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में शक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है जिन्हें “नवदुर्गा” (Navdurga) कहा जाता है।

देवी के नौ रूपों में से एक है:-

 

“शैलपुत्री”

देवी सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति द्वारा किए गए यज्ञ में, अपने पति महादेव का अपमान होने पर  हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया था ।अगले जन्म में देवी सती ने हिमालय के घर जन्म लिया ।शैलराज हिमालय के घर जन्म लेने  के कारण देवी का नाम “शैलपुत्री” पड़ा। मां शैलपुत्री नंदी की सवारी करती हैं। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है।
 

माता का दूसरा रूप है—“ब्रह्मचारिणी”

 
मां शैलपुत्री ने नारदजी के कहने से  भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। मां भगवती ने सैकड़ों वर्षो जमीन पर रहकर केवल फल फूल खाकर भगवान की तपस्या की। तपस्या के अंत में कई वर्षों तक बिना कुछ खाए- पिए तप किया। इस कठिन तपस्या के कारण मां शैलपुत्रीको”ब्रह्मचारिणी” नाम से जाना गया है। मां ब्रह्मचारिणी का  कोई वाहन नहीं है ।माता के दाएं हाथ में  जाप माला बाएं हाथ में कमंडल  है ।
 

मां भगवती का तीसरा रूप है—“चंद्रघंटा”

 
 माता ब्रह्मचारिणी की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता से विवाह किया। भगवान शिव से विवाह के पश्चात मां के शीश पर अर्धचंद्र आ गया जो कि  एक घंटा  प्रतीत होता है ।इसी वजह से माता का नाम “चंद्रघंटा” पड़ा। माता चंद्रघंटा की सवारी बाघ  है। माता के हाथ में युद्ध के लिए शस्त्र हैं ।और उन्होंने कमल, कमंडल और जयमाला भी धारण की है।
 

आदिशक्ति का चौथा नाम है— “कुष्मांडा”

 
 कुष्मांडा 3 नाम से मिलकर बना है “कु” अर्थात छोटा “उष्मा” अर्थात ऊर्जा एवं अंडा। पुराणों के अनुसार –माता ने अपने मनमोहक  मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना  एक छोटे से अंडे के रूप में की थी इसलिए माता का नाम “कुष्मांडा” पड़ा ।अष्ट भुजाधारी मां कुष्मांडा के हाथों में शस्त्र होते हैं तथा अन्य चार हाथों में कमल, कमंडल ,जाप माला तथा अमृत का घड़ा है ।
 

मां भगवती का पांचवा रूप  है— “स्कंदमाता”

 
भगवान स्कंद जिन्हें कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद दिवस व संग्राम में देवताओं के सेनापति बने  थे । इन्हीं भगवान की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरुप को “स्कंदमाता” के नाम से जाना जाता  है। चार भुजाधारी माता शेर की सवारी करती है तथा इन की गोद में कार्तिकेय जी बैठे हुए हैं।
 

मां दुर्गा की छठी  शक्ति का नाम है— “कात्यायनी”

 
कात्या गोत्र के विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने मां भगवती की कठिन उपासना की ।उनकी इच्छा थी कि उनको पुत्र प्राप्त हो ।उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने  के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया कात्यायन ऋषि के घर जन्म लेने के कारण देवी “कात्यायनी “कहलाई। कुछ अन्य कहानियों के अनुसार जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर  बढ़ गया तब त्रिदेव ने एक देवी  को उत्पन्न किया ।महर्षि कात्यायन ने इनकी सबसे पहले पूजा की इसलिए इनका नाम” कात्यायनी “पड़ा ।
 

जगत जननी माता का सातवां रूप है— “कालरात्रि”

 
असुर रक्तबीज के  संहार करने  उपरांत मां दुर्गा ने अपनी स्वर्ण छवि से कालरात्रि मां की उत्पत्ति की ।जब मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध किया, तब मां कालरात्रि में रक्तबीज का सारा रक्त  पृथ्वी पर गिरने  से पहले ही पी लिया ताकि उसकी पुनः उत्पत्ति ना हो।  मां कालरात्रि का वाहन गधा है ।मां का रंग काला है। मां कालरात्रि हमेशा शुभ फलदायक हैं इसलिए इन्हें “शुभमकारी “के नाम से भी जाना जाता है।
 

मां दुर्गे का आठवीं शक्ति का नाम है— “महागौरी”

 
पुराणों के अनुसार जब मां ब्रह्मचारिणी ने शिवजी की प्राप्ति के लिए कठोर तप किया तब उनका शरीर बहुत दुबला  और काला हो गया था। शिवजी के प्रसन्न होने के बाद मां ने गंगा में स्नान किया ।गंगा में स्नान करने के बाद मां का रूप अत्यंत सुंदर एवं गोरा हो गया ।इसलिए माता का नाम “महागौरी” पड़ा। कुछ पुराणों के अनुसार रक्तबीज का संहार करने के पश्चात महाकालरात्रि ने गंगा में स्नान किया एवं अपने सुंदर काया पुनः प्राप्त की । यहां महागौरी नंदी  की सवारी करती हैं। चार भुजाधारी मां के एक हाथ में त्रिशूल दूसरे हाथ में डमरू है ।
 

माता की नवीं शक्ति है— “सिद्धिदात्री”

 
मां अष्टसिद्धियों की स्वामिनी है एवं अपने भक्तों को यह सिद्धियां देती है । पुराणों के अनुसार– स्वयं शिव जी ने सिद्धियों  की प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री की तपस्या की थी इन्हीं सिद्धियों के पश्चात भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था एवं भगवान शिव “अर्धनारेश्वर” कहलाए ।मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान  हैं ।मां की चार भुजाएं हैं ।इन्हीं भुजाओं में  मां ने क्रमशः  गदा,  चक्र, शंख व कमल लिया  हुआ है ।
 
नवरात्र के नौ दिनों में ,प्रत्येक दिन मां के एक रूप की आराधना की जाती है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है ।तीसरे दिन हम मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं एवं चौथे दिन  मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है ।नवरात्र के पांचवे दिन भगवान कार्तिकेय की माता देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है । छठे दिन मां कात्यायनी एवं सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्र के आठवें  दिन मां महागौरी की पूजा होती हैं एवं नौवें दिन सिद्धिदात्री की आराधना  के साथ नवरात्रि की समाप्ति होती है ।
 

 
 
 
 
You may also like: