//Shree Siddhivinayak Ganapati Mandir – Navasacha Ganapati(सिद्धिविनायक मंदिर )
Siddhivinayak temple hindi lekh

Shree Siddhivinayak Ganapati Mandir – Navasacha Ganapati(सिद्धिविनायक मंदिर )

Siddhivinayak temple hindi lekh – सिद्धि विनायक का यह प्रसिद्ध मंदिर प्रभादेवी इलाके में स्थित है| इस मंदिर की पूरे महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई में अत्यधिक मान्यता है| यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है|
मंदिर का निर्माण मूल रूप से 19 नवंबर 1801 में “लक्ष्मण बिट्टू ” और देउबाई पाटिल ” द्वारा किया गया था| संतानहीन देव भाई पाटिल ने इस का निर्माण इसलिए करवाया ताकि अन्य पुत्र हीन महिलाएं ,पुत्र रत्न प्राप्ति कर सके| और इसी लिए इस मंदिर को यहां मराठी में” नवसाला पावनारा गणपति “कहा जाता है |जो श्रद्धालुओं की हर मन्नत को पूरी करता है|

परंतु वर्तमान मे इसे सुंदर कलात्मक रूप दे दे गया है| और भक्तों हेतु इस मंदिर में अनेक सुविधाएं प्रदान की गई हैं| मुंबई तथा आसपास के निवासी इसका दर्शनीय लाभ करते हैं| मंगलवार को यहां अधिक भीड़ रहती है| ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई सब इच्छाएं अवश्य पूर्ण होती है| यहां एक बड़ा “चांदी का मूषक” प्रांगण में स्थित है |श्रद्धालु अपने इच्छाएं इनके कान में कहते हैं|
सिद्धिविनायक मंदिर की धार्मिक पृष्ठभूमि के बारे में यह बात प्रचलित है– कि भगवान विष्णु ने असुर “मधु एवं कैटभ “का संहार करके सिद्धिविनायक की मूर्ति एक पहाड़ी इलाके में स्थापित की थी |जो “अष्टविनायको “में गिनी जाती है तथा मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक भी उसी का एक वृहत रूप है |

जिसमें मूर्ति चतुर्भुज रूप में बनाई गई है |जिसके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है |और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक भरा कटोरा है |

रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियां मुख्य गणेश मूर्ति के कंधों के आस-पास सुशोभित हैं| जो धन, ऐश्वर्य ,सफलता और सभी मनोकामना को पूर्ण करने का प्रतीक है | गणेश जी के मस्तक पर अपने पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र है और गले में एक सर्प हार जनेऊ के समान लिपटा हुआ है
| यहां मूषक की संख्या भी अधिक है क्योंकि कई भक्तजन “मूषक” यहां पर चढ़ाते हैं| इसमें एक मूषक काफ़ी बड़ा संपूर्ण चांदी का बना हुआ है |
पहले यह मंदिर छोटा था |और इस मंदिर के गर्भ ग्रह शिखर पर 1500 किलोग्राम का एक भारी कलश सुशोभित था, जिस पर सोने की परत चढ़ी हुई थी|

जब मंदिर का विस्तार किया गया ,इस कलश को पवित्र मानकर, श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु ,प्रांगण में रख दिया गया |गणेश दर्शन के साथ श्रद्धालु इस कलश का दर्शन करके शीश झुकाते हैं|
इस मंदिर का विस्तार 5 मंजिलों के रूप में किया गया है| जिसमें गर्भ ग्रह के ऊपर एक बड़ा शिखर बनाया है और उसके पास अनेक छोटे-छोटे शिखर बनाए गए हैं |मंदिर की कलात्मकता देखते ही बनती है |इस मंदिर की पांचों मंजिलों पर अलग-अलग कार्य होते हैं |
विस्तार के समय मंदिर के मूल गर्भ को छुआ तक नहीं गया और इसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखा गया| गर्भ ग्रह में तीन द्वार है जहां से श्रद्धालु दर्शन हेतु आते जाते रहते हैं| मूर्ति के समक्ष एक बड़ा सा “सभा हॉल “है जिसमें भक्तगण बैठकर आराधना करते हैं |

प्रसाद का नारियल फोड़ने हेतु भी एक विशेष व्यवस्था की गई है| मुख्यमंत्री के चारों ओर दुकानें हैं जहां गणेश जी से संबंधित मूर्तियां आदि सामान बेचा जाता है| बाहर से अंदर आने के लिए भक्तगण कतार से मंदिर में प्रवेश करते हैं ,जिससे भीड़ होने पर भी श्रद्धालुओं को दर्शन हो जाते हैं| प्रसाद ,नारियल आदि की दुकानें प्रांगण में हैं |

कई श्रद्धालु नंगे पैर घर से चलकर, प्रातः मंदिर की आरती में सम्मिलित होते हैं |मुंबई हर बड़े नगर से वायु, रेल एवं सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है |और यहां पर ठहरने की हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है|

वैष्णो माता मंदिर

गोल्डन टेंपल