//Ram Janmabhoomi | Ayodhya | राम मंदिर
Hidden History Ram Mandir Nirman

Ram Janmabhoomi | Ayodhya | राम मंदिर

Ayodhya Ram mandir history in hindi – हिंदू धर्म में भगवान राम सबसे पूजनीय भगवानों में से एक हैं। भगवान राम का जन्म अयोध्या राज्य में हुआ था ।

मध्यकालीन भारत में भगवान राम के जन्म स्थान पर एक मंदिर बनाया गया , जिसे राम मंदिर कहते हैं।
सोलवीं शताब्दी के आसपास “मीर बाकी” द्वारा एक मस्जिद बनाई गई थी। मीर बाकी “बाबर “का एक आर्मी जनरल था।
इसी मस्जिद को आगे चलकर “बाबरी मस्जिद “का नाम दिया गया।
यह एक ऐतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक प्रश्न है कि पहले यहां मंदिर था या मस्जिद। मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी या उसी मंदिर का ,पुनर्निर्माण करके मस्जिद बनाई गई थी ।इस मंदिर का झगड़ा ही “अयोध्या विवाद “की जड़ है।

 

अयोध्या उत्तर प्रदेश की के पूर्वी हिस्से में स्थित है । यह सरयू नदी के किनारे फैजाबाद के निकट बसा है।

लगभग 100 साल पहले, यहां बाबरी मस्जिद थी या नहीं। इस पर विवाद शुरू हो गए थे। एक तरफ चबूतरा था, दूसरी तरफ मस्जिद ।
मस्जिद में मुसलमान अंदर जाकर इबादत करते थे और हिंदू जन्मभूमि के बाहर बने चबूतरे पर ,पूजा करते थे। जिसे “राम चबूतरा” कहा जाता है 1885 में महंत रघुवर दास ने, फैजाबाद के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक अर्जी लगाई, कि राम चबूतरे पर एक मंदिर बनाने दिया जाए।
जज ने मना कर दिया क्योंकि मस्जिद बने हुए 350 वर्ष बीत गए थे।
22 दिसंबर 1949 को कुछ हिंदुओं ने अंदर घुसकर उस स्थान पर मूर्तियां रख दी और कहा—- कि यहां पर रामलला की मूर्ति प्रकट हुई है।
 
कुछ दिनों बाद रामचंद्र दास जी द्वारा, कोर्ट में एक अर्जी दी गई ।और कहा गया कि जब मूर्ति प्रगट हो गई तो, हिंदुओं को अंदर पूजा करने का अधिकार दिया जाए। तब कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मंदिर में ना तो मुसलमान जा सकते हैं और ना ही हिंदू ।
और वहां ताला लगा दिया गया।
इसके बाद कहीं संगठन सामने आए और कहा इस जगह का नियंत्रण हमें दिया जाए
निर्मोही अखाड़ा एक संगठन है और इसमें लगभग 14 अखाड़े हैं उन्होंने कहा कि इस विवादित ढांचे का हमें नियंत्रण दिया जाए।

 

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा –यहां से मूर्ति हटाई जाए। हिंदुओं को का पूजा का अधिकार ना दिया जाए और इस जगह का नियंत्रण हमें दिया जाए।

अगले 20 –25 साल तक यह मामला कोर्ट में चलता रहा।
1984 में अचानक यह मामला अचानक सामने आया कि राजनीतिक तौर पर, यहां मंदिर बनाना चाहिए ।
1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी व कांग्रेस ने हिंदुओं को खुश करने के लिए इस मंदिर के ताले खुलवा दिए ।
30 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी ने एक “रथ यात्रा” की शुरुआत की। जो अयोध्या पहुंचने पर समाप्त होनी थी ।लेकिन यात्रा जहां से गुजरी ,कई जगह दंगे हुए और कई लोग मारे गए। यह यात्रा बिहार में रोक दी गई ।
23 अक्टूबर को लालकृष्ण आडवाणी जी को गिरफ्तार कर लिया गया।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने 2.77 एकड़ की जमीन को अपने अधिकार में ले लिया और “राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट” को दे दी गई।
1992 को एक धर्म संसद बुलाई गई और यह तय किया गया कि मंदिर में बड़ी संख्या में “कार सेवा” का कार्य शुरू किया जाए। जिसके तहत जगह जगह से राम का नाम लिखी ईट मंगाई गई।और जनता ने इस “कार सेवा” में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।
इस घोषणा से केंद्र सरकार को बहुत चिंता हो गई। उस समय कल्याण सिंह जी भारतीय जनता पार्टी के मंत्री थे और यह पार्टी यहां पर राम मंदिर बनाना चाहती थी। इसलिए वह इस “कार सेवा“ को नहीं रुकेंगे।

