//Somnath temple-First among the Twelve Jyotirlinga/सोमनाथ मंदिर
Somnath Temple details in hindi

Somnath temple-First among the Twelve Jyotirlinga/सोमनाथ मंदिर

Somnath Temple details in hindi – सोमनाथ मंदिर भारत के प्राचीनतम तीर्थ स्थानों में से एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण ,ऋग्वेद और महाभारत में भी आया है। सोमनाथ मंदिर की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहले नंबर पर होती है। इस मंदिर के दर्शन मात्र से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। और अभीष्ट  फल  प्राप्त कर मृत्यु उपरांत  स्वर्ग को जाता है।

ऐसी मान्यता है कि जब सोमनाथ मंदिर का निर्माण हुआ, तब  यह स्वर्ण से बना था। मुसलमान शासकों द्वारा बार-बार इस मंदिर को नष्ट कर दिया जाता , तत्पश्चात भारतीय शासकों द्वारा बार-बार इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया जाता था।
यह मंदिर इतना भव्य और सुंदर है कि बाहर से जो कोई भी शासक यहां आता था तो उसकी पहली नजर, सोमनाथ मंदिर पर पड़ती  थी। इसी कारण, इस मंदिर पर विदेशियों द्वारा करीब 17 बार आक्रमण किया गया।
सोमनाथ जी का पूरा नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है।यह गुजरात राज्य के ,सौराष्ट्र क्षेत्र के निकट स्थित है। सोमनाथ एक पवित्र तीर्थ स्थल है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे कई शिव पौराणिक कथाएं हैं–
 ज्योतिर्लिंग दो अक्षरों से मिलकर बना है
 1    ज्योति का अर्थ रोशनी  या प्रकाश
            और
 2    लिंग का अर्थ है चिन्ह या छवि
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) को भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है  कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों मैं साक्षात भगवान शिव प्रकट हुए थे।
पुराणों के अनुसार -दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थी। और सभी का विवाह चंद्र के साथ हुआ था।रोहिणी सभी बहनों में सुंदर थी और चंद्र की उस में विशेष आसक्ति थी। यह जानकर शेष सभी बहनों  को बड़ी  ईर्ष्या हुई और उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता दक्ष से की। उनके पिता ने चंद्र को बहुत समझाया पर  चंद्र नहीं माने । तत्पश्चात क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्र को श्राप दे दिया। जिससे फल स्वरूप चंद्र की शक्ति दिन प्रतिदिन  कम होने लगी। देवताओं ने चंद्र को दिए श्राप  को वापस लेने के लिए ,ब्रह्मा जी से अनुरोध किया। ब्रह्मा जी ने कहा श्राप से मुक्ति का एक ही उपाय है ।चंद्र भगवान शिवलिंग की प्रतिष्ठा कर , तपस्या कर श्राप से मुक्त हो सकते हैं।
चंद्र ने, चंद्रमा की, बड़ी लगन से, काल भैरव रूप की तपस्या की। भगवान शिव प्रसन्न हुए। चंद्र ने वर मांगा कि वह भक्त चंद के नाम से विख्यात हो। इसीलिए भगवान शिव  सोमनाथ कहलाए और फिर बाद में सभी चंद्रमाओ के कुल देवता के रूप में प्रसिद्ध हुए।
 इस मंदिर के 3 मुख्य भाग हैं। बाहर की ओर छत पर दो मंडप हैं, इसके नीचे हजारों यात्री भ्रमण करते हैं। इसके पश्चात 7 मंजिल वाला मंदिर है जहां शिव का विशाल लिंग स्थापित है। यह शिवलिंग 7 फीट ऊंचा काले पत्थर से निर्मित है। शिवलिंग के पृष्ठभूमि भाग में अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान है। शिवलिंग के बाहर के प्रांगण में नंदी की एक बड़ी प्रतिमा है। 
मंदिर का बाहरी रूप  अति सुंदर और मन को मोह लेने वाला है। मंदिर के पास ही महादेव मंदिर स्थित है। इसके चारों ओर पार्वती जी, लक्ष्मी जी ,गणेश जी ,सरस्वती जी आदि देवियों की मूर्तियां स्थापित है। उत्तरी द्वार के बाहर अघोर लिंग की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के पास गौरीकुंड सरोवर है जिसके पास प्राचीन शिवलिंग स्थापित है।
 चंद्रमा के नाम पर सोमनाथ बने भगवान शिव संसार में सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर में शिव  साकार लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
 कहते हैं यहां भगवान श्री कृष्ण ने रघुवंश का संहार करने के बाद अपनी देह का त्याग किया  था।
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