पधानमंत्री नरसिंह राव को कई प्रभावशाली व्यक्तियों ने कहा — कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर के, कल्याण सिंह की सरकार को ,बर्खास्त कर दिया जाए
लेकिन कल्याण सिंह ने आश्वासन दिया कि कुछ भी अनुचित नहीं होगा और स्थाई रूप से इस “विवादित स्थल” पर कोई कुछ भी नहीं बना सकेगा।

दूसरी ओर कल्याण सिंह ने यह घोषित कर दिया और कि किसी भी “कारसेवकों” पर पुलिस फायरिंग नहीं करेगी । पुलिस को यह आदेश दे दिया गया। जब कार सेवा शुरू हुई तो वहां पर मुरली मनोहर जोशी ,उमा भारती ,अशोक सिंघल लालकृष्ण आडवाणी आदि बड़े-बड़े नेता मौजूद थे ।और भाषण दे रहे थे।
इन्हीं भाषणों से उग्र होकर लोगों ने बाबरी मस्जिद में तोड़फोड़ शुरू कर दी ।लोहे के सरिए और पत्थर लेकर लोगों ने मस्जिद तोड़ना शुरू कर दिया।
इन नेताओं ने लोगों से अपील भी की कि आप लोग तोड़फोड़ मत करिए। लेकिन भीड़ का कोई दिमाग नहीं होता। और शाम तक बाबरी मस्जिद गिरा दी गई और वहां एक छोटा सा मंदिर बना दिया गया ।जिसमें रामलीला की मूर्ति रख दी गई।
बाबरी मस्जिद के गिरते ही पूरे देश में दंगे शुरू हो गए।
यह ना केवल भारत में, अपितु पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी दंगे बढ़ गए ।वहां कई मंदिर तोड़े गए और हिंदुओं को जान से मारा गया ।
मार्च 1993 में भारत में लगातार कई बम धमाके हुए ।कहा जाता है कि यह बम धमाके बाबरी मस्जिद का बदला लेने के लिए किए गए थे।
2003 में इलाहाबाद कोर्ट ने “भूगर्भ शास्त्रियों द्वारा इस विवादित ढांचे की खुदाई कर यह पता लगाने के लिए कहा कि यहां पर पहले मंदिर था या नहीं ।
खुदाई करने पर यहां लगभग 50 खंबे मिले जिसमें हिंदू धर्म के चिन्ह या यक्ष बने हुए थे ।ऐसे- ऐसे पत्थर मिले जिसमें देवनागरी लिपि में लिखा हुआ था। यहां दो कब्र भी मिली ।उन कब्र में क्या था ,यह पता नहीं चल सका ।
30 सितंबर 2010 को हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांट दिया –
  1.  पहला हिस्सा रामलला को दिया जाए जिसे” राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट “को सौंप दिया गया
  2. निर्मोही अखाड़े” को सीता रसोई और राम चबूतरा दिया गया और
  3. सुन्नी वक्फ बोर्ड” को बाकी जगह दे दी गई ।

इस फैसले से तीनों पार्टी ही नाराज हो गई और तीनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और अगस्त 2017 को इसकी सुनवाई शुरू हो गई

बाबरी मस्जिद इतना बड़ा मुद्दा क्यों है?

इसके कई कारण है-

  • इस मुद्दे ने भारत की एकता व अखंडता को चुनौती दे दी। भारत का सामाजिक सौहार्द्र खराब हो गया था।
  • भारत पर कई आतंकी हमले हुए जिसका कारण बाबरी मस्जिद का माना जाता है ।
  • भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है ।भारत में कानून को माना जाता है।
  • मस्जिद ढहने से देश की निंदा हुई ।
2002 में “गोधरा कांड” हुआ उसका मूल कारण भी अयोध्या को ही माना जाता है “कार सेवा” करने के लिए जो लोग ट्रेन द्वारा अयोध्या जा रहे थे। उन्हें जिंदा जला दिया गया।
मंदिर या मस्जिद बनाना सरकार का कार्य नहीं है भारत एक लोकतंत्र है ।यहां न्याय व्यवस्था को मानना जरूरी है।
निष्कर्षत: नवंबर 2020 को “राम मंदिर फैसले” में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राम जन्म भूमि के विवादित स्थल के भीतरी और बाहरी आंगन पर राम लाला का ही स्वामित्व है ।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन आवंटित की।
राम भूमि मंदिर के भव्य निर्माण के लिए एक योजना तैयार की गई ।
एक ट्रस्ट “श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र” के नाम से बनाया गया। यह अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्म स्थली पर भव्य और दिव्य, श्री राम मंदिर के निर्माण व उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा।

